अनुभूति

 1. 10. 2004

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पिछले सप्ताह

हास्य व्यंग्य में
एस आर हरनोट का व्यंग्य
रोबो

°

प्रकृति और पर्यावरण में
प्रभात कुमार की कलम से
पर्यावरण, प्रदूषण एवं
आकस्मिक संकट

°

विज्ञान वार्ता में
डा गुरूदयाल प्रदीप के शब्दों में
कथा डी एन की खोज की
 (दूसरा भाग)

°

ब्रिटेन में हिन्दी
के अंतर्गत उषाराजे सक्सेना के आलेख
का दूसरा भाग
विकास में लगी संस्थाएं

°

कहानियों में
भारत से अनामिका रिछारिया की कहानी
अंतराल

दोपहर की नींद से जागा तो देखा, शिखा तैयार हो रही है। शाम के साढ़े चार बज रहे हैं। जब तक मैं बिस्तर छोडूंगा, शिखा और अंकित का छुपा–छुपी का खेल चार–छह बार खेला जा चुका होगा। शिखा भी अंकित के साथ बिल्कुल बच्चा बन जाती है। कितनी ख्याल रखती है उसकी पसंद और नापसंद का। अंकित के कारण अपने व्यक्तिगत कार्य भी स्थगित कर देती हैं। अंकित भी कितना खुला है अपनी मां से। दोनों में मां–बेटे का कम दोस्त का रिश्ता ज्यादा है। मेरे कम बोलने को लेकर दोनों ही मुझे उलाहना देते रहते हैं। मैं सिर्फ मुस्कराकर रह जाता हूं क्योंकि मैं इसका कारण जानता हूं। कितना फर्क है अंकित और मेरे बचपन में।

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इस सप्ताह

कहानियों में
भारत से सुकेश साहनी की कहानी
पेन

उसके अभ्यस्त हाथों ने ईटों के नीचे किसी गुप्त खाने में छिपाकर रखा सामान बहुत जल्दी ढूंढ़ निकाला। डॉक्टर ने पेन और डायरी उससे ले ली। अब वे गंभीर थे। पहले उनका अनुमान था कि हो सकता है बीमार उन्हें मूर्ख बना रहा हो – पेन के नाम पर लकड़ी की डंडी–पकडा दे, डायरी के नाम पर कोई फटा–पुराना कागज। पागलखाने में इस तरह की हरकतें रोगी अक्सर करते रहते हैं, पर उनका अनुमान गलत निकला। उन्होंने बहुत सावधानी से दोनों चीजें अपनी जेब में रख लीं। पांच नम्बर सेल में बंद पागल बहुत आशा भरी नजरों से उनकी ओर देख रहा था। डॉक्टर चलने को हुआ तो पागल ने उनकी कमीज पकड़ ली।

°

नगरनामा में
लंदन का नगर वृत्तांत सुधेश की
यात्रा डायरी से
लंदन की चकाचौंध

°

ब्रिटेन में हिन्दी
के अंतर्गत उषाराजे सक्सेना के आलेख
का तीसरा भाग
भारतीयों के बीच हिन्दी

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मंच मचान में
डा अशोक चक्रधर का अगला संस्मरण
टोटके और उनके घोटके

°

फुलवारी में
आविष्कारों की कहानी के अंतर्गत
इत्र, काग़ज़–स्याही, मेकअप

और शिल्प कोना में बनाया जाए
पुस्तक चिह्न
°

1सप्ताह का विचार1
जि
स राष्ट्र में चरित्रशीलता नहीं है
उसमें कोई योजना काम नहीं कर सकती। — विनोबा

 

अनुभूति में

राष्ट्रपिता को समर्पित संकलन
'तुम्हें नमन'
और
मनोज शर्मा की
कविताएं

हिन्दी दिवस विशेषांक

–° पिछले अंकों से°–

कहानियों में
बूढ़ा शेर–सीमा खुराना 
पानी का रंग–कुसुम अंसल
मातमपुरसी–सूरज प्रकाश
चिड़िया–अमरेन्द्र कुमार
झूमर–भीष्म साहनी
मौखिकी–देवेन्द्र सिंह

°

सामयिकी में
हिन्दी दिवस के अवसर पर उषा राजे सक्सेना का आलेख
यू के में हिन्दी भाग–1
और
कोलंबो से श्री शरणगुप्त वीरसिंहे
का आलेख श्रीलंका हिंदी निकेतन की हिंदी–यात्रा
साथ ही
विजय कुमार मल्होत्रा का आलेख
ऑफ़िस हिंदी
माइक्रोसॉफ्ट की नई सौगात

°

आज सिरहाने में
डा सतीश दुबे परिचय करवा रहे हैं
'वाकिंग पार्टनर' से
°

साहित्यिक निबंध में
डा हजारी प्रसाद द्विवेदी का लेख
अशोक के फूल
°

हमारी संस्कृति में
मानोशी चैटर्जी का आलेख
भारतीय शास्त्रीय संगीत
°

दृष्टिकोण में
डा रति सक्सेना का आलेख
संस्कृति की आड़ में
°

रसोईघर में
पुलावों की श्रृंखला में दक्षिण भारत से हेमा द्वारा भेजा गया व्यंजन
बिसिबेले भात

 

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों  अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना   परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन    
     सहयोग : दीपिका जोशी
तकनीकी सहयोग :प्रबुद्ध कालिया  साहित्य संयोजन :बृजेश कुमार शुक्ला