अनुभूति

 9. 12. 2004

आज सिरहानेआभारउपन्यासउपहारकहानियांकला दीर्घाकविताएंगौरवगाथा पुराने अंक नगरनामा
घर–परिवारदो पलपरिक्रमापर्व–परिचयप्रकृतिपर्यटनप्रेरक प्रसंगफुलवारीरसोईलेखकलेखकों सेविज्ञान वार्ता
विशेषांकशिक्षा–सूत्रसाहित्य संगमसंस्मरणसाहित्य समाचारसाहित्यिक निबंधस्वास्थ्यसंदर्भसंपर्कहास्य व्यंग्य

 

पिछले सप्ताह

रचना प्रसंग में
प्राण शर्मा के धारावाहिक साहित्य
विवेचन की अगली किस्त
उर्दू ग़जल बनाम हिन्दी ग़जल (भाग–3)

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मंच मचान में
अशोक चक्रधर के शब्दों में 
इस वास्ते अनुरोध है

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फुलवारी में
माइक्रोवेव अवन, साबुन और वाशिंग मशीन के
आविष्कारों की कहानी
साथ ही शिल्पकोना में 
सूंड़ हिलाता हाथी

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घर परिवार में
वास्तु विवेक के अंतर्गत सुरेश श्रीमाली
बता रहे हैं
फेंगशुई के स्वर्णिम सूत्र

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कहानियों में
भारत से उत्कर्ष राय की कहानी
काहे को ब्याही विदेश

एक हैं जनार्दन मिश्र। शुद्ध शाकाहारी, बिना सुबह नहाए अन्न, जल तक नहीं ग्रहण करते। इनके बाबा बनारस में पंडिताई करते थे। पिता को यह पसंद नहीं था, मगर मजबूरीवश रामायण बांचनी पड़ती थी। 
उन्होंने ठान लिया था कि जनार्दन पंडिताई नहीं करेगा। जनार्दन को उन्होंने खूब पढ़ाया लिखाया एवं डॉक्टर बनाया। उन्हें क्या पता था कि एक कॉन्फ्रेन्स में जनार्दन अमरीका क्या आएंगे कि जैसे उन्हें अमरीका में बसने का चस्का ही लग जाएगा। पिता–पुत्र में काफी बहस हुई . . .

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इस सप्ताह

साहित्य संगम में
परशु प्रधान की नेपाली कहानी का हिन्दी रूपांतर आज सोमवार है

इडा याद करने लगी कि आज कौन सा दिन है, टीवी के मनोरंजक दृश्यों से लग रहा था आज रविवार है। अच्छा सा रविवार है, फिर उसे लगा आज सोमवार है और हेरेश से मिलना है। हेरेश की याद आते ही इडा को सोमवार से ही बोरियत सी होने लगी। कितना पियक्कड़ है हेरेश, रातभर व्हिस्की की कितनी ही बोतलें खाली करता है। और फिर बातें करता है ज़मीन आसमान की। जैसे सारी रात उसी की है और किसी की तो है ही नहीं। जैसे फिर वह विद्यार्थी न हो कर किसी रईस का इकलौता वारिस हो। जैसे उसके साथ डॉलर की बोरियां हो। उसका बहुत अच्छा बैंक बैलेंस हो। 

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सामयिकी में
रहीम के जन्मदिवस पर
डा दर्शन सेठी की विशेष रचना

रहिमन धागा प्रेम का

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दृष्टिकोण में
रामनिवास लखोटिया का आलेख
शाकाहार उतम आहार

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संस्कृति में
नवीन नौटियाल बता रहे हैं
चाय की ऐतिहासिक यात्रा
के विषय में

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रचना प्रसंग में
प्राण शर्मा के धारावाहिक साहित्य
विवेचन की अगली किस्त
उर्दू ग़जल बनाम हिन्दी ग़जल (भाग–4)
!°!

1सप्ताह का विचार1
पाषाण के भीतर भी मधुर स्रोत होते हैं, उसमें मदिरा नहीं शीतल जल की धारा बहती है।— जयशंकर प्रसाद

 

अनुभूति में

शैलेन्द्र चौहान, मयंक सिन्हा, प्रत्यक्षा, डा अजय पाठक, सुरेन्द्रनाथ तिवारी और जया पाठक की नई रचनाएं

–° पिछले अंकों से °–

कहानियों में
कैक्टस–प्रत्यक्षा
काला सागर तेजेन्द्र शर्मा
रामलीला–प्रेमचंद
पिटी हुई गोट–शिवानी
कल्याण का अंत–जयनंदन
फिर कभी सही–दिव्या माथुर

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प्रौद्योगिकी में
रविशंकर श्रीवास्तव का आलेख
विश्वजाल पर शब्दकोश

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विज्ञान वार्ता में
डा गुरूदयाल प्रदीप से जानकारी
सूंघने में छुपे रहस्य और नोबेल पुरस्कार

°

रचना प्रसंग में
प्राण शर्मा के धारावाहिक साहित्य
विवेचन की अगली किस्त
उर्दू ग़जल बनाम हिन्दी ग़जल (भाग–2)

°

ललित निबंध में
मेहरून्निसा परवेज़ की रम्य रचना
चिठ्ठी में बंद यादें

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हास्य व्यंग्य में
यू एस ए से अगस्त्य कोहली का व्यंग्य
नाटक की नौटंकी

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आज सिरहाने में 
संजय ग्रोवर के नवीनतम
व्यंग्य संग्रह
मरा हुआ लेखक से परिचय
प्रमोद राय द्वारा

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रसोईघर में
शाकाहारी मुगलई भोजन के अंतर्गत
मेथी मलाई खुंभ

 

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना   परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन     
      सहयोग : दीपिका जोशी
तकनीकी सहयोग :प्रबुद्ध कालिया   साहित्य संयोजन :बृजेश कुमार शुक्ला