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					इस सप्ताह-  | 
				 
				
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					 अनुभूति 
					में- 
					 
					मानोशी चैटर्जी, प्राण 
					शर्मा, श्रीनिवास श्रीकांत, कृष्ण कन्हैया और भगवत शरण अग्रवाल 
					की रचनाएँ।  | 
				 
				 
 
                      
                
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                  - घर परिवार में  | 
				 
                
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					रसोईघर में- दाल हम रोज खाते हैं, पर कुछ नया हो तो क्या 
					बात? प्रस्तुत है १२ 
					व्यंजनों की स्वादिष्ट शृंखला में- 
					
					उड़द की दाल- 
					भुनी प्याज वाली।  | 
				 
                
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					बचपन की 
					आहट- संयुक्त अरब इमारात में शिशु-विकास के अध्ययन में 
					संलग्न इला गौतम से जानें एक साल का शिशु-
					
					सोते समय दूध की बोतल।
					
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                  बागबानी में- 
					
						
						चाय की पत्ती 
					पौधों की खाद 
					चाय की पत्ती पौधों के लिये बहुत अच्छी खाद है। इसे सुखा लें 
					और मिट्टी में मिला दें। ...   | 
                 
                
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                  वेब की सबसे लोकप्रिय भारत की 
					जानीमानी ज्योतिषाचार्य संगीता पुरी के संगणक से-
					१ अप्रैल से १६ 
					अप्रैल २०१२ तक का भविष्यफल।
									
									
									
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				- रचना और मनोरंजन में  | 
                 
                
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					नवगीत की पाठशाला में- 
                  कार्यशाला-२१ में हरसिंगार के फूल पर 
					आधारित नवगीतों का प्रकाशन निरंतर जारी है। रचनाएँ अभी भी भेजी 
					जा सकती हैं।    | 
                 
                
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		साहित्य समाचार में-
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                  | 
                   
              
					लोकप्रिय कहानियों के अंतर्गत- 
				प्रस्तुत है- १ फरवरी २००४  को 
				प्रकाशित, 
					भारत से 
					विनीता अग्रवाल की कहानी— 
				रेशमी लिहाफ 
				   | 
                 
                
                  
                  	
			
		
		
			
		
		
			
		 
		
		
		
		वर्ग पहेली-०७४ 
				गोपालकृष्ण-भट्ट-आकुल 
		और रश्मि आशीष के सहयोग से 
                  
                  
                   | 
                 
                
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                   सप्ताह 
					का कार्टून-             
					 
             
					
					कीर्तीश 
					की कूची से  | 
                 
                
                  | 
                                       
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					साहित्य एवं 
					संस्कृति में-   | 
                   
                  
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					1 
					समकालीन कहानियों में 
					यू.के. से अचला शर्मा की 
					कहानी- 
					दिल में एक कसबा है 
                    
					
                    
					  
                    
                    “हलो मिसेज़ 
					जी!” प्रभा को यह संबोधन ज़हर जैसा लगता है। 
					कैंटिश टाऊन के एक घर के नीचे तल्ले के फ़्लैट की घंटी बजाकर 
					पिछले दो मिनट से वह उसके खुलने का इंतज़ार कर रही थी। ये दो 
					मिनट बीस मिनट जैसे लगे। हाथ के बैग प्रभा ने ज़मीन पर रख दिए 
					थे। प्लास्टिक के बैग उठाए उठाए हथेलियों में लकीरें उभर आईं 
					थीं। एक बैग में खाने के डिब्बे हैं और दूसरे में उसके रात के 
					कपड़े। पहली बार इस बात पर खीज हुई कि क्यों नहीं कार से आई। 
					कार से आती तो यह झोले उठाकर अंडरग्राउंड स्टेशन से यहाँ तक का 
					सफ़र इतना मुश्किल ना होता। आमतौर पर यहाँ के होमलैस लोग इस 
					तरह प्लास्टिक के झोलों में अपनी गृहस्थी उठाए घूमते हैं। 
					लेकिन प्रभा जब घर से निकली थी तो महसूस हुआ था पैरों में जैसे 
					कार के पहिए लग गए हैं। तय किया था कि आज पैदल ही चलेगी। कई 
					दिनों से चलना फिरना कम हुआ है। टाँगें जकड़ सी गई हैं। वैसे 
					भी मौसम बदल गया है।
					विस्तार 
					से पढ़ें... 
					
					*
      डॉ. गौतम सचदेव का व्यंग्य 
		भारतीय भ्रष्ट संघ का भारत बंद 
		
					* 
							
      फुलवारी में पहली अप्रैल के अवसर पर  
		शीला इंद्र की बालकथा- 
		पत्थर ही पत्थर   
		* 
					
      रंगमंच में वंदना शुक्ल की प्रस्तुति  
		नाटक - क्रमिक विकास, 
		प्रयोग और प्रयोजन 
		* 
                    
      पुनर्पाठ में कलादीर्घा के अंतर्गत 
		चित्रकार बी प्रभा के विषय 
		में   | 
                   
                  
                    | 
                     
                    
					
					अभिव्यक्ति समूह 
					की निःशुल्क सदस्यता लें।  | 
                   
                   
                 
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                    पिछले सप्ताह- 
					चैत्र नवरात्र व रामनवमी पर | 
		 
		
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					1 
					डॉ. संजीव कुमार का दृष्टिकोण 
		तुलसी का रामराज 
		और वर्तमान में उसकी प्रासंगिकता 
		
					* 
							
      ज्योतिर्मयी पंत से पर्व परिचय 
		उल्लास और आदर्श का स्मरण पर्व 
		राम नवमी  
		* 
					
      आकाश अग्रवाल से स्वास्थ्य चर्चा  
		बिना खर्च की औषधि है उपवास 
		* 
                    
      पुनर्पाठ में चंद्रकांता का संस्मरण 
		
		देखना जानना और होना 
		* 
                    साहित्य संगम में
						प्रेमचंद द्वारा हिंदी में 
					रूपांतरित कहानियों में से एक—
					दो वृद्ध 
                    
					
                    
					  
                    
                    एक 
					गाँव में अर्जुन और मोहन नाम के दो किसान रहते थे। अर्जुन धनी 
					था, मोहन साधारण पुरुष था। उन्होंने चिरकाल से बद्रीनारायण की 
					यात्रा का इरादा कर रखा था। अर्जुन बड़ा सुशील, साहसी और दृ़ढ़ 
					था। दो बार गाँव का चौधरी रहकर उसने बड़ा अच्छा काम किया था। 
					उसके दो लड़के तथा एक पोता था। उसकी साठ वर्ष की अवस्था थी, 
					परन्तु दाढ़ी अभी तक नहीं पकी थी।  
					मोहन प्रसन्न बदन, दयालु और मिलनसार था। उसके दो पुत्र थे, एक 
					घर में था, दूसरा बाहर नौकरी पर गया हुआ था। वह खुद घर में 
					बैठा-बैठा बढ़ई का काम करता था। बद्रीनारायण की यात्रा का 
					संकल्प किए उन्हें बहुत दिन हो चुके थे। अर्जुन को छुट्टी ही 
					नहीं मिलती थी। एक काम समाप्त होता था कि दूसरा आकर घेर लेता 
					था। पहले पोते का ब्याह करना था, फिर छोटे लड़के का गौना आ गया, 
					इसके पीछे मकान बनना प्रारम्भ हो गया।
					विस्तार 
					से पढ़ें.  | 
		 
		
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