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१३.. २०१२

इस सप्ताह-

अनुभूति में-
शरद सिंह, गिरिराजशरण अग्रावाल, विजया सती, राजेन्द्र स्वर्णकार और पं. रामेन्द्र मोहन त्रिपाठी की रचनाएँ।

- घर परिवार में

रसोईघर में- सर्दियों के मौसम में पराठों के क्या कहने ! १५ व्यंजनों की स्वादिष्ट शृंखला- भरवाँ पराठों में इस सप्ताह अंतिम प्रस्तुति- अजवायन के पराठे।

बचपन की आहट- संयुक्त अरब इमारात में शिशु-विकास के अध्ययन में संलग्न इला गौतम से जानें एक साल के शिशु में सामाजिक कौशल का विकास

बागबानी में- पौधों को खरीदने से पहले यह निश्चित कर लेना आवश्यक है कि जो पौधे लेने हैं, घर में उनका स्थान कहाँ रहेगा। ...

वेब की सबसे लोकप्रिय भारत की जानीमानी ज्योतिषाचार्य संगीता पुरी के संगणक से- १६ फरवरी से २९ फरवरी २०१२ तक का भविष्यफल।

- रचना और मनोरंजन में

अभिव्यक्ति और अनुभूति के ५ मार्च के अंक होली विशेषांक होंगे। इसके लिये कविता, कहानी और लेख १ मार्च तक, ऊपर दिये गए पते पर आमंत्रित हैं।

नवगीत की पाठशाला में- आशा है इस सप्ताह के अंत तक कार्यशाला-२० की समीक्षा हमें मिल जाएगी और इसका प्रकाशन हो जाएगा।   

लोकप्रिय कहानियों के अंतर्गत- प्रस्तुत है- १६ दिसंबर २००४ को प्रकाशित, भारत से सुकेश साहनी की कहानी— खरोंच

वर्ग पहेली-०६८
गोपालकृष्ण-भट्ट
-आकुल और रश्मि आशीष के सहयोग से

सप्ताह का कार्टून-             
कीर्तीश की कूची से

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साहित्य एवं संस्कृति में-

1
समकालीन कहानियों में यू.एस.ए. से
ललित अहलूवालिया आतिश की कहानी- काश

जब वह पहली बार आया, तब मैं घर पर नही था। मेरी पत्नी ने उसे अनजाना मान कर, या कुछ और सोच कर लौटा दिया और मुझसे इस बारे में ज़िक्र तक नही किया। विवाह के पश्चात बच्चे अपने-अपने घर बस गए हैं, सो परिवार के नाम पर अब यहाँ केवल हम दोनो ही रहते हैं। कुछ दिनों के पश्चात, एक दिन जब दरवाज़े पर घंटी बजी तब हम घर पर ही थे। दरवाज़े के बीच जड़े शीशे के पैनल से खाकी-सी वर्दी पहने एक व्यक्ति की झलक दिखाई पड़ी। उसे देखते ही पत्नी सकपका कर उठ खड़ी हुई, मानो कुछ याद आ गया हो ...
"अरे हाँ.., मैं बताना भूल गयी थी, परसों ये पार्सल वाला आया था, पर डिब्बे पर भेजने वाले का नाम पता कुछ भी नही है।"
सुन्दर सी टेप से पक्की तरह जड़ा हुआ छह इंच लंबे, छह इंच चौड़े और लगभग इतने ही ऊँचे आकार का, एक गत्ते का चकोर डिब्बा लिये किसी कोरियर कंपनी का एक आदमी बाहर खड़ा था। विस्तार से पढ़ें...

*

शरद उपाध्याय का व्यंग्य
साहब का जाना
*

भारत की पहली महिला फोटो-पत्रकार
होमई व्यारवाला को श्रद्धांजलि

*

आज सिरहाने
हाइकु संकलन- चंदनमन
*

पुनर्पाठ में स्वदेश राणा का नगरनामा
तअरुफ़ अपना बकलम खुद- न्यूयार्क

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पिछले सप्ताह-

1
विजय की लघुकथा
आदर्श गाँव
*

मोहन राकेश के विचार
नाटककार और रंगमंच

*

कुमार रवीन्द्र से जानें
नवगीत का शृंगार बोध
*

पुनर्पाठ में दीपिका जोशी
के साथ देखें- एक टुकड़ा राजस्थान

*

प्रसिद्ध लेखकों की चर्चित कहानियों के स्तंभ गौरवगाथा में भारत से चित्रा मुद्गल की कहानी- गेंद

"अंकल...ओ अंकल ! ... प्लीज सुनिए न अंकल...!
सँकरी सड़क से लगभग सटे बँगले की फेंसिंग के उस ओर से किसी बच्चे ने उन्हें पुकारा।
सचदेवा जी ठिठके, आवाज कहाँ से आयी भाँपने लगे। कुछ समझ नहीं पाए। कानों और गंजे सिर को ढके कसकर लपेटे हुए मफलर को उन्होंने तनिक ढीला किया। मधुमेह का सीधा आक्रमण उनकी श्रवण-शक्ति पर हुआ है। अकसर मन चोट खा जाता है जब उनके न सुनने पर सामने वाला व्यक्ति अपनी खीज को संयत स्वर के बावजूद दबा नहीं पाता।
सात-आठ महीने से ऊपर हो रहे होंगे। विनय को अपनी परेशानी लिख भेजी थी उन्होंने। जवाब में उसने फोन खटका दिया। श्रवण-यन्त्र के लिए वह उनके नाम रुपए भेज रहा है। आश्रम वालों की सहायता से अपना इलाज करवा लें। बड़े दिनों तक वे अपने नाम आने वाले रुपयों का इन्तजार करते रहे।
विस्तार से पढ़ें...

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यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।

प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
-|-
सहयोग : दीपिका जोशी

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