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 १. १०. २०१८

इस माह-

अनुभूति में-
अविनाश ब्यौहार, अरुण कुमार तिवारी अनजान, शुभम तिवारी शुभ, शैलेश गुप्त वीर और निशा कोठारी की रचनाएँ।

-- घर परिवार में

रसोईघर में- इस माह नवरात्र के अवसर पर व्रत के लिये हमारी रसोई संपादक शुचि प्रस्तुत कर रही हैं - फलाहारी व्यंजनों की विस्तृत शृंखला

स्वास्थ्य में- मस्तिष्क को सदा स्वस्थ, सक्रिय और स्फूर्तिदायक बनाए रखने के २७ उपाय- २५- संवाद से सामाजिकता।

बागबानी- वनस्पति एवं मनुष्य दोनो का गहरा संबंध है फिर ज्योतिष में ये दोनो अलग कैसे हो सकते हैं। जानें- १०- कुश और अश्वगंधा के विषय में।

भारत के विचित्र गाँव- जैसे विश्व में अन्यत्र नहीं हैं-  १०- कड़े जुर्माने वाला गाँव मलाणा।

- रचना व मनोरंजन में

क्या आप जानते हैं- इस माह (अक्तूबर) की विभिन्न तिथियों में) कितने गौरवशाली भारतीय नागरिकों ने जन्म लिया? ...विस्तार से

संग्रह और संकलन- में प्रस्तुत है- सुनीता काम्बोज की कलम से त्रिलोक सिंह ठकुरेला के नवगीत संग्रह- ''समय की पगडंडियों पर'' का परिचय।

वर्ग पहेली- ३०६
गोपालकृष्ण-भट्ट-आकुल और
रश्मि-आशीष के सहयोग से


हास परिहास
में पाठकों द्वारा भेजे गए चुटकुले

साहित्य--संस्कृति-में---नवरात्र के अवसर पर

समकालीन कहानियों में प्रस्तुत है भारत से
नासिरा शर्मा की कहानी-
असली बात

शहर में फसाद हुए आज पहला ही दिन था। हिंदू-मुसलमान मोहल्लों के बीच तमतमाती हवा बह रही थी। प्रशासन ने मौके की नजाकत देख कड़े पहरे और बंदूक के जोर पर उनके जोश पर रोक जरूर लगा दी थी, मगर अंदर खदबदाते लावे को शांत नहीं कर पाए थे। खाली सड़क और गली में पुलिस की गश्त के बावजूद गुनजान घरों की छतों से कभी-कभार सनसनाती बोतलों और अद्धों का आदान-प्रदान जारी था, जिसका पता लगाना पुलिस के लिए मुश्किल था कि किस घर से हमला किस घर पर हुआ है। सो गोलियों की बौछार और हवाई फायर के दबदबे ने या फिर कबाड़ा खत्म हो जाने के कारण दोनों मोहल्लों में रात के आखिरी पहर के लगभग खामोशी छा गई। सिपाही रामदीन की ड्यूटी बताशे वाली गली में लगी थी। आज दंगे का दूसरा दिन था। पूरा शहर होशियार की मुद्रा में खड़ा था। नए एस.पी. ने कड़े आदेश देते हुए पुलिसकर्मियों से साफ शब्दों में कहा था कि तुम्हारी ड्यूटी है कि कोई घटना न घटे, वरना सबको लाइन हाजिर करवा दूँगा। आगे...

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प्रदीपकुमार सिंह कुशवाह
की लघुकथा- नवरात्र
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पर्व परिचय में-
लोक पर्व टेसू-झाँझी
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सुधा अरोड़ा का दृष्टिकोण-
स्त्रीशक्ति की भूमिका से उठते सवाल
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नवरात्र के अवसर पर-
जितेन्द्र चौधरी का आलेख- नवरात्रि में नव-दुर्गा

पिछले अंकों से-

लघुकथा विशेषांक के अंतर्गत

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अपर्णा गुप्ता की लघुकथा- परियाँ

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अलका अस्थाना की लघुकथा- आँगन

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अर्चना गंगवार की लघुकथा- रंगत

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आभा खरे की लघुकथा साझा दर्द

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कविता गुप्ता की लघुकथा घोंसला

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आभा चंद्रा की लघुकथा रिश्ता

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डॉ. आशा सिंह की लघुकथा क्रेडिट कार्ड के सपने और सत्य

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चंद्रकांता चौधरी की लघुकथा माँ

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ज्योत्सना सिंह की लघुकथा भावनाओं के संबल

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तनु श्रीवास्तव की लघुकथा गिरती साख

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पल्लवी मिश्रा की लघुकथा तस्वीर

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प्रीति श्रीवास्तव की लघुकथा कशमकश

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प्रेरणा गुप्ता की लघुकथा धुआँ

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शरदिन्दु मुकर्जी की लघुकथा तमाशबीन

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शरद आलोक की लघुकथा अंतिम समिधा

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इरा जौहरी की लघुकथा रिटायरमेंट के बाद वाला इश्क

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विनोदिनी रस्तोगी की लघुकथा मूर्तिकार

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सीमा मधुरिमा की लघुकथा होली के रंग

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सुमन श्रीवास्तव की लघुकथा रेड लाइट

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आरती मिश्रा की लघुकथा सौभाग्य दुर्भाग्य

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पूर्णिमा वर्मन की लघुकथा संजीवनी

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डॉ. संध्या तिवारी की लघुकथा चिड़िया उड़

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अनीता अग्रवाल की लघुकथा गुरु घंटाल

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पूनम डोगरा की लघुकथा डोर

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कल्पना रामानी की लघुकथा तकलीफ

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त्रिलोचना कौर की लघुकथा एक और पाप

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ज्ञानवती-दीक्षित-की-लघुकथा-साहित्य-के-कूचे-से

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भारती सिंह की लघुकथा भ्रम

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कुंती मुकर्जी की लघुकथा अंगूर का स्वाद
एक दिन मैंने बाग में तोते को अंगूर खाते देखा। मुझे बचपन की पढ़ी लोमड़ी और अंगूर की कहानी याद आ गयी।
मैंने उससे पूछा- "कहो तोते मियाँ, अंगूर कैसे हैं?"

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यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।


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संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

 
सहयोग : कल्पना रामानी
 

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