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अनुभूति

16. 7. 2006

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पिछले सप्ताह

हास्य व्यंग्य में
डा नरेन्द्र कोहली की मुसीबत
भोंपू

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पर्व परिचय में
सतीश गुप्त का आलेख
पुरी की रथयात्रा

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घर परिवार में
हिंदी ब्लॉगर की कलम से
दुनिया को बदलता भारत

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रसोईघर में
सबसे जल्दी तैयार होने वाला
मटर पुलाव

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कहानियों में
भारत से रवींद्र बत्रा की कहानी
ज़िंदगी जहां शुरू होती है

इस दुनिया में रोटी कमाने के लिये जो काम आमतौर पर किये जाते हैं, वैसा कोई काम भजनी नहीं करता था। पहले–पहल भजनी को देखने वाला सोच सकता था, कि उसकी जिन्दगी के कुछ ही दिन शेष बचे हैं। उसका शरीर इतना अशक्त था, कि मुश्किल से वह अपने काम करता। अक्सर उसके हाथ कांपते रहते और कमर झुकी होती। बाल अस्त–व्यस्त रहते और आंखों पर चश्मा चढ़ा होता, जिसे भजनी बार–बार ठीक करके इस तरह देखता, जैसे देखने के लिये उसे बहुत मेहनत करनी पडती हो। दिन भर भजनी का यही हाल रहता। पर रात की महफिल में ढोलक की थाप पडते ही, भजनी के मरियल जिस्म में जैसे बिजली कौंध जाती।

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इस सप्ताह

नाटक में
भारत से नितिन उपाध्ये का प्रहसन
रक्तदान

आपके द्वारा किया गया रक्तदान अमूल्य है तथा इससे किसी ज़रूरतमंद की ज़िंदगी बच सकती है। स्वस्थ एवं अठारह वर्ष से अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति तीन महीने के अंतराल पर अपना रक्त दान कर सकता है। स्वेच्छा से रक्तदान करने की व्यवस्था बहुत से देशों में सभ्यता और प्रगति का प्रतीक मानी जाती है। आपको स्वयं रक्तदान कर के गांव के सामने उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए ताकि उन्हें स्वेच्छा से रक्तदान की प्रेरणा मिले। रक्तदान के लिए शिविरों का आयोजन इसीलिए किया जाता है कि लोगों को रक्तदान के महत्व की जानकारी हो और उन्हें इसके विषय में फैली हुई विभिन्न प्रकार की भ्रांतियों और भय से मुक्ति मिल सके।

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हास्य व्यंग्य में
यू एस ए से प्रतिभा सक्सेना हिला रही हैं
भगौने में चम्मच

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आज सिरहाने में
अशोक चक्रधर के संस्मरणों का संग्रह
मंच मचान

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प्रकृति में
राजेन्द्र तिवारी का आलेख
सुकेती जीवाश्म पार्क

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संस्मरण में
अशोक चक्रधर पूरन पंकज की यादों में
श्याम ज्वालामुखी
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 सप्ताह का विचार
वृक्ष अपने सिर पर गरमी सहता है पर अपनी छाया में दूसरों का ताप दूर करता है।  — तुलसीदास

 

दुर्गेश गुप्त 'राज' के गीत,
मोहन राणा की कविताएं, ढेर सी ग़ज़लें और श्याम ज्वालामुखी को श्रद्धांजलि

–° पिछले अंकों से °–

कहानियों में
फुटबॉल–पद्मा सचदेव
राजधानी में हार–असग़र वजाहत
यादों के गुलमोहर–शैल अग्रवाल
गुलमोहर–डॉ शांति देवबाला
शहादत–सुषमा जगमोहन

भाई साहब–गिरीश पंकज
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हास्य व्यंग्य में
मैच के समय . . .–रविशंकर श्रीवास्तव
सपने में साक्षात्कार–गुरमीत सेठी
है किसी का नाम गुलमोहर–अनूप शुक्ल
राम! पढ़ मत, मत पढ़–डा प्रेम जनमेजय
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दृष्टिकोण में
फुटबॉल पर ओशो के विचार
सभ्य समाज की हिंसा का निकास
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सामयिकी में
अर्बुदा ओहरी से रोचक जानकारी
फुटबॉल की दुनिया
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फुलवारी में
फुटबॉल से संबंधित जानकारी, रंग भरने के लिए चित्र, शिशुगीत और शिल्पकोना–
खिलाड़ी फुटबॉल का

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साक्षात्कार में
मधुलता अरोरा की बातचीत
असग़र वजाहत के साथ

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आज सिरहाने
अभिनव शुक्ल का कविता संग्रह
अभिनव अनुभूतियां

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साहित्य समाचार में
रवीन्द्रनाथ त्यागी स्मृति व्याख्यान माला
मीडिया के बदलते सरोकार

 

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© सर्वाधिकार सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना  परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन 
 सहयोग : दीपिका जोशी
फ़ौंट सहयोग :प्रबुद्ध कालिया

     

 

 
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