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८. ११. २०११

इस सप्ताह-

अनुभूति में-
आनंद कुमार गौरव, रेखा राजवंशी, श्रद्धा यादव, त्रिलोक सिंह ठकुरेला, और ओमप्रकाश नदीम की रचनाएँ।

- घर परिवार में

रसोईघर में- सर्दियों के मौसम में पराठों के क्या कहने-! १५ व्यंजनों की स्वादिष्ट शृंखला में इस सप्ताह प्रस्तुत हैं- पालक पनीर का पराठा।

बचपन की आहट- संयुक्त अरब इमारात में शिशु-विकास के अध्ययन में संलग्न इला गौतम की डायरी के पन्नों से- शिशु का ४८वाँ सप्ताह।

स्वास्थ्य सुझाव- आयुर्वेदिक औषधियों के प्रयोग में शोधरत अलका मिश्रा के औषधालय से- बदन के दर्द में कपूर और सरसों का तेल

वेब की सबसे लोकप्रिय भारत की जानीमानी ज्योतिषाचार्य संगीता पुरी के संगणक से- १ दिसंबर से १५ दिसंबर २०११ तक का भविष्यफल।

- रचना और मनोरंजन में

कंप्यूटर की कक्षा में- Alt कुंजी के साथ <left arrow> या <right arrow> से हम पहले या बाद के जालपृष्ठ पर जा सकते हैं।...

नवगीत की पाठशाला में- कार्यशाला-१९, में इस सप्ताह १ दिसंबर से नई रचनाओं के प्रकाशन का क्रम प्रारंभ हो जाएगा। 

लोकप्रिय कहानियों के अंतर्गत- अभिव्यक्ति के पुराने अंकों में से प्रस्तुत है- ९ अक्तूबर २००२ को प्रकाशित गौतम सचदेव की कहानी— आकाश की बेटी

वर्ग पहेली-०५७
गोपालकृष्ण-भट्ट
-आकुल और रश्मि आशीष के सहयोग से

सप्ताह का कार्टून-             
कीर्तीश की कूची से

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साहित्य एवं संस्कृति में-

1
समकालीन कहानियों में भारत से
राजीव पत्थरिया की कहानी- खबर की खबर

रोज की तरह राकेश आज भी सुबह उठने में लेट हो गया था। वह जल्दी-जल्दी तैयार हो रहा था इतने में उसका मोबाईल बजने लगा। "हैलो, सर मैं कुल्लू से बोल रहा हूँ, रात को बादल फटने से हाईडल प्रोजेक्ट की लेबर उसमें बह गई है और भारी नुकसान हुआ है।" यह फोन राकेश के स्ट्रिंगर नारायण सिंह का था। सुबह-सुबह ऐसी सूचना पर खीझते हुए आदतन राकेश बोला, "अबे यह बता की कितने मरे हैं क्या मेरे आने की जरूरत है या तुम खुद इसकी रिपोर्टिंग कर लोगे।" "बादल फटने वाली जगह पर ४-५ दर्जन के करीब मजदूर आपने परिवारों के साथ रहते थे, बचा कोई नहीं है, रेस्कयू वर्क शुरू हो गया है ८-१० लाशें तो मिल गई हैं। आप फोटोग्राफर को लेकर साथ आ जाएँ, मैं स्पॉट पर निकल गया हूँ।" "ठीक है नारायण सिंह, तुम निकलो मुझे आने में दो घंटे तो लग ही जाएँगे मैं फोटोग्राफर को लेकर आ रहा हूँ", राकेश ने कहा और तुंरत फोटोग्राफर को फोन कर हाईवे के चौक पर मिलने को कहा। चूँकि दुर्घटना बड़ी थी और टैक्सी लेकर वहाँ तक जाना था इसलिए विस्तार से पढ़ें...

माधव नागदा की लघुकथा
अभिलाषा
*

रामकृष्ण का आलेख
भय का भगवान महा भैरव

*

पुनर्पाठ में पर्यटक के साथ
विचरना वियना में
*

समाचारों में
देश-विदेश से साहित्यिक-सांस्कृतिक सूचनाएँ

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पिछले सप्ताह-

1
मनोहर पुरी का व्यंग्य
गरीबों की संसद
*

श्रीश बेंजवाल का आलेख
कंप्यूटिंग के पितामह डेनिस रिची

*

राम गुप्त का आलेख
बाबर की कहानी नानक की जुबानी
*

पुनर्पाठ में नीरजा द्विवेदी का
संस्मरण- वह कौन थी

*

उपन्यास अंश में भारत से प्रदीप सौरभ के उपन्यास
'देश भीतर देश' का एक अंश- 'मुखौटे और सवाल'

वह है, था, रहेगा, उसकी जिंदगी के तीन चेहरे ही मैं देख पाया। वैसे लगता है कि उसके हर चेहरे पर कई-कई मुखौटे मौजूद हैं। उसकी जीवन यात्रा तो पचास साल पहले शुरू हुई थी। मैंने उसे उसकी युवा अवस्था में देखा था। लगभग तीन दशकों की उसकी यात्रा का मैं साक्षी रहा हूँ। इस दौरान उसने मुखौटे पर मुखौटे चढाए। सवाल है कि आखिर एक इंसान के चेहरे पर कितने मुखौटे होते हैं? और इंसान इन्हें लगाने के लिए क्यों मजबूर हो जाता है? नई दिल्ली रेलवे स्टेशन। प्लैटफार्म नम्बर पर सात पर खास तरह के यात्री थे। अपनी शक्ल सूरत और वेशभूषा के चलते वे सबका ध्यान खींच रहे थे। इसी प्लैटफार्म पर गुवाहाटी की ओर जाने वाली ब्रम्हपुत्र एक्सप्रेस खड़ी थी। यात्री अपनी बोली-भाषा में बतिया रहे थे। आसपास खडे यात्रियों को उनकी बातचीत समझ नहीं आ रही थी। कुछ चुहलबाज उन्हें चिंकी बता रहे थे, कुछ नेपाली, कुछ बर्मी...  विस्तार से पढ़ें...

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यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।

प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
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सहयोग : दीपिका जोशी

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