अनुभूति

 16. 12. 2004

आज सिरहानेआभारउपन्यासउपहारकहानियांकला दीर्घाकविताएंगौरवगाथा पुराने अंक नगरनामा
घर–परिवारदो पलपरिक्रमापर्व–परिचयप्रकृतिपर्यटनप्रेरक प्रसंगफुलवारीरसोईलेखकलेखकों सेविज्ञान वार्ता
विशेषांकशिक्षा–सूत्रसाहित्य संगमसंस्मरणसाहित्य समाचारसाहित्यिक निबंधस्वास्थ्यसंदर्भसंपर्कहास्य व्यंग्य

 

पिछले सप्ताह

सामयिकी में
रहीम के जन्मदिवस पर
डा दर्शन सेठी की विशेष रचना

रहिमन धागा प्रेम का

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दृष्टिकोण में
रामनिवास लखोटिया का आलेख
शाकाहार उतम आहार

°

संस्कृति में
नवीन नौटियाल बता रहे हैं
चाय की ऐतिहासिक यात्रा
के विषय में

°

रचना प्रसंग में
प्राण शर्मा के धारावाहिक साहित्य
विवेचन की अगली किस्त
उर्दू ग़ज़ल बनाम हिन्दी ग़ज़ल (भाग–4)

°

साहित्य संगम में
परशु प्रधान की नेपाली कहानी का हिन्दी रूपांतर आज सोमवार है

इडा याद करने लगी कि आज कौन सा दिन है, टीवी के मनोरंजक दृश्यों से लग रहा था आज रविवार है। अच्छा सा रविवार है, फिर उसे लगा आज सोमवार है और हेरेश से मिलना है। हेरेश की याद आते ही इडा को सोमवार से ही बोरियत सी होने लगी। कितना पियक्कड़ है हेरेश, रातभर व्हिस्की की कितनी ही बोतलें खाली करता है। और फिर बातें करता है ज़मीन आसमान की। जैसे सारी रात उसी की है और किसी की तो है ही नहीं।

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इस सप्ताह

कहानियों में
भारत से सुकेश साहनी की कहानी
खरोंच

वे सब शहर के बाहर स्थित चूजे़ (चिकेन) तैयार करने वाली फैक्ट्री के वर्कर थे। दिन भर काम करने के बाद रात में वे फैक्ट्री के बेसमेंट में जमा हो जाते थे। फिर शुरू होता था हंसी–मज़ाक, किस्से–कहानियां सुनने–सुनाने का सिलसिला, जो देर रात तक जारी रहता था। जब उनकी आंखें झपकने लगतीं, ज़बान साथ छोड़ देती, तभी वे सोने का नाम लेते थे। इस तरह वे वर्षों से एक परिवार की तरह वहां रहते आ रहे थे। इसी परिवार के सबसे वरिष्ठ सदस्य–मास्टर ने आज अचानक नौकरी से इस्तीफ़ा दे दिया था। उसने इस्तीफ़े की वजह किसी को नहीं बताई थी।

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हास्य व्यंग्य में
प्रदीप मैथानी का व्यंग्य
हम ऐसे क्यों हैं

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पर्यटन में
दीपिका जोशी के साथ दक्षिण अफ्रीका में 
रोमांचक जंगलों का सफ़र

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आज सिरहाने में
विश्वनाथ त्रिपाठी परिचित करवा रहे हैं सांझी कथा यात्रा
कहानी संग्रह से

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साक्षात्कार में
लवलीन से मधुलता अरोरा की बातचीत
सवाल आपकी सामर्थ्य का है

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1सप्ताह का विचार1
ज्ञान धन से श्रेष्ठ है क्यों कि धन की तुमको रक्षा करनी पड़ती है और ज्ञान तुम्हारी रक्षा करता है। —हितोपदेश

 

अनुभूति में

निर्मला जोशी, 
डा ऋषिपाल धीमान
और
महेशचंद्र द्विवेदी की 
16 नई रचनाएं

–° पिछले अंकों से °–

कहानियों में
काहे को ब्याही विदेशउत्कर्ष राय
कैक्टस–प्रत्यक्षा
काला सागर तेजेन्द्र शर्मा
रामलीला–प्रेमचंद
पिटी हुई गोट–शिवानी
कल्याण का अंत–जयनंदन

°

रचना प्रसंग में
प्राण शर्मा के धारावाहिक साहित्य
विवेचन की अगली किस्त
उर्दू ग़जल बनाम हिन्दी ग़जल (भाग–3)

°

मंच मचान में
अशोक चक्रधर के शब्दों में 
इस वास्ते अनुरोध है

°

फुलवारी में
माइक्रोवेव अवन, साबुन और
वाशिंग मशीन के
आविष्कारों की कहानी
साथ ही शिल्पकोना में 
सूंड़ हिलाता हाथी

°

घर परिवार में
वास्तु विवेक के अंतर्गत सुरेश श्रीमाली
बता रहे हैं
फेंगशुई के स्वर्णिम सूत्र

°

प्रौद्योगिकी में
रविशंकर श्रीवास्तव का आलेख
विश्वजाल पर शब्दकोश

°

विज्ञान वार्ता में
डा गुरूदयाल प्रदीप से जानकारी
सूंघने में छुपे रहस्य और नोबेल पुरस्कार

 

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© सर्वाधिकार सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना   परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन     
       सहयोग : दीपिका जोशी
तकनीकी सहयोग :प्रबुद्ध कालिया
  साहित्य संयोजन :बृजेश कुमार शुक्ला