अभिव्यक्ति-समूह : फेसबुक पर

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 ९. २. २०१५

इस सप्ताह-

अनुभूति में-1डॉ. मनोहर अभय,-किशन साध,-जयप्रकाश मानस,  मंजुल भटनागर और सर्वेश शुक्ला की रचनाएँ।

- घर परिवार में

रसोईघर में- सर्दियों के मौसम में, हमारी रसोई-संपादक शुचि लाई हैं- हर दावत का नूर, स्वाद से भरपूर- गोभी मसालेदार

बागबानी में- कुछ आसान सुझाव जो बागबानी को सफल, स्वस्थ और रोटक बनाने की दिशा में उपयोगी हो सकते हैं- २- दूसरी खाद का समय

जीवन शैली में- १५ आसान सुझाव जो जल्दी वजन घटाने में सहायक हो सकते हैं- ५- क्या पियें और क्या नहीं-  

सुंदर घर- घर को सजाने के कुछ उपयोगी सुझाव जो आपको घर के रूप रंग को आकर्षक बनाने में काम आएँगे- १. सफेद रंग रौशनी का सहयोगी

- रचना व मनोरंजन में

क्या-आप-जानते-हैं- आज के दिन (९ फरवरी को) अभिनेत्री नादिरा, प्रतिभा सक्सेना, अभिनेत्री अमृता सिंह, अभिनेता राहुल राय और ... विस्तार से

नये नवगीत संग्रहों से परिचय के क्रम में इस बार सौरभ पांडेय की कलम से ओमप्रकाश तिवारी के नवगीत संग्रह- खिड़कियाँ खोलो का परिचय

वर्ग पहेली- २२३
गोपालकृष्ण-भट्ट-आकुल और
रश्मि-आशीष के सहयोग से


हास परिहास
में पाठकों द्वारा भेजे गए चुटकुले

साहित्य एवं संस्कृति में-

समकालीन कहानियों में प्रस्तुत है डेन्मार्क से
अर्चना पेन्यूली की कहानी- मीरा बनाम सिल्विया

डेनमार्क का इस्कोन मंदिर घाटे में चल रहा था। कोई नया सदस्य बन नहीं रहा और जो पुराने थे, एक-एक करके छोड़ रहे। नये-नये हाईटेक आध्यात्मिक पंथ खुलते जा रहे हैं जो लोगों को अधिक आकर्षित कर रहे हैं। रवि शंकर का आर्ट ऑफ लिविंग। गुरूमाँ आनन्दमयी। पंतजलि योगपीठ। बाबा रामदेव तो हर जगह छा गये हैं। लिहाजा यह पंथ जिसकी नींव वर्षों पहले पड़ गई थी और जिसने पश्चिमी देशों में आध्यात्मिकता की एक लहर डाल दी थी अब दिवालियेपन की नौबत में आ गया था। सेलेण्ड द्वीप की परिसीमा हिलरोड में कई एकड़ भूमि में फैला विस्तृत एस्कोन आश्रम जो कई वर्ष चला, अन्ततः अनुयायिओं को दिवालियेपन की वजह से छोड़ना पड़ा और उन्हें एक छोटे से अहाते की शरण लेनी पड़ी। मगर यह भी बरकरार रहे इसकी भी उन्हें संभावना कम लग रही थी। उन्होंने भारत स्थित इस्कोन पंथ के अनुयायिओं से अनुरोध किया कि इस पंथ को कोपनहेगन में जीवित रखने के लिए भारत से किसी को भेजें जो यहाँ के नागरिकों को... आगे-
*

अश्विनी कुमार विष्णु की लघुकथा
टपरी वाले का बेटा

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महेन्द्र सिंह लालस का आलेख
भारत में यहूदी
*

स्वामी वाहिद काजमी की कलम से
धातु-शिल्प की अद्भुत कलाकृति : दिल्ली की किल्ली

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पुनर्पाठ में विजय वाते का आलेख
उजाले अपनी यादों के

पिछले सप्ताह-

विश्वम्भर पाण्डेय 'व्यग्र' की
लघुकथा- भिखारी

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नचिकेता का रचना प्रसंग
समकालीन हिंदी गीत के पचास वर्ष
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गुरमीत बेदी के साथ पर्यटन
एक गाँव कलाकारों का

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सामयिकी में नितिन मिश्रा का आलेख
ओबामा-की-भारत-यात्रा : कूटनीतिक-कुशलता-का-कदम

*

समकालीन कहानियों में प्रस्तुत है भारत से
विजय की कहानी- अपने सपने

पूरे ग्यारह साल बाद लौट रहा है बिसेसर। आगरा फोर्ट पर तूफान मेल गाड़ी से उतरा तो असमंजस ने पाँव थाम लिए...बाहर खड़ा कोई ताँगे वाला पहचान लेगा, अरे जो तो अपने बिंद्रा कौ भौड़ा है। और फिर पहले छूटने वाले ताँगे में दबकर बैठना होगा। उतरने पर पर्स निकालेगा तो चाबुक की तरह उछल पडेंगे स्वर... बौत कमाई कर लायो है तो थैली अपनी मैया कू थमा दीजो नई तो बाप कलारी में लुटा आयगो। सवारियाँ प्लेटफार्म से निकल गई और तुफान मेल उलटी सरकने लगी तो वह गेट की तरफ बढ़ा। याद आया कि कभी आगरा फोर्ट स्टेशन भीड़ से चहकता रहता था। एक तरफ बड़ी लाइन का स्टेशन था तो दूसरी तरफ छोटी लाइन का। बड़ी लाइन से टूंडला जाने वाली हर गाड़ी गुजरती थी। मगर पुराना पुल खतरनाक घोषित हो गया। अब तो तूफान मेल भी ईदगाह के रास्ते आती है और फिर वापस आगरा सिटी स्टेशन से होती नए पुल से यमुना पार होती टूंडला से गुजरती है। आगे-

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यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।


प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

 
सहयोग : कल्पना रामानी -|- मीनाक्षी धन्वंतरि
 

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