अनुभूति

 24. 11. 2004

आज सिरहानेआभारउपन्यासउपहारकहानियांकला दीर्घाकविताएंगौरवगाथा पुराने अंक नगरनामा
घर–परिवारदो पलपरिक्रमापर्व–परिचयप्रकृतिपर्यटनप्रेरक प्रसंगफुलवारीरसोईलेखकलेखकों सेविज्ञान वार्ता
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पिछले सप्ताह

हास्य व्यंग्य में
यू एस ए से अगस्त्य कोहली का व्यंग्य
नाटक की नौटंकी

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आज सिरहाने में
संजय ग्रोवर के नवीनतम व्यंग्य संग्रह
मरा हुआ लेखक
से परिचय करवा रहे हैं प्रमोद राय

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रसोईघर में
शाकाहारी मुगलई भोजन के अंतर्गत
मेथी मलाई खुंभ

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रचना प्रसंग में
प्राण शर्मा का साहित्य विवेचन
उर्दू ग़जल बनाम हिन्दी ग़जल (भाग–1)

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कहानियों में
यू के से तेजेन्द्र शर्मा की कहानी
काला सागर

दफ्तर के बाहर कुछ लोग जमा थे यानी खबर फैल चुकी थी। सबके चेहरों पर सहमी हुई
उत्सुकता थी। सब दुर्घटना के विषय में जानना चाहते थे। पर कैसे पूछें‚ कौन पूछे। उनके सहायक अफ़जल खान ने ही
उन्हें बताया‚ "सर‚ फ्लाइट ज़ीरो नाइन वन मांटि्रयल से लंदन आ रही थी। रास्ते में ही लंदन के करीब सागर के ऊपर ही फ्लाइट में एक धमाका हुआ और फ्लाइट क्रैश हो गई। अभी पूरी डिटेल्स आनी बाकी है।" विमल महाजन ने अपने आपको व्यवस्थित किया‚ और लंदन फोन मिलाने लगे ताकि पूरा समाचार मिल सके और वे आगे की कार्यवाही आरंभ कर सकें।परंतु फोन मिल नहीं पा रहा था।क्रू लिस्ट देखी।अरूण का नाम उसमें नहीं था। उन्हें काफी राहत महसूस हुई।

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इस सप्ताह

कहानियों में
भारत से प्रत्यक्षा की कहानी
कैक्टस

कंपार्टमेंट में सन्नाटा छा गया है। नाइट लाइट की नीली रौशनी फैल गई है। पर्दे‚ खींच कर बराबर कर दिए गए हैं। सब सो रहे हैं पर मेरी आंखों से नींद मीलों दूर है। बार बार विनी भाभी का चेहरा तैर रहा है। कैसा अजब संयोग था। इस बार मैं आई थी अकेले‚ पापा के पुराने घर का हिसाब किताब करने। घर में रूकी भी थी। पापा के अभिन्न मित्र और पड़ोसी शर्मा जी ने ही सब सरंजाम कर दिया था। जोर डालते रहे अपने घर रूकने के लिए‚ पर मन नहीं माना था। जिस घर में बचपन की इतनी सुहानी यादें बसी थीं‚ वहां रहकर‚ उन भूली बिसरी यादों को सूंघने‚ चखने का अंतिम मौका मैं कैसे चूक जाती।

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प्रौद्योगिकी में
रविशंकर श्रीवास्तव का आलेख
विश्वजाल पर शब्दकोश

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विज्ञान वार्ता में
डा गुरूदयाल प्रदीप से जानकारी
सूंघने में छुपे रहस्य और नोबेल पुरस्कार

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रचना प्रसंग में
प्राण शर्मा के धारावाहिक साहित्य
विवेचन की अगली किस्त
उर्दू ग़ज़ल बनाम हिंदी ग़ज़ल (भाग–2)

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ललित निबंध में
मेहरून्निसा परवेज़ की रम्य रचना
चिठ्ठी में बंद यादें

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1सप्ताह का विचार1
विवेक जीवन का नमक है और कल्पना उसकी मिठास। एक जीवन को सुरक्षित रखता है और दूसरा उसे मधुर बनाता है। —अज्ञात

 

अनुभूति में

दीपावली महोत्सव
का 
अंतिम सप्ताह 
हर रोज ढेर सी 
नई कविताओं 
के साथ

दीपावली विशेषांक समग्र

–° पिछले अंकों से °–

कहानियों में
रामलीला–प्रेमचंद
पिटी हुई गोट–शिवानी
कल्याण का अंत–जयनंदन
फिर कभी सही–दिव्या माथुर
धूल की एक परत–तरूण भटनागर
पेनसुकेश साहनी
°

उपहार में विजयेन्द्र विज की फ्लैश मूवी
के साथ शुभकामनाओं का नया
उपहार
पूजा में दीप जलें
°

घर परिवार में
अनुराधा बता रही हैं हमारी संस्कृति में
स्वस्तिक की महिमा
°

प्रकृति और पर्यावरण में
श्री बालकृष्ण जी कुमावत का आलेख
रामराज्य में प्रकृति और पर्यावरण
°

प्रेरक प्रसंग में
नीरज त्रिपाठी की लघुकथा
दीपों की बातें
°

संस्मरण में डा रति सक्सेना से पीपल के
पात और भीत पर उगा चांद–आस
की कथा–प्यास की व्यथा
°

पर्व परिचय में
दीपिका जोशी बता रही हैं
गोवर्धन और अन्नकूट के विषय में
°

फुलवारी में रंग भरने के लिए
दीपावली का चित्र और शिल्पकोना में
बना कर देखें काग़ज़ की कंदील
°

सामयिकी में
उर्दू के मुसलमान शायरों की
दिवाली पर
सरदार अहमद 'अलीग'
का आलेख
दिया दिवाली का

 

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना  परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन     
       सहयोग : दीपिका जोशी
तकनीकी सहयोग :प्रबुद्ध कालिया   साहित्य संयोजन :बृजेश कुमार शुक्ला