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पिछले सप्ताह

हास्य व्यंग्य में
संजय ग्रोवर का धारदार प्रहार
अकादमी, अनुदान और लेखक

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प्रौद्योगिकी में
रविशंकर श्रीवास्तव की चेतावनी
सावधान! फिर आया वायरस

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प्रेरक प्रसंग में
सीमा खुराना की लघुकथा
अपना अपना स्वभाव

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साहित्य समाचार में
ओस्लो से माया भारती की रपट
नार्वे ने मनाया हिंदी दिवस

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कहानियों में
भारत से मथुरा कलौनी की कहानी
एक दो तीन

शहर की एक संस्था ने उसे कंप्यूटर के बारे में बोलने के लिए आमंत्रित किया था। मंच से बोलते समय हाल में बैठी एक कन्या ने उसका ध्यान आकर्षित किया। कन्या पांचवीं या छठी पंक्ति में बैठी थी। एकदम उज्वल चेहरा, कंधों तक गोलाई में कटे बाल, आसमानी रंग का कुर्ता तथा गहरे रंग की चुनरी–उसे रोमांच हो गया। उसके दिल में कुछ–कुछ होने लगा। अपना बाकी लेक्चर उसने किसी तरह अटकते–अटकते ही पूरा किया उसका लेक्चर पूरा होते ही लोगों में हॉल से बाहर निकलने के लिए भगदड़ मच गई। यह सीन उसका जाना–पहचाना था। सभी जगह ऐसा ही होता है। जब क्लब के महासचिव उसे धन्यवाद दे रहे थे तो उसने उस कन्या को भी बाहर निकलते देखा।
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इस सप्ताह

कहानियों में
भारत से जयनंदन की कहानी
टेढ़ी उंगली और घी

बिल्टूराम बोबोंगा पर पूरे शहर की निगाहें टिक गई थीं। एक दबा, कुचला, बदसूरत और जंगली आदमी देश का कर्णधार बनने का ख़्वाब देख रहा था। झारखंड मुक्ति संघ नामक एक ऐसी पार्टी का लोकसभा टिकट उसने प्राप्त कर लिया था जिसका तीन–तीन राष्ट्रीय पार्टियों, राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस और सीपीआई से चुनावी तालमेल था। मतलब चार पार्टियों का वह संयुक्त उम्मीदवार बन गया और इस आधार पर ऐसा माना जाने लगा कि उसका जीतना तय है। डॉ रेशमी मलिक सुनकर ठगी रह गई। बाप की जगह बेटे–पोते, बीवी–बहू या मुजरिमों– माफियाओं, फ़िल्म–खेल के चुके हुए सितारों या धन पशुओं के एकाधिकार वाले प्रजातंत्र में एक अदना आदमी को पार्टी का टिकट!

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हास्य व्यंग्य में
अनूप कुमार शुक्ल की डायरी से
पहली अप्रैल का दिन

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पर्यटन में
गुरमीत खुराना के साथ सैर को चलें
चंबा की घाटी

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संस्कृति में
रोहिणी कुमार बोथरा का आलेख
सा से सारंगी

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फुलवारी में
ललित कुमार से जानकारी की बातें
डेन्मार्क, चीन और रूस

 सप्ताह का विचार
र्म, ज्ञान और भक्ति— ये तीनों
जहां मिलते हैं वहीं सर्वश्रेष्ठ पुरूषार्थ
जन्म लेता है। —अरविंद

 

जयप्रकाश मानस, अशोक रावत
और
आनंद शर्मा की
नयी रचनाएं

–° पिछले अंकों से °–

कहानियों में
हिजड़ा–कादंबरी मेहरा
राजा हरदौल–प्रेमचंद
एक बार फिर होली–तेजेन्द्र शर्मा
नकेल–डॉ फ़कीरचंद शुक्ला
गरमाहट–गुरूदीप खुराना
पिकनिक–प्रत्यक्षा

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हास्य व्यंग्य में
सपनों का होमरूम . . .–अशोक चक्रधर
निरख सखी . . .– टी आर चमोली
चुटकी गुलाल की–शैल अग्रवाल
कुछ कुछ होता है–अनूप कुमार शुक्ल
देवलोक से दिव्यलोक–तेजेन्द्र शर्मा

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विज्ञान वार्ता में
डा गुरूदयाल प्रदीप की पड़ताल
बर्डफ्लूःक्या वाकई ख़तरा ह
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आज सिरहाने
संतोष दीक्षित का उपन्यास
शहर में लछमिनिया
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चिठ्ठापत्री में
पंडित जी की दूर दृष्टि
फरवरी माह के चिठ्ठों पर
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घर परिवार में
दीपिका जोशी बता रही हैं कि कैसे
रंगों से बदलें दुनिया
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संस्मरण में
नीरजा द्विवेदी के साथ परदेस में
अटलांटा की होली और वसंत
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रसोइघर में
इस बार घर पर बनाएं
होली के पकवान

 

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना  परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन 
 सहयोग : दीपिका जोशी
फ़ौंट सहयोग :प्रबुद्ध कालिया

     

 

 
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