SHUSHA HELP /लेखकों से/ UNICODE  HELP
केवल नए पते पर पत्रव्यवहार करें


24. 5. 2007

आज सिरहाने उपन्यास उपहार कहानियाँ कला दीर्घाकविताएँ गौरवगाथा पुराने अंक नगरनामा रचना प्रसंग पर्व-पंचांग
घर–परिवार दो पल नाटकपरिक्रमा पर्व–परिचय प्रकृति पर्यटन प्रेरक प्रसंग प्रौद्योगिकी फुलवारी रसोई लेखक
विज्ञान वार्ता विशेषांक हिंदी लिंक साहित्य संगम संस्मरण साहित्य समाचार साहित्यिक निबंध स्वास्थ्य
हास्य व्यंग्य

इस सप्ताह—
समकालीन कहानियों में
यू.के. से महावीर शर्मा की कहानी वसीयत
सुबह नाश्ते के लिए कुर्सी पर बैठा ही था कि दरवाज़े की घंटी बज उठी। उठने लगा तो सीमा ने कहा, "आप चाय पीजिए, मैं जाकर देखती हूँ।"
दरवाज़ा खोला तो पोस्टमैन ने सीमा के हाथ में चिट्ठी देकर दस्तख़त करने को कहा।
"किस की चिट्ठी है?" मैंने बैठे-बैठे ही पूछा।
चिट्ठी देख कर सीमा ठिठक गई और आश्चर्य से बोली, "किसी सॉलिसिटर का है। लिफ़ाफ़े पर भेजने वाले का नाम 'जॉन मार्टिन-सॉलिसिटर्स' लिखा है।"
यह सुनते ही मैंने चाय का प्याला होंठों तक पहुँचने से पहले ही मेज़ पर रख दिया। इंग्लैंड में वैध रूप आया था, और इस 65 वर्ष की आयु में वकील का पत्र देख कर दिल को कुछ घबराहट होने लगी थी। उत्सुकता और भय का भाव लिए पत्र खोला तो लिखा था-

*

हास्य-व्यंग्य में
प्रेम जनमेजय सुना रहे हैं कन्या-रत्न का दर्द
आप यह मत सोचिए कि मैं कोई साधु संत या फिर आधुनिक बाबा-शाबा हो गया हूँ और आप को माया मोह से दूर रहने की सलाह देकर स्वयं माया बटोरने का जाल बिछा रहा हूँ तथा इस क्रम में आप को कन्या रत्न के दर्द को समझने का प्रवचन दे रहा हूँ। न ही मैं प्लूटो के ग्रहों के चक्कर से दूर हो जाने पर कन्या जैसे किसी रत्न को धारण करने की सलाह दे अपना व्यवसाय जमा रहा हूँ । मैं ऐसा क्यों और क्या कर रहा हूँ, आप भी जानिए। उस दिन मैं जल्दी में था। मुझे अस्पताल पहुँचना था। अस्पताल की ओर जाने वाला हर व्यक्ति जल्दी में होता है, यह अलग बात है कि अस्पतालवाले कभी जल्दी में नहीं होते।

*

धारावाहिक में
ममता कालिया के उपन्यास दौड़ की दूसरी किस्त
एल.पी.जी. विभाग में काम करने वालों के हौसले और हसरतें बुलंद हैं। सबको यकीन है कि वे जल्द ही आई। ओ.सी. को गुजरात से खदेड़ देंगे। निदेशक से ले कर डिलिवरी मैन तक में काम के प्रति तत्परता और तन्मयता है। मेम नगर में जहाँ जी.जी.सी.एल. का दफ़्तर है, वह एक खूबसूरत इमारत है, तीन तरफ़ हरियाली से घिरी। सामने कुछ और खूबसूरत मकान हैं जिनके बरामदों में विशाल झूले लगे हैं। बगल में सेंट ज़ेवियर्स स्कूल है। छुट्टी की घंटी पर जब नीले यूनीफार्म पहने छोटे-छोटे बच्चे स्कूल के फाटक से बाहर भीड़ लगाते हैं तो जी.जी.सी.एल. के लाल सिलिंडरों से भरे लाल वाहन बड़ा बढ़िया कांट्रास्ट बनाते हैं लाल नीला, नीला लाल।

