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२५. ११. २०१३

इस सप्ताह-

अनुभूति में-
देवेन्द्र सफल, चंद्रभान भारद्वाज, मधुर त्यागी, शशि पुरवार और अंजल प्रकाश की रचनाएँ।

- घर परिवार में

रसोईघर में- हमारी रसोई-संपादक शुचि द्वारा त्यौहारों के अवसर पर अतिथि सत्कार और प्रीतिभोज के लिये के लिये प्रस्तुत हैं शाकाहारी मुगलई व्यंजन

रूप-पुराना-रंग नया- शौक से खरीदी गई सुंदर चीजें पुरानी हो जाने पर फिर से सहेजें रूप बदलकर- पुराने स्ट्रा का नया उपयोग

सुनो कहानी- छोटे बच्चों के लिये विशेष रूप से लिखी गई छोटी कहानियों के साप्ताहिक स्तंभ में इस बार प्रस्तुत है कहानी- कैमरा

- रचना और मनोरंजन में

नवगीत की पाठशाला में- नई कार्यशाला नया साल, नया जीवन, नया उत्साह आदि नये पन पर आधारित होगी घोषणा होगी दिसंबर के पहले सप्ताह में।

साहित्य समाचार में- देश-विदेश से साहित्यिक-सांस्कृतिक समाचारों, सूचनाओं, घोषणाओं, गोष्ठियों आदि के विषय में जानने के लिये यहाँ देखें।

लोकप्रिय कहानियों के अंतर्गत- इस सप्ताह प्रस्तुत है १६ दिसंबर २००६ को प्रकाशित सूरज प्रकाश की कहानी— 'सही पते पर'

वर्ग पहेली-१६१
गोपालकृष्ण-भट्ट
-आकुल और रश्मि आशीष के सहयोग से

सप्ताह का कार्टून-
कीर्तीश की कूची से

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साहित्य एवं संस्कृति में-

समकालीन कहानियों में यू.के. से
कादंबरी मेहरा की कहानी एक खत

इंटरनेट पर किसी ने एक नसीहती सन्देश भेजा है।
'' हैपी बर्थडे! आप आज सत्तर वर्ष के हो गए! अब समय आ गया है कि गैरज़रूरी सामान को अपने हाथों से दान कर दें। पुराने, बेकार कागज़ पत्तर छाँट कर फाड़ दें। आपके शरीर की ताक़तें दिन-बा दिन कम होती जायेंगी। बची हुई ताक़त व समय को सेहत बनाने पर खर्चें ...''
सन्देश तो बहुत लंबा है। मेरी बीवी निशा चाय ले आई है। सुबह का दस बज रहा है। बर्थडे का तोहफा ---ब्रेकफास्ट इन बेड! रोज़ महारानी सोई रहती है। बेहद वज़नदार नौकरी करती थी। सुबह तारों की छाँव जाती थी और शाम को तारों की छाँव घर पहुँचती थी। अब उसे हक है देर तक सोने का। सर्दी भी तो देखिये! बाहर बर्फ जमी है। माईनस चार तापमान! बाहर जाने का तो सवाल ही नहीं उठता। मैंने उसे लैपटॉप पर आया सन्देश पढवा दिया। महा गलती करी। वह ऐसे मुस्कुराई कि जैसे कोई मैच जीत लिया हो मुझसे। चिढाते हुए धुन गुनगुनाने लगी- ''आना ही पडेगा, सर इश्क के क़दमों में झुकाना ही पडेगा-'' प्रकट में झट इसी धुन पर तुकबंदी जोड़ ली, ''हटाना ही पडेगा, -इस घर का कबाड़ा तो हटाना ही पड़ेगा... आगे-

*

गोपाल चतुर्वेदी का व्यंग्य
और हैं जो महान होते हैं
*

सतीश जायसवाल का संस्मरण
साठोत्तरी कहानी के समर्थ हस्ताक्षर अमर गोस्वामी
*

अजामिल का संस्मरण
याद आएँगे अमर गोस्वामी
*

पुनर्पाठ में- सूर्यबाला का
कहानी संग्रह- इक्कीस कहानियाँ

*

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पिछले सप्ताह-


प्रेरक प्रसंग
चावल और अंगूर
*

संतोष सिंह का आलेख
सरस धारा सरस्वती
*

डॉ. उदयवाल से स्वास्थ्य चर्चा
सर्दियों का स्वाद सरसों का साग
*

पुनर्पाठ में- डॉ. गुरुदयाल प्रदीप से जानें
रोबोट और अंतरिक्ष की खोज

*

समकालीन कहानियों में सूरीनाम से
भारतेन्दु मिश्र की कहानी काकरोचों की दुनिया

जीवनलाल ठीक समय पर आफिस पहुँचा उसकी मेज चमक रही थी चपरासी घनश्याम ने हमेशा की तरह एक ग्लास पानी जीवनलाल की मेज पर रख दिया पानी पीकर उसने घनश्याम को चाय के लिए आर्डर दिया घनश्याम गया तो वह अपनी मस्ती में गाने लगा "मैंने चाँद और सितारों से मोहब्बत की थी ..." इसी बीच फोन की घंटी बजी-
'हैलो ...कौन?'
'मैं जीवनलाल बोल रहा हूँ...आप?'
'मैं सतपाल...।'
'और सुना भाई?'
'मेरी छोड़ तू सुना ...तेरी ब्रांच में ने जे.डी. की पोस्टिंग हो गयी?'
'सुना तो है यार मगर आर्डर नहीं देखा।'
'आई.पी.शर्मा के आर्डर हुए हैं..आज ज्वाइन करेगा, ...महिलालु है साला ज़रा ध्यान रखना कायदे कानून का पक्का है मगर लंगोटे का कच्चा है...कॉफी का शौकीन है।'
'यार महिलालु क्या होता है?'
अरे, जैसे दयालु, कृपालु वैसे ही... आगे-

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है
यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।


प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

 
सहयोग : कल्पना रामानी -|- मीनाक्षी धन्वंतरि
 

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