अनुभूति

 16. 7. 2004

आज सिरहानेआभारउपन्यासउपहारकहानियांकला दीर्घाकविताएंगौरवगाथा पुराने अंक नगरनामा
घर–परिवारदो पलपरिक्रमापर्व–परिचयप्रकृतिपर्यटनप्रेरक प्रसंगफुलवारीरसोईलेखकलेखकों सेविज्ञान वार्ता
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पिछले सप्ताह

ललित निबंध में
केदारनाथ राय का आलेख
कुब्जा सुंदरी

°

वैदिक कहानियों में
डा रति सक्सेना प्रस्तुत कर रही हैं
सोम और सूर्या के विवाह
की कथा

°

साहित्य समाचार में
अंतर्राष्ट्रीय इंदु शर्मा कथा सम्मान
तथा पद्मानंद साहित्य सम्मान समारोहों
पर रपट
लंदन में सम्मान समारोह

°

रसोईघर में
पुलावों के स्वादिष्ट संग्रह में तैयार है
दक्षिण भारत के रसोईघर से
नीबू पुलाव

°

कहानियों में
भारत से विनीता अग्रवाल की कहानी
सलाखों वाली खिड़की

मजमा जमानेवाले जनाज़ा ले कर जा चुके थे और वह सोचती रही थी कि असलियत का अन्दाज़ा किसी को न होगा। पर रिश्तेदारों की पैनी नज़र उसके बदहवासी में कांपते बदन को छेद कर गई थी। उस रात खुद ज़ाहिरा ने ही अपने हाथों से मक्की मछली का शोरबा पका कर भाईजान को परोसा था और पड़ोसिन नूर के घर छिप कर बैठ गई थी इस ग़लतख्याली से कि लोग भाईजान की मौत को खुदकुशी मान लेंगे। वह कैसे किसी से कहती कि महमूद मियां बेवजह उसे पीटते और इलज़ाम धरते थे कि वह उनपर बोझ है और अपनी तीन बरस की दुधमुंही बच्ची के साथ उनकी ज़िन्दग़ी को ख़स्ताहाल बना रही है। वे ऐसे तंगदस्त भी न थे कि मजबूर मुफलिस बहिन को पनाह देने में कोई तकलीफ होती।

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!इस सप्ताह

कहानियों में
भारत से संतोष गोयल की कहानी
एक और कुआनो

असल में पिछली बार विदेश से लौटी तो इतने दिन के अलगाव के पश्चात यहां के घर से तालमेल बैठाने जैसे भयानक जानलेवा काम में जुटी थी। चलने से पहले इन्टरनेट पर कार की बुकिंग कर दी गई थी फिर भी भारत की ढीली प्रबन्धन प्रकिया में फंसी रही। कार मिलने में देर लग रही थी। हीटर वाली कार के लिए इन्तज़ार का मतलब था सात दिन का इन्तज़ार जो अब बर्दाश्त के बाहर हो रहा था। उधर पिछले पांच महीनों से छोड़े गए घर की खाइयों को भरने की कोशिश ज़ारी थी जो खासा बोरियत भरी हो गई थी। दिल्ली जैसे बड़े शहर में टेलिफोन और कार जैसी सुविधाएं न होने पर लगने लगा था कि जनविहीन जंगल में रह रहे हों। न किसी से बात हो न ही कार के बिना जा सकने की संभावना।

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साक्षात्कार में
वरिष्ठ पत्रकार व लेखक पुष्पा भारती से
मधुलता अरोरा की बातचीत
मुझे मुंबई में सारे रिश्ते
मिल गए

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प्रकृति और पर्यावरण में
डॉ• कृपाशंकर तिवारी का आलेख
मुसीबत बनता प्लास्टिक कचरा

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आज सिरहाने में
मनोज भावुक के भोजपुरी ग़ज़ल संग्रह
तस्वीर जिन्दगी के
से परिचित करवा रहे हैं माहेश्वर तिवारी

°

हास्य व्यंग्य में
महेशचंद्र द्विवेदी का चुवावी व्यंग्य
वोटर लिस्ट में नाम न
होने का सुख
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!सप्ताह का विचार!
मिलने पर मित्र का आदर करो, पीठ पीछे प्रशंसा करो और आवश्यकता के समय उसकी मदद करो।
अज्ञात

 

अनुभूति में

यू के, कैनेडा
और
जकार्ता  से
12 नई रचनाएं

साहित्य समाचार त्रिनिदाद से

° पिछले अंकों से°

कहानियों में
कनुप्रिया–शैल अग्रवाल
दफ्तर(उपन्यास अंश)–विभूति नारायण राय
राजा निरबंसियाकमलेश्वर
ग़लतफ़हमीसुरेश कुमार गोयल
चरमराहट तेजेन्द्र शर्मा
चोरी–प्रत्यक्षा
°

नगरनामा में
ट्रांधाईम से रंजना सोनी का नगर वृतांत 
आनंद का समंदर
°

रचना प्रसंग में
विज्ञान साहित्य से साक्षात्कार
संदीप निगम की
शोधपरक बयानगी में
संकल्पना है विज्ञान कथा
°

मंच मचान में
अशोक चक्रधर प्रस्तुत कर रहे हैं
तीन तरह की बत्तीसी
°

फुलवारी में जंगल के पशु श्रृखला में
वनमानुष  के बारे में जानकारी
वनमानुष का चित्र रंगने के लिए
और कविता–वनमानुष
° 

परिक्रमा में
शैल अग्रवाल की लंदन पाती
कब तक
°

साहित्यिक निबंध में
अचला शर्मा द्वारा रेडियो नाटकों के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी रोचक अंदाज़ में
रेडियो नाटक का पुनर्जन्म
°

पर्व परिचय में
दीपिका जोशी के शब्दों में आषाढ की एकादशी का संक्षिप्त परिचय 
शयनी एकादशी
°

उपहार में
शिशुजन्म के अवसर पर शुभकामनाएं भेजने के लिए एक नयी कविता
नये जावा आलेख के साथ
एक सितारा

 

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© सर्वाधिकार सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों  अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना  परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन     
        सहयोग : दीपिका जोशी
तकनीकी सहयोग :प्रबुद्ध कालिया
  साहित्य संयोजन :बृजेश कुमार शुक्ला