पुरालेख तिथि-अनुसार। पुरालेख विषयानुसार हिंदी लिंक हमारे लेखक लेखकों से
SHUSHA HELP // UNICODE  HELP / पता-


९. ११. २००९

सप्ताह का विचार-  
महापुरुषों का सर्वश्रेष्ठ सम्मान हम उनका अनुकरण कर के ही कर सकते हैं।  - महात्मा गांधी

अनुभूति में-
महेश अनघ, प्राण शर्मा, आर. पी. शुक्ल,  प्रतापनारायण सिंह,  और नीलम श्रीवास्तव की रचनाएँ।

कलम गहौं नहिं हाथ- पिछले पचीस वर्षों में संयुक्त अरब इमारात देश नवनिर्माण के भयंकर दौर से गुजरा है। अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की इमारतों... आगे पढ़ें

समयिकी में- वरिष्ठ पत्रकार प्रभाष जोशी को आई.बी.एन ७ के महेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की भावभीनी श्रद्धांजलि- हम तुम्हें मरने न देंगे...

रसोई सुझाव- व्यंजन के उबलते ही गैस को धीमा करने और जहाँ तक संभव हो छोटे बर्नर के प्रयोग से ईंधन की बचत की जा सकती है।

पुनर्पाठ में - १६ दिसंबर २००१ को पर्यटन के अंतर्गत प्रकाशित पर्यटक का आलेख- आधुनिकता के दौर में संस्कृति का महापौर- लंदन

क्या आप जानते हैं? कि विश्व के सबसे पहले विश्वविद्यालय का निर्माण भारत के नालंदा नगर में ईसा से ७०० वर्ष पहले हुआ था।

शुक्रवार चौपाल- आज की चौपाल हलचल और रौनक वाली थी। काफ़ी लोग आए हुए थे और एक छोटे एकांकी के मंचन का कार्यक्रम भी था।... आगे पढ़ें

नवगीत की पाठशाला में- जारी है कार्यशाला-५ में दीपावली पर आधारित गीतों का प्रकाशन। यदि आपने अभी तक रचना नहीं भेजी तो तुरंत भेज दें।


हास परिहास

1
सप्ताह का कार्टून
कीर्तीश की कूची से

इस सप्ताह
कथा महोत्सव में पुरस्कृत
मनमोहन भाटिया की कहानी शिक्षा

मुख्य राजमार्ग से कटती एक संकरी सड़क आठ किलोमीटर के बाद नहर पर समाप्त हो जाती है। नहर पार जाने के लिए कच्चा पुल एकमात्र साधन है। जब नहर में अधिक पानी छोड़ा जाता है, तब पुल टूट जाता है और नाव से नहर पार जाया जाता है। अस्थायी पुल जिसे नहर पार के गाँव निवासी खुद बनाते है, बरसात के महीनों में और अधिक पानी के आ जाने पर टूट जाता है। सरकार ने कभी पुल को पक्का करने की नहीं सोची। नहर के पार गाँवों में गरीब परिवारों की संख्या अधिक है। आधे छोटे खेतों में फसल बो कर गुज़ारा करने वाले हैं और आधे दूध बेचने का काम करते हैं। गाय, भैंसें पाल रखी हैं, जिनका दूध वे मुख्य राजमार्ग पर बसे शहर में बेचने जाते हैं। शिक्षा से गाँव वालों का दूर-दूर तक को वास्ता नहीं है। ऐसा लगता था, कि नहर पार आधुनिक सभ्यता ने अपने पैर अभी तक नहीं रखे हैं।
पूरी कहानी पढ़ें...
*

अविनाश वाचस्पति का व्यंग्य
भिखारियों से भेदभाव क्यों

*

स्वदेश राणा का धारावाहिक
नचे मुंडे दी माँ का तीसरा भाग
*11

आज सिरहाने उषा वर्मा द्वारा संपादित
प्रवास में पहली कहानी
*

फुलवारी में कस्तूरी मृग के विषय में
जानकारी, शिशु गीत और शिल्

1

पिछले सप्ताह-
 

प्रेम जनमेजय का व्यंग्य
अँधेरे के पक्ष में उजाला
*

स्वदेश राणा का धारावाहिक
नचे मुंडे दी माँ का दूसरा भाग
*1

वेद प्रताप वैदिक का दृष्टिकोण
इंदिरा गांधी ने बनाया भारत को महाशक्ति
*

नरेन्द्र पुंडरीक का आलेख
जीवन सत्य के उद्घोषक कवि केदारनाथ

*

समकालीन कहानियों में भारत से रूपसिंह चन्देल
की कहानी हादसा

पर्यावरण के संबन्ध में उसे इंडिया इंटरनेशनल सेण्टर में वक्तव्य देना था। हारवर्ड विश्वविद्यालय से 'पर्यावरण प्रबन्धन' की उपाधि लेकर जब एक साल पहले वह स्वदेश लौटा, सरकार के पर्यावरण विभाग ने उसकी सेवाएँ लेने के लिए कई प्रस्ताव भेजे। लेकिन स्वयं कुछ करने के उद्देश्य से उसने सरकारी प्रस्तावों पर उदासीनता दिखाई। वह जानता है कि ऐसी किसी संस्था से बँधने से उसकी स्वतंत्रोन्मुख सोच और विकास बाधित होंगे। वह स्वयं को अपने देश तक ही सीमित नहीं रखना चाहता, बावजूद इसके कि वह अपना सर्वश्रेष्ठ देश के लिए देना चाहता है। पर्किंग से गाड़ी निकालते समय पिता ने पूछा, ''अमि, (उसका पूरा नाम अमित है ) कब तक लौट आओगे?''
''
दो घण्टे का सेमीनार है बाबू जी।.... नौ तो बज ही जाएँगे।'' पूरी कहानी पढ़ें...

अपनी प्रतिक्रिया  लिखें / पढ़ें

Click here to send this site to a friend!

अभिव्यक्ति से जुड़ें   आकर्षक विजेट के साथ

आज सिरहाने उपन्यास उपहार कहानियाँ कला दीर्घा कविताएँ गौरवगाथा पुराने अंक नगरनामा रचना प्रसंग पर्व पंचांग घर–परिवार दो पल नाटक
परिक्रमा पर्व–परिचय प्रकृति पर्यटन प्रेरक प्रसंग प्रौद्योगिकी फुलवारी रसोई लेखक विज्ञान वार्ता विशेषांक हिंदी लिंक साहित्य संगम संस्मरण
डाक-टिकट संग्रहअंतरजाल पर लेखन साहित्य समाचार साहित्यिक निबंध स्वास्थ्य हास्य व्यंग्यडाउनलोड परिसर

© सर्वाधिकार सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।

प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
-|-
सहयोग : दीपिका जोशी

 

 

 

   
Google
Search WWW Search www.abhivyakti-hindi.org

hit counter

आँकड़े विस्तार में
१ २ ३ ४ ५ ६ ७ ८ ९ ०