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२७.. २०१२

इस सप्ताह-

अनुभूति में-
1
मनोज जैन मधुर, विज्ञानव्रत, संध्या सिंह, हरदीप संधु और जीवन शुक्ल की रचनाएँ।

- घर परिवार में

रसोईघर में- दाल हम रोज खाते हैं, पर कुछ नया हो तो क्या बात? लीजिये प्रस्तुत है १२ व्यंजनों की स्वादिष्ट शृंखला में- उड़द की दाल- पालक वाली

बचपन की आहट- संयुक्त अरब इमारात में शिशु-विकास के अध्ययन में संलग्न इला गौतम से जानें एक साल के शिशु में सब कुछ अपने हाथ से

बागबानी में- मिट्टी की जाँच पौधे लगाने से पहले मिट्टी जाँच लें। मिट्टी में कंकड पत्थर न मिले हों व पौघे के लिए वह संतुलित मिट्टी हो।  ...

वेब की सबसे लोकप्रिय भारत की जानीमानी ज्योतिषाचार्य संगीता पुरी के संगणक से- १ मार्च से १५ मार्च २०१२ तक का भविष्यफल।

- रचना और मनोरंजन में

अभिव्यक्ति और अनुभूति के ५ मार्च के अंक होली विशेषांक होंगे। इसके लिये कविता, कहानी और लेख १ मार्च तक, ऊपर दिये गए पते पर आमंत्रित हैं।

साहित्य समाचार में- देश-विदेश से साहित्यिक-सांस्कृतिक समाचारों, सूचनाओं, घोषणाओं, गोष्ठियों आदि के विषय में जानने के लिये यहाँ देखें

लोकप्रिय कहानियों के अंतर्गत- प्रस्तुत है- २४ जुलाई २००६ को प्रकाशित, भारत से देवेन्द्र सिंह की कहानी— मौखिकी

वर्ग पहेली-०७०
गोपालकृष्ण-भट्ट
-आकुल और रश्मि आशीष के सहयोग से

सप्ताह का कार्टून-             
कीर्तीश की कूची से

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साहित्य एवं संस्कृति में-

1
समकालीन कहानियों में भारत से
दीपक शर्मा की कहानी- मिर्च का दाना

हरिगुण को मैंने फिर देखा। रश्मि के दाह-संस्कार के अन्तर्गत जैसे ही मैंने मुखाग्नि दी, उसकी झलक मेरे सामने टपकी और लोप हो ली। पिछले पैंतीस वर्षों से उसकी यह टपका-टपकी जारी रही थी। बिना चेतावनी दिए किसी भी भीड़ में, किसी भी सिनेमा हॉल में, रेलवे स्टेशन के किसी भी प्लेटफ़ार्म पर या फिर हवाई जहाज के किसी भी अड्डे पर, बल्कि सर्वत्र ही, वह मेरे सामने प्रकट हो जाता। अनिश्चित लोपी- बिन्दु पर काफ़ूर होने के लिये। अवसर मिलते ही मैंने आलोक को जा पकड़ा, “हरिगुण को सूचना तुमने दी थी?”
“हरिगुण कौन?” आलोक ने अपने कंधे उचकाए, मेरे साथ बात करने में उसकी दिलचस्पी शुरू से ही न के बराबर रही है।
‘‘तुम्हारे कस्बापुर में रहता है। रश्मि ने मुझे उससे मिलवाया था। उधर अमृतसर में।”
विस्तार से पढ़ें...

*

सुबोध कुमार श्रीवास्तव का व्यंग्य
गणेशीलाल का गमछा प्रेम

*

प्रभाकर श्रोत्रिय से जानें
साहित्य के प्रश्न
*

सुषम बेदी की कलम से
जापान का हिंदी संसार
*

पुनर्पाठ में शारदा पाठक का आलेख
ऐ मेरे दिल कहीं और चल

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पिछले सप्ताह-

1
प्रेरक प्रसंग के अंतर्गत
 शिव जी का तंत्र
*

डॉ. दर्गादत्त पांडेय का निबंध
शिवत्व के बिना सुंदरता मूल्यहीन है

*

इतिहास पुराण में
कहानी नंदी की
*

पुनर्पाठ में बीना बुदकी का आलेख
शिवरात्रि के अखरोट

*

समकालीन कहानियों में भारत से
एस. आर. हरनोट की कहानी- प्रगटे नंदी

शहर में नंदी भगवान प्रकट हो गए हैं। यह खबर आग की तरह दूर-दूर तक फैल गई है। प्रिंट और इलैक्ट्रॉनिक मीडिया में कवरेज के लिए होड़ लगी हुई है। हर कोई नंदी भगवान को निकट से देखना चाहता है। उसे छूना चाहता है। जो भी दर्शन के लिए आ रहा है वह कुछ न कुछ हाथ में लिए हुए हैं। किसी के हाथ में आटे-चोकर की मीठी पिन्निया हैं। किसी ने डब्बल रोटी उठा रखी है। कोई पैसे चढ़ा रहा है। कोई लाल चुनरी और मौली लेकर नंदी के गले और पूँछ में बाँध रहा है। कोई दूध और पानी की बाल्टी लेकर उस पर चढ़ा रहा है। उसके पैर धो रहा है। चंदन के तिलक लगाए जा रहे हैं। गाँव से भी मर्द और औरतें दर्शन के लिए पहुँच रहे हैं। उनके हाथ में हरे घास और पत्तियों की छोटी-छोटी पूलियाँ हैं। जितने लोग आए हैं सभी के मन में मन्नते हैं। चाहते हैं। इच्छाएँ हैं। कोई धन माँग रहा है। कोई बेटा माँग रहा है। विस्तार से पढ़ें...

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यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।

प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
-|-
सहयोग : दीपिका जोशी

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