अनुभूति

 9. 9. 2004

आज सिरहानेआभारउपन्यासउपहारकहानियांकला दीर्घाकविताएंगौरवगाथा पुराने अंक नगरनामा
घर–परिवारदो पलपरिक्रमापर्व–परिचयप्रकृतिपर्यटनप्रेरक प्रसंगफुलवारीरसोईलेखकलेखकों सेविज्ञान वार्ता
विशेषांकशिक्षा–सूत्रसाहित्य संगमसंस्मरणसाहित्य समाचारसाहित्यिक निबंधस्वास्थ्यसंदर्भसंपर्कहास्य व्यंग्य

 

पिछले सप्ताह

नगरनामा में
स्वदेश राणा का आलेख
न्यूयार्क का नगरनामा 
तआरूफ़
अपना बकलम ख़ुद

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पर्यटन में
सैर–सपाटे को निकलते हैं
माया नगरी मुंबई
विभा प्रकाश श्रीवास्तव के साथ

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मंचमचान में
अशोक चक्रधर का अगला संस्मरण
क्या होती है थेथरई मलाई

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फुलवारी में
जानकारी के लिए
आविष्कारों की
कहानी
और शिल्प कोना में कुछ करने के लिए
आओ मिलें गले

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कहानियों में
भारत से सूरज प्रकाश की कहानी
मातमपुर्सी

इस शहर को हमेशा के लिए छोडने के बाद अब यहां से मेरा नाता सिर्फ़ इतना ही रहा है कि साल छः महीने में हफ्ते दस दिन की छुट्टी पर मेहमानों की तरह आता हूं और अपने खास खास दोस्तों से मिल कर या फिर मां बाप के साथ भरपूर वक्त गुज़ार कर लौट जाता हूं। रिश्तेदारों के यहां जाना कभी कभार ही हो पाता है। हर बार यही सोच कर आता हूं कि इस बार सबसे मिलूंगा‚ सब की नाराज़गी दूर करूंगा‚ लेकिन यह कभी भी संभव नहीं हो पाया है। 

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इस सप्ताह

कहानियों में
भारत से कुसुम अंसल की कहानी
पानी का रंग

"रोज़ी यह बहुत अच्छी पेन्टर है ... . .कोई मामूली शख्सियत नहीं . . ." रोज़ी की मुखमुद्रा में तो कोई अन्तर नहीं आता था परन्तु गुल अवश्य ही ट्रांसफार्म सी होकर उस कगार पर पहुंच जाती जाती थी जहां बहुत वर्ष पहले समीर के प्रोम में डूब कर बड़ी फिल्मी अदा से शिमला के 'स्कैन्डल प्वाइंट' से भाग गई थी। आज कौन कह सकता है कि कभी गुल सुन्दरी रही होगी – अमीर बाप की लाड़ली बेटी गुल? समीर का मध्यम वर्गीय परिवार और एक के बाद एक तीन बच्चों का जन्म . . .जब से आज तक बस काम ही काम, अंतहीन व्यस्तता – कभी बच्चों का मंहगा स्कूल, कभी मकान की किश्तें – कितना कुछ था जो उसके व्यक्तित्व को तराश रहा था, कुरेद रहा था।

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साहित्यिक निबंध में
डा हजारी प्रसाद द्विवेदी का लेख
अशोक के फूल

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हमारी संस्कृति में
मानोशी चैटर्जी का आलेख
भारतीय शास्त्रीय संगीत

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दृष्टिकोण में
डा रति सक्सेना का आलेख
संस्कृति की आड़ में

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रसोईघर में
पुलावों की श्रृंखला में दक्षिण भारत से हेमा द्वारा भेजा गया व्यंजन
बिसिबेले भात

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सप्ताह का विचार
नि
राशा के समान दूसरा पाप नहीं। आशा सर्वोत्कृष्ट प्रकाश है तो निराशा घोर अंधकार है — रश्मिमाला

 

अनुभूति में

लक्ष्मीशंकर वाजपेयी
अमिताभ सक्सेना, राधेकांत दवे और सुमन बहुगुणा
की
15 नई कविताएं

साहित्य समाचार में
लंदन में डा कुसुम अंसल के उपन्यास का विमोचन

–° पिछले अंकों से°–

कहानियों में
चिड़िया–अमरेन्द्र कुमार
झूमर–भीष्म साहनी
मौखिकी–देवेन्द्र सिंह
कोसी का घटवारशेखर जोशी
अनोखी रात–विद्याभूषण धर
एक और कुआनो –संतोष गोयल
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प्रौद्योगिकी में
रविशंकर श्रीवास्तव का आलेख
अब कंप्यूटर पूरी तरह हिन्दी में
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प्रकृति में
विश्वनाथ सचदेव की कलम से
बिन चिड़िया का जंगल
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विज्ञान वार्ता में
डा गुरूदयाल प्रदीप सुना रहे हैं
कथा डी एन ए की खोज की
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साक्षात्कार में
रंगकर्मी माला हाशमी से
मनोज कुमार कैन की बातचीत
नुक्कड़ नाटकों की दुनिया

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सामयिकी में
मधुलता अरोरा का आलेख

डाकटिकटों में बखानी तिरंगे की कहानी

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हास्य व्यंग्य में  
महेशचंद्र द्विवेदी की रचना
लॉ एण्ड आर्डर

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आज सिरहाने में एस आर हरनोट के
नये उपन्यास
हिडिम्ब का परिचय
दीपिका जोशी द्वारा

 

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों  अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना   परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन     
        सहयोग : दीपिका जोशी
तकनीकी सहयोग :प्रबुद्ध कालिया   साहित्य संयोजन :बृजेश कुमार शुक्ला