अनुभूति

 16. 1. 2005

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पिछले सप्ताह

संस्मरण में
अमेरिका से खट्टे मीठे संस्मरणों की दौड़
बड़ी सड़क की तेज़ गली में
अतुल अरोरा की कलम से

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मंच मचान में
अशोक चक्रधर के शब्दों में 
तालियों के बीच पसरा सन्नाटा

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प्रेरक प्रसंग में
सारिका कल्याण की लघुकथा
निजी बदलाव

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रसोईघर  में
स्वाद और सुविधा से भरपूर
चटपटी चटनियां

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कहानियों में
यू एस ए से नीलम जैन की कहानी
अंतिम यात्रा

आज का दिन बहुत ही व्यस्त बीता था। शाम से ही नए साल की पार्टियों पर आने जाने वाले उसे एक कोने से दूसरे कोने तक दौड़ाते रहे थे। पार्टी के पश्चात अधिक पिये और बहके लोगों को उनके घरों पर छोड़ते उसने अच्छा–ख़ासा कमा लिया था। कुछ के साथ माथापच्ची भी करनी पड़ी थी। कुल मिला कर वह इस नए साल की नई सुबह के खत्म होने की इंतज़ार में था। उसे और यात्रियों की पड़ी नहीं थी। टैक्सी कम्पनी के आफ़िस ने जब मोबाइल पर उससे संपर्क किया तब वह इस आख़िरी यात्री को ले जाने की हामी भर चुका था। 

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इस सप्ताह

कहानियों में
भारत से संतोष गोयल की कहानी
कोना झरी केतली

असल में कल सारा दिन बेहद थका देने वाला साबित हुआ था। कल नववर्ष की पूर्व संध्या थी। कितनी भी कोशिश करे अपना रोज़मर्रा का रूटीन छोड़ देने का मोह वह त्याग नहीं पाती हालांकि हमेशा थक चूर कर अहद करती कि अगली बार पार्टी अपने घर नहीं रखेगी पर अक्तूबर में दिवाली का हंगामा ख़त्म होने के बोरियत भरे दिनों को बिताते–बिताते वह नववर्ष पर पुनः कमर कसकर तैयार हो गई थी। नतीजा वही . . .बच्चे अपनी दुनिया में व्यस्त रहे और किचन, घर की सजावट सभी काम उसे स्वयं करने पड़े। 

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परिक्रमा में
दिल्ली दरबार से भारत की प्रमुख
घटनाओं पर बृजेश कुमार शुक्ला की रपट
पुनरावलोकन 2004
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हास्य व्यंग्य में
सूरज प्रकाश का समसामयिक व्यंग्य
नया साल कुछ ऐसा हो
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आज सिरहाने में
गौतम सचदेव के व्यंग्य संग्रह
सच्चा झूठ
से परिचय करवा रहे हैं ललित मोहन जोशी
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संस्मरण में
डा सत्यभूषण वर्मा की डायरी से जापान
यात्रा का एक सरस अंश
हाइकु कविताओं के देश में
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पर्व परिचय में 
भारतीय पर्वो की जानकारी के लिए
पर्व पंचांग–2005

!सप्ताह का विचार!
से देश को छोड़ देना चाहिये जहां न आदर है, न जीविका, न मित्र, न परिवार और न ही ज्ञान की आशा।
—विनोबा

 

अनुभूति में

विभिन्न आधुनिक कवियों के
47 नए दोहे
तथा
नए साल की 8
नई कविताएं और

नववर्ष विशेषांक

–° पिछले अंकों से °–

कहानियों में
हवन शेष–सुषम बेदी
रूख़साना–उषा राजे सक्सेना
खरोंच–सुकेश साहनी
आज सोमवार है–परशु प्रधान
काहे को ब्याही विदेशउत्कर्ष राय
कैक्टस–प्रत्यक्षा
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हास्य व्यंग्य में
टाई–नरेन्द्र कोहली
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ललित निबंध में
दुर्गा प्रसाद शुक्ला की कलम से
समय बहता हुआ
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सामयिकी में 
नव वर्ष के अवसर पर बृजेश का आलेख
नई कविता में नया साल
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फुलवारी में आविष्कार की नई कहानियां
और शिल्पकोना में नए साल का
शुभकामना पत्र
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प्रकृति और पर्यावरण में
प्रभात कुमार पर्यावरण की कलम से
पर्यावरण बनाम जनावरण
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प्रौद्योगिकी में
रविशंकर श्रीवास्तव का आलेख
विश्वजाल पर हिन्दी समूह
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विज्ञान वार्ता में
डा गुरूदयाल प्रदीप से जानकारी
सदुपयोग मकड़ी के जाले का
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परिक्रमा में लंदन पाती के अंतर्गत शैल
अग्रवाल का चिर परिचित अंदाज़
पहचान

 

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों  अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
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प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
 सहयोग : दीपिका जोशी
फ़ौंट सहयोग :प्रबुद्ध कालिया