अनुभूति

 24. 7. 2004

आज सिरहानेआभारउपन्यासउपहारकहानियांकला दीर्घाकविताएंगौरवगाथा पुराने अंक नगरनामा
घर–परिवारदो पलपरिक्रमापर्व–परिचयप्रकृतिपर्यटनप्रेरक प्रसंगफुलवारीरसोईलेखकलेखकों सेविज्ञान वार्ता
विशेषांकशिक्षा–सूत्रसाहित्य संगमसंस्मरणसाहित्य समाचारसाहित्यिक निबंधस्वास्थ्यसंदर्भसंपर्कहास्य व्यंग्य

 

पिछले सप्ताह

साक्षात्कार में
वरिष्ठ पत्रकार व लेखक पुष्पा भारती से
मधुलता अरोरा की बातचीत
मुझे मुंबई में सारे रिश्ते
मिल गए

°

प्रकृति और पर्यावरण में
डॉ• कृपाशंकर तिवारी का आलेख
मुसीबत बनता प्लास्टिक कचरा

°

आज सिरहाने में
मनोज भावुक के भोजपुरी ग़ज़ल संग्रह
तस्वीर जिन्दगी के
से परिचित करवा रहे हैं
माहेश्वर तिवारी

°

हास्य व्यंग्य में
महेशचंद्र द्विवेदी का चुवावी व्यंग्य
वोटर लिस्ट में नाम न
होने का सुख

°

कहानियों में
भारत से संतोष गोयल की कहानी
एक और कुआनो

असल में पिछली बार विदेश से लौटी तो इतने दिन के अलगाव के पश्चात यहां के घर से तालमेल बैठाने जैसे भयानक जानलेवा काम में जुटी थी। चलने से पहले इन्टरनेट पर कार की बुकिंग कर दी गई थी फिर भी भारत की ढीली प्रबन्धन प्रकिया में फंसी रही। कार मिलने में देर लग रही थी। हीटर वाली कार के लिए इन्तज़ार का मतलब था सात दिन का इन्तज़ार जो अब बर्दाश्त के बाहर हो रहा था। उधर पिछले पांच महीनों से छोड़े गए घर की खाइयों को भरने की कोशिश ज़ारी थी जो खासा बोरियत भरी हो गई थी। दिल्ली जैसे बड़े शहर में टेलिफोन और कार जैसी सुविधाएं न होने पर लगने लगा था कि जनविहीन जंगल में रह रहे हों। न किसी से बात हो न ही कार के बिना जा सकने की संभावना।

°

नये अंकों की सूचना के लिये
अपना ई मेल यहां लिख भेजें।


 

!इस सप्ताह

कहानियों में
सऊदी अरब से विद्याभूषण धर की कहानी अनोखी रात

कोई कमी नही थी उसके संसार मे, न प्यार की न सौहार्द्र की, न संसाधनो की। गांव मे सब समान थे, एक सूत्र मे बंधे गांव मे कश्मीर के बाकी इलाको की तरह मुसलमान बहुसंख्या मे थे पर सदियो से हिन्दू मुसलमान शीर शक्कर की तरह प्यार व सुकून से रह रहे थे। सुबह जहां गांव के छोटे से मंदिर से शंख व घंटियों की आवाज आती, वही पास की मस्जिद से अज़ान का स्वर उसमे समाहित होकर एक अलौकिक ध्वनि का एहसास कराता था। सब अपने थे, रमज़ान चाचा, हमीदा मामी, शादीलाल, हलींमा आपा, कृषण जू, राहत मौसी . . .और जैसे भूषण गहरी नींद से जागा हो। यह सब याद आते ही भूषण की आंखे भर आई और जो चहरा उसकी आंखो के सामने आया उसकी याद आते ही जैसे किसी ने उसका दिल अपनी मुठ्ठी मे भींच लिया।

°

विज्ञान वार्ता में
मोबाइल और माइक्रोवेव  अॅवन के बारे में
डा गुरूदयाल प्रदीप की चेतावनी 
सावधान! खतरों की भी है संभावना

°

प्रौद्योगिकी में
विश्वजाल पर हिंदी चिठ्ठों के विषय में रविशंकर श्रीवास्तव का आलेख
अभिव्यक्ति का नया माध्यम : ब्लॉग

°

महानगर की कहानियों में
डा सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक' की लघुकथा
दोहरा दान

°

परिक्रमा में
लंदन पाती के अंतर्गत यूके की साहित्यिक गतिविधियों पर शैल अग्रवाल
सुर सावन

1

!सप्ताह का विचार!
जैसे छोटा सा तिनका हवा का रूख़
बताता है वैसे ही मामूली घटनाएं मनुष्य
के हृदय की वृति को बताती हैं।
महात्मा गांधी

 

अनुभूति में

कविताओं में
तरूण भटनागर
व रवि रतलामी
तथा
पाठकनामा में
हरदेव सोंढी अश्क की 12 नई रचनाएं

° पिछले अंकों से°

कहानियों में
सलाखों वाली खिड़कीविनीता अग्रवाल
कनुप्रिया–शैल अग्रवाल
दफ्तर(उपन्यास अंश)–विभूति नारायण राय
राजा निरबंसियाकमलेश्वर
ग़लतफ़हमीसुरेश कुमार गोयल
चरमराहट तेजेन्द्र शर्मा

°

ललित निबंध में
केदारनाथ राय का आलेख
कुब्जा सुंदरी
°

वैदिक कहानियों में
डा रति सक्सेना प्रस्तुत कर रही हैं
सोम और सूर्या के विवाह
की कथा
°

साहित्य समाचार में
अंतर्राष्ट्रीय इंदु शर्मा कथा सम्मान
तथा पद्मानंद साहित्य सम्मान समारोहों
पर रपट
लंदन में सम्मान समारोह
°

रसोईघर में
पुलावों के स्वादिष्ट संग्रह में तैयार है
दक्षिण भारत के रसोईघर से
नीबू पुलाव
°

नगरनामा में
ट्रांधाईम से रंजना सोनी का नगर वृतांत 
आनंद का समंदर
°

रचना प्रसंग में
विज्ञान साहित्य से साक्षात्कार
संदीप निगम की
शोधपरक बयानगी में
संकल्पना है विज्ञान कथा
°

मंच मचान में
अशोक चक्रधर प्रस्तुत कर रहे हैं
तीन तरह की बत्तीसी
°

फुलवारी में  
जंगल के पशु श्रृखला में
वनमानुष  के बारे में जानकारी
वनमानुष का चित्र रंगने के लिए
और
कविता–वनमानुष
° 

 

आपकी प्रतिक्रिया    लिखें / पढ़ें 

Click here to send this site to a friend!

आज सिरहानेआभारउपन्यासउपहारकहानियांकला दीर्घाकविताएंगौरवगाथा पुराने अंक नगरनामा
घर–परिवारदो पलपरिक्रमापर्व–परिचयप्रकृतिपर्यटनप्रेरक प्रसंगफुलवारीरसोईलेखकलेखकों सेविज्ञान वार्ता
विशेषांकशिक्षा–सूत्रसाहित्य संगमसंस्मरणसाहित्य समाचारसाहित्यिक निबंधस्वास्थ्यसंदर्भसंपर्कहास्य व्यंग्य

© सर्वाधिकार सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों  अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना   परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन    
     सहयोग : दीपिका जोशी
तकनीकी सहयोग :प्रबुद्ध कालिया   साहित्य संयोजन :बृजेश कुमार शुक्ला