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२९. ४. २१३

इस सप्ताह-

अनुभूति में-
कृष्ण नंदन मौर्य, वीनस केसरी, सतीश जायसवाल, ओम नीरव और भगवत शरण श्रीवास्तव 'शरण' की रचनाएँ।

- घर परिवार में

रसोईघर में- हमारी रसोई संपादक शुचि इस बार प्रस्तुत कर रही हैं पौष्टिक तत्वों से भरपूर स्वादिष्ट व्यंजन- हरा भरा बर्गर

रूप-पुराना-रंग नया- शौक से खरीदी गई सुंदर चीजें पुरानी हो जाने पर फिर से सहेजें रूप बदलकर- पुराना चाय का प्याला सिलाई की सुविधा के साथ

सुनो कहानी- छोटे बच्चों के लिये विशेष रूप से लिखी गई छोटी कहानियों के साप्ताहिक स्तंभ में इस बार प्रस्तुत है कहानी- गाँव की सैर

- रचना और मनोरंजन में

नवगीत की पाठशाला में- नई कार्यशाला का विषय है पेड़ नीम का छायावाला। विस्तार से जानने के लिये कृपया यहाँ देखें।

साहित्य समाचार में- देश-विदेश से साहित्यिक-सांस्कृतिक समाचारों, सूचनाओं, घोषणाओं, गोष्ठियों आदि के विषय में जानने के लिये यहाँ देखें।

लोकप्रिय कहानियों के अंतर्गत- ९ दिसंबर २००४ को प्रकाशित परशु प्रधान की नेपाली कहानी का हिंदी रूपांतर आज सोमवार है

वर्ग पहेली-१३१
गोपालकृष्ण-भट्ट
-आकुल और रश्मि आशीष के सहयोग से

सप्ताह का कार्टून-
कीर्तीश की कूची से

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साहित्य एवं संस्कृति में-

समकालीन कहानियों में भारत से
पद्मा शर्मा की कहानी- फन्दा

रात को ही सोचकर सोयी थी कि सुबह आराम से उठूँगी अक्सर रविवार की सुबह देर से ही उठना होता फोन की घण्टी ने अचानक ही नींद से जगा दिया कनफोड़़ू और कर्कश लग रही थी फोन की घण्टी अलसाते हुए सब एक-दूसरे को ताकते प्रतीक्षा कर रहे थे कि कोई रिसीवर उठाने की पहल करे ‘‘देखो तुम्हारा ही होगा’’ कहते हुए मृगांक ने ताकीद दी मैंने अलसाकर और मन ही मन भुनभुनाकर रिसीवर मुँह पर लगाते हुए कहा-‘‘हलो’’..... उधर से कानों में रस टपकाती लड़की की आवाज आयी-‘‘ जी आप पूर्णिमा जी बोल रही हैं मैंने मैंने झल्लाते हुए कहा ‘जी कहिए।’ उधर से आवाज आयी-‘‘....देखिए सौ लोगों में से आपके नाम का ड्रा निकला है। आपके नाम एक लाख रुपये का इनाम है इसलिए हमने आपको फोन लगाया हैं।’’ मैं सोचने लगी आए दिन सुनते रहते थे कि आजकल कई कम्पनियाँ इनाम के नाम पर आम जनता को बेवकूफ बना रही हैं उस लड़की की बात सुनते ही मैं सतर्क हो गयी मैंने कहा, ‘‘कैसा इनाम?’’ वह समझाते हुए बोली- ‘‘मैडम हमारी कम्पनी...आगे-
*

संजीव निगम का व्यंग्य
अफसरी के प्यार में
*

डॉ. प्रेमचन्द्र गोस्वामी का आलेख
हिन्दी पत्रकारिता के पुरोधा: गणेश शंकर विद्यार्थी
*

नर्मदा प्रसाद उपाध्याय का
ललित निबंध- गुलमोहर गर्मियों के
*

पुनर्पाठ में मीनाक्षी धन्वन्तरि का
यात्रा संस्मरण- रियाध के पार दुबई में

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पिछले सप्ताह- रामनवमी के अवसर पर


मुक्ता की लघुकथा
श्रम का पुरस्कार
*

डॉ. मनोहर भंडारी का आलेख
रोम रोम में बसने वाले राम
*

देवेन्द्र ठाकुर की कलम से
दक्षिण-पूर्व एशिया रामायण शिलाचित्र
*

पुनर्पाठ में महेशदत्त शर्मा
का निबंध- शाश्वत राम हमारे

*

समकालीन कहानियों में भारत से संजीव की कहानी
हिटलर और काली बिल्ली

वर्षों 'ना'-'ना' करने के बाद शिवानी ने अंतत: 'हाँ' कर दी थी। चालीस के क्रिटिकल मोड़ पर 'हाँ'! चलो, देर आयद दुरुस्त आयद।
पहली बार खुद को आईने के सामने खड़ा कर गौर से निहारा कुँवर वीरेन्द्र प्रताप ने - दूधिया गोराई, नुकीली नाक, चौड़ा मस्तक, लंबे कान! अंग-अंग साँचे में ढला हुआ- सुडौल और संतुलित। वैसे कद तनिक और उँचा होता, आँखें तनिक और नीली और नाक तनिक और नुकीली तो अच्छा होता। पंजों के बल उचके, उँगलियों से नाक को दबाया फिर आँखों को एक विशेष कोण से देखा तो नीली नज़र आईं। खुश हो गए। उन्हें यकीन हो गया कि वे शुद्ध आर्य नस्ल के हैं और हल्का-फुलका-सा जो भी विचलन है, वह महज भौगोलिक है। अब रहीं पत्नी शिवानी, तो उन्होंने खुद ही देख-सुनकर उनका चयन किया था। हजारों में... न न... हजारों नहीं, लाखों में एक, विशुद्ध आर्य कन्या! ऐसे में उनकी भावी संतान का उनकी प्रत्याशाओं के अनुरूप न होने का...आगे-

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यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।


प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
-|-
सहयोग : कल्पना रामानी

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