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                  सप्ताह 
                  
                  का 
                  
                  विचार- 
                  कुमंत्रणा से राजा का, कुसंगति से 
					साधु का, अत्यधिक दुलार से पुत्र का और अविद्या से ब्राह्मण का 
					नाश होता है।- विदुर  | 
                     
                   
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                   अनुभूति 
                  में-
                   
                  कुमार रवींद्र, अमर ज्योति  नदीम, सुबोध श्रीवास्तव, संतोष कुमार सिंह 
                  और रमा द्विवेदी की रचनाएँ।  | 
                 
               
             
              
              
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                    इस सप्ताह 
                      
              वरिष्ठ कथाकारों की प्रसिद्ध कहानियों 
					के स्तंभ गौरवगाथा में राजी सेठ की कहानी- 
					तुम भी 
                    
                    
					  
                    
                    रात जब उसकी नींद खुली तो आज फिर 
					वह बिस्तर पर नहीं था। दो क्षण अडोल पड़ी रही। बाथरूम की दिशा 
					में कान दिए...रात खामोश थी...कोई आवाज़ न होने से उसे लगा, दिन 
					होने में देरी है...बीच रात का पहर है...सन्नाटे से भरा।
					दरवाज़े की साँकल हलकी-सी बजी...खिस्स-खिस्स की ध्वनि। 
					पूर्व ज्ञान न होता तो शायद समझ न पाती कि बोरी घसीटी जाकर 
					दरवाज़े के पीछे रख दी गई है। प्राण जैसे कहीं और बँधे हों, ऐसी 
					सीने के भीतर टँगी जाती साँस...चुप पड़ी रही। वह आया...सुराही 
					से पानी उँड़ेला...गटगट पिया और धीरे, बहुत धीरे खाट पर बैठ 
					गया। ''क्यों करते हो तुम यह पाप?'' पत्नी ने उठकर उसकी कलाई 
					पकड़ ली। पर यह उसके अपने हाथ में अपनी ही कलाई थी। पति की कलाई 
					पकड़कर यों कह डालने का साहस उसमें नहीं था...उस क्षण का सामना 
					करने का...पति को लज्जित करने का...पूरी कहानी पढ़ें। 
                    
                    
                    * 
                    शम्भूनाथ सिंह का व्यंग्य 
					बाजार में निकला हूँ 
 * 
                    
                    योगेश विक्रान्त का आलेख 
					हिंदी रंगमंच : मंचन के पीछे की पीड़ा 
                    
                    
                    * 
                    
                    वीरेंद्र मेंहदीरत्ता की कलम से 
					सुषम बेदी का उपन्यास- गाथा अमरबेल की 
                    * 
                    
      गृहलक्ष्मी के साथ गपशप 
		रंग लाती है हिना   | 
                   
                 
                 
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      पिछले सप्ताह 
              
                      
                    पवन चंदन का व्यंग्य 
                    झाँको, खूब झाँको, झाँकते रहो 
 * 
                    
                       मधुलता अरोरा की कलम से  
                    कथा यू.के. के सोलह साल 
                    
                    
                    * 
                    
                    शैलेन्द्र चौहान का साहित्यिक 
                    निबंध 
                    साहित्य में वैज्ञानिक एवं 
                    सामाजिक चेतना 
                    * 
                    
      समाचारों में 
      देश-विदेश से  
      साहित्यिक-सांस्कृतिक सूचनाएँ 
      
                      
                    *
                    समकालीन कहानियों में 
                    यू.के. 
                    से महेन्द्र दवेसर की कहानी 
                    सुरभि 
                    
                    
                      
                    कहानियों सी 
                    कहानी नहीं हूँ मैं! मगर कहानी बन गयी हूँ, और कुछ कर नहीं 
                    सकती! जज साहिब ने प्रेस पर से रिपोर्टिंग की पाबन्दी क्या 
                    हटाई, मैं तो वेश्याओं से भी बदतर हो गयी । वेश्याएँ बिकती हैं 
                    तो बन्द कमरों में नग्न होती हैं। मैं तो नंगी की जा रही हूँ 
                    खुले आम– सड़कों पर, दुकानों में, किसी की भी गोद में, मेज़ पर, 
                    बिस्तर में . . . कहीं भी! मैं पढ़ी जा रही हूँ, कही जा रही 
                    हूँ, सुनी जा रही हूँ!! पत्रकार तो वैसे ही बढ़ा चढ़ाकर, नमक 
                    मिर्च लगाकर लिखते हैं। रही सही कसर लोग पूरी कर देते हैं। जितने कलम 
                    उतनी घातें, जितने मुँह उतनी बातें। जब किसी के हाथ में पत्थर 
                    आ जाता है, तो सामने वाला घायल हो जाता है। उसकी हत्या तक हो 
                    जाती है। मैं किसी के हाथ का पत्थर नहीं हूँ जो किसी को चोट 
                    पहुँचा सकूँ। ...  पूरी कहानी पढ़ें।   |