अनुभूति

 9. 3. 2004

अभिनंदनपत्रआज सिरहानेआभारउपहारकहानियांकला दीर्घाकविताएंगौरवगाथाघर–परिवार
दो पल
परिक्रमापर्व–परिचयप्रकृतिपर्यटनप्रेरक प्रसंगफुलवारीरसोईलेखकलेखकों सेविज्ञान वार्ता
विशेषांक
शिक्षा–सूत्रसाहित्य संगमसंस्मरणसाहित्य समाचारसाहित्यिक निबंधस्वास्थ्यसंदर्भसंपर्कहास्य व्यंग्य 

 


स्वदेश राणा का
नया अप्रकाशित उपन्यास

'
कोठेवाली'

सामयिकी में
पर्व परिचय के अंतरगत होली का पारंपरिक महत्व दामोदर पाण्डेय द्वारा
लेकिन मुझको फागुन चाहिये

°

मंच मचान में
प्रख्यात हास्य कवि काका हाथरसी के जीवन की एक अंतरंग झांकी विशेष रूप से होली विशेषांक के लिए
कभी सरदी कभी गरमी
अशोक चक्रधर की कलम से

°

फुलवारी में
बच्चों के लिए प्रेम जनमेजय की कहानी
होली वाला रोबोट
और होली का एक सुंदर चित्र

रंगने के लिये

°

कहानियों में
भारत से ओमप्रकाश अवस्थी की कहानी
होली मंगलमय हो

दिमाग गुब्बारे–सा हल्का होकर उड़ने लगा था और कदम लड़खड़ा रहे थे तो लगा, शायद मैं भी नशे में हूं। एक ऐसा नशा जो कभी ईसामसीह के सिर जा बैठा था। गौतम बुद्ध भी उसकी चपेट में आकर राजपाट और घर–परिवार तक छोड़ बैठे थे। उसी की मादकता में गांधीजी बैरिस्टरी छोड़–छाड़कर मरते दम तक घूमते रहे थे। वह कोई मामूली नशा नहीं, वह तो सारे नशों का राजा लगता है जो एक बार चढ़ जाने के बाद फिर कभी उतरने का नाम ही नहीं लेता। कहीं उसी का नाम हमदर्दी तो नहीं। जाने भी दो। जैसे होली के तमाम रंग, वैसे ही इस समाज के भी हजारों रंग!
1

!नये अंकों की सूचना के लिये!
अपना ई मेल यहां लिख भेजें।


 

होली विशेषांक

कहानियों में
भारत से प्रभु जोशी की कहानी
अलग अलग तीलियां

दिमाग गुब्बारे–सा हल्का होकर उड़ने लगा था और कदम लड़खड़ा रहे थे तो लगा, शायद मैं भी नशे में हूं। एक ऐसा नशा जो कभी ईसामसीह के सिर जा बैठा था। गौतम बुद्ध भी उसकी चपेट में आकर राजपाट और घर–परिवार तक छोड़ बैठे थे। उसी की मादकता में गांधीजी बैरिस्टरी छोड़–छाड़कर मरते दम तक घूमते रहे थे। वह कोई मामूली नशा नहीं, वह तो सारे नशों का राजा लगता है जो एक बार चढ़ जाने के बाद फिर कभी उतरने का नाम ही नहीं लेता। कहीं उसी का नाम हमदर्दी तो नहीं। जाने भी दो। जैसे होली के तमाम रंग, वैसे ही इस समाज के भी हजारों रंग! 
°

अभिव्यक्ति और अनुभूति
की समीक्षा

भारत की प्रख्यात पत्रिका वागर्थ में

°
ललित निबंध में
महेश कटरपंच का आलेख 
बृज में होली का त्योहार
°

वैदिक कहानियों में
डा रति सक्सेना की कलम से
इंद्र भाग –2
°

समाचार में
यू के व नार्वे के हिन्दी लेखकों की नयी हिन्दी पुस्तकों का विवरण
तीन लोकार्पण समारोह
°

कलादीर्घा में
आधुनिक और पारंपरिक कालाकृतियों से
सुसज्जित
एक नयी कलादीर्घा

कलाकृतियों में होली

!सप्ताह का विचार!
जो भारी कोलाहल में भी संगीत को
सुन सकता है, वह महान उपलब्धि
को प्राप्त करता है।
डा विक्रम साराभाई

 

अनुभूति में

हास्य व्यंग्य
वसंत और होली
की
बीस से अधिक
नयी कविताएं

होली विशेषांक समग्र

° पिछले अंकों से°

कहानियों में
संकल्पनीलम शंकर
उससे मिलनाउषा राजे सक्सेना
अमृतघटडा मीनाक्षी स्वामी
रेशमी लिहाफविनीता अग्रवाल 
विसर्जन मीरा कांत
यह जादू नहीं टूटना चाहियेसूरज प्रकाश
°

विज्ञान वार्ता में
डा गुरूदयाल प्रदीप की कलम से
मंगल ग्रह का कुशल–मंगल
°

आत्मकथा में
इस पार से उस पार से का अगला भाग
यह तो नहीं होना चाहिये था
°

समाचार में हिन्दी की ओर एक और कदम
माइक्रोसॉफ्ट ने प्रस्तुत किया

विंडोज़ व ऑफिस हिन्दी
°
प्रकृति और पर्यावरण में प्रभात कुमार का आलेख आसमान में चित्रकारी
°

आज सिरहाने
संजय ग्रोवर का ग़ज़ल संग्रह 

खुदाओं के शहर में आदमी
°

हास्य व्यंग्य में
भारतभूषण तिवारी का व्यंग्य
पहला विज़िटिंग कार्ड
°

साहित्य समाचार में 
मुंबई से सूरज प्रकाश की रपट
रावी पार का रचना संसार
°

परिक्रमा में
लंदन पाती के अंतर्गत शैल अग्रवाल
घर से घर तक और
नार्वे निवेदन के अंतर्गत प्रभात कुमार
नार्वे में भारतीय तिरंगा
के साथ

 

आपकी प्रतिक्रिया    लिखें / पढ़ें 

अभिनंदनपत्रआज सिरहानेआभारउपहारकहानियांकला दीर्घाकविताएंगौरवगाथाघर–परिवार
दो पल
परिक्रमापर्व–परिचयप्रकृतिपर्यटनप्रेरक प्रसंगफुलवारीरसोईलेखकलेखकों सेविज्ञान वार्ता
विशेषांक
शिक्षा–सूत्रसाहित्य संगमसंस्मरणसाहित्य समाचारसाहित्यिक निबंधस्वास्थ्यसंदर्भसंपर्कहास्य व्यंग्य 

© सर्वाधिकार सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों  अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना  परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन    
      सहयोग : दीपिका जोशी
तकनीकी सहयोग :प्रबुद्ध कालिया  साहित्य संयोजन :बृजेश कुमार शुक्ला