*

विज्ञान वार्ता में
डॉ. गुरुदयाल प्रदीप का आलेख रक्तदान महादान

रक्त रुधिर. . .ख़ून जी हाँ, लाल रंग का यह तरल ऊतक हमारा जीवन-आधार है। हालाँकि हमारे शरीर में इसकी मात्रा मात्र चार से पाँच लीटर ही होती है, फिर भी यह हमारे लिए बहुमूल्य है। इसके बिना हम जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते। जीवन को चलाए रखने में यह कौन-कौन-सी भूमिका अदा करता है, इसकी लिस्ट तो लंबी-चौड़ी है फिर भी इसके कुछ मुख्य कार्य-कलापों पर दृष्टिपात करने पर ही इसके महत्व का पता चल जाता है। शरीर की लाखों-करोड़ों कोशिकाओं को आक्सीजन तथा पचा-पचाया भोजन पहुँचा कर यह उनके ऊर्जा-स्तर को बनाए रखने से लेकर भरण-पोषण की ज़िम्मेदारी उठाता है। उन कोशिकाओं से कार्बन-डाई-ऑक्साइड तथा यूरिया जैसे विषैली गैसों एवं रसायनों को निकालने के कार्य में भी यह लगा रहता है।

*

साहित्य समाचार मे

सप्ताह का विचार
देश कभी चोर उचक्कों की करतूतों से बरबाद नहीं होता बल्कि शरीफ़ लोगों की कायरता और निकम्मेपन से होता है। - शिव खेड़ा

 

यश छाबडा, हरि बिंदल, तुषार जोशी, मीनाक्षी गोयल
और
डॉ सोनाली नरगुंदे
की नई रचनाएँ

मित्रों,  अभिव्यक्ति का 16 जून का अंक अमलतास विशेषांक होगा। इस अवसर पर अमलतास से संबंधित कहानी, व्यंग्य, नाटक, निबंध तथा अन्य विधाओं में रचनाएँ आमंत्रित हैं। रचना हमारे पास 1 जून तक अवश्य पहुँच जानी चाहिए। --टीम अनुभूति

-पिछले अंकों से-
कहानियों में
मुलाक़ात - शिबन कृष्ण रैणा
थोड़ा आसमान ...- रवींद्रनाथ भारतीय
क्या हम दोस्त...-उमेश अग्निहोत्री
संक्रमण
- कामतानाथ
फ्रैक्चर - डॉ० मधु संधु
चश्मदीद - एस आर हरनोट

*

हास्य व्यंग्य में
संसद में बंदर - राजेन्द्र त्यागी
अपुन का ताज़ा एजेंडा!-गुरमीत बेदी
सारा डेटा पा जाएगा बेटा-अशोक चक्रधर
मैच फ़िक्सिंग के...-अविनाश वाचस्पति

*

ललित निबंध में
डॉ. शोभाकांत झा का आलेख
अपवित्रो पवित्रो वा

*

आज सिरहाने
श्रीप्रकाश शुक्ल का कविता संग्रह
जहाँ सब शहर नहीं होता

*

संस्मरण में
मोहन थपलियाल की
कटोरा भर याद में डूबी टिहरी
*

संस्कृति में
वैद्य अनुराग विजयवर्गीय के शब्दों में
दूब तेरी महिमा न्यारी

*

फुलवारी में
मौसम की कहानी का अगला भाग

कोहरा क्यों होता हैं?
*

रसोईघर में
माइक्रोवेव-अवन में पक रही है
गोभी की सूखी सब्ज़ी
*

महानगर की कहानियों में
मधु संधु की लघुकथा
थैंक्यू
*

रचना प्रसंग में
महेश अनघ समझा रहे हैं
नवगीत का वस्तु विन्यास

*

साहित्यिक निबंध में
डॉ. ऋषभदेव शर्मा का आलेख
भूमंडलीकरण की चुनौतियाँ : संचार माध्यम और हिंदी का संदर्भ

अपनी प्रतिक्रिया   लिखें / पढ़ें

Click here to send this site to a friend!

आज सिरहानेउपन्यास उपहार कहानियाँ कला दीर्घा कविताएँ गौरवगाथा पुराने अंक नगरनामा रचना प्रसंग पर्व पंचांग
घर–परिवार दो पल नाटक परिक्रमा पर्व–परिचय प्रकृति पर्यटन प्रेरक प्रसंग प्रौद्योगिकी फुलवारी रसोई लेखक
विज्ञान वार्ता विशेषांक हिंदी लिंक साहित्य संगम संस्मरण साहित्य समाचार साहित्यिक निबंध स्वास्थ्य
हास्य व्यंग्य

© सर्वाधिकार सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
-|-
सहयोग : दीपिका जोशी

 

 

Google
Search WWW Search www.abhivyakti-hindi.org