मुखपृष्ठ

पुरालेख-तिथि-अनुसार -पुरालेख-विषयानुसार -हिंदी-लिंक -हमारे-लेखक -लेखकों से


रचना प्रसंग– ग़ज़ल लिखते समय–१४

समायोजन विधि–२
रामप्रसाद शर्मा महर्षि

 

संस्कृत वर्णवृत मौक्तिकदाम तथा मात्रिक सम छंद श्रंगार और गोपी किस प्रकार समायोजन विधि (तकनीख़ की परिधि में आ जाते हैं, इसका सविस्तार वर्णन उदाहरणों सहित पिछली लेखमाला १३ में किया गया था। इसके लिए बहरे मुतक़ारिब (अभिसार छंद) के एक मुख्य वर्णवृत(अस्लवज़न)।ऽ।, ।ऽ।, ।ऽ।, ।ऽ, ।ऽ। से समायोजन विधि द्वारा सात सहायक वर्ण वृत (रिआयती औजा़न) प्राप्त किए गए थे और उन सभी आठ वर्ण वृतों का समूह एक में दर्शाया गया था। समायोजन विधि क्या है इसे भी समझाया गया था। इस उर्दू बहर के अन्य मुख्य वर्ण वृत तथा उनसे समायोजन विधि द्वारा प्राप्त सहायक वर्णवृत इस प्रकार हैं।

समूह – २ :(मुतक़ारिब अभिसार छंद)

ऽ।

।ऽ।

।ऽ।

।ऽ/।ऽ।

मुख्य वर्ण वृत 

ऽ।

।ऽऽ

ऽऽ

ऽ/ऽ।

सहायक वर्ण वृत

ऽ।

।ऽऽ

ऽ।

।ऽ/।ऽ।

"

ऽऽ

ऽऽ

ऽऽ

/ऽ।

"

ऽऽ

ऽ।

।ऽऽ

/ऽ।

"

ऽ।

।ऽ।

।ऽऽ

/ऽ।

"

ऽऽ

ऽ।

।ऽ।

।ऽ/।ऽ।

"

ऽऽ

ऽऽ

ऽ।

।ऽ/।ऽ।

"

टिप्पणी :
चरणांत में ।ऽ के स्थान पर ।ऽ। तथा ऽ के स्थान पर ऽ। लाए जा सकते हैं।
इस समूह की परिधि में रह कर यदि कोई ग़ज़ल कही जाती है तो उसके मतले में सहायक वर्णवृत (४) केवल एक ही मिसरे (पंक्ति) में प्रयुक्त होगा दोनों मिसरों में नहीं जैसे–

राम करे कुछ ऐसा हो

ऽ।

।ऽऽ

ऽऽ

सहायक वर्ण वृत–२

सुखमय जीवन सबका हो

ऽऽ

ऽऽ

ऽऽ

ऽ –

सहायक वर्ण वृत–४

अथवा मतले के दोनों ही मिसरों में वर्णवृत ४ के अतिरिक्त कोई अन्य दो वर्ण भी प्रयुक्त किए जा सकते हैं, जैसे—

राम करे कुछ ऐसा हो

ऽ।

।ऽऽ

ऽऽ

वर्ण वृत–२

दुनिया अम्न की दुनिया हो

ऽऽ

ऽ।

।ऽऽ

वर्ण वृत–५

यदि मतले के दोनों ही मिसरों में ऽऽ ऽऽ ऽऽ ऽ– वर्ण वृत (४) प्रयुक्त किया जाता है जैसा निम्नलिखित मतले में किया गया है तो वह इस बहर वाली ग़ज़ल का मतला न होकर एक अन्य बहर, बहरे मुतदारिक (मिलन यामिनी) का मतला हो जाएगा।

भगवन ऐसी दुनिया हो

ऽऽ

ऽऽ

ऽऽ

सुखमय जीवन सबका हो

ऽऽ

ऽऽ

ऽऽ

टिप्पणीः
याद रहे कि चरणांत में ऽ। विकल्प के रूप में आता है अर्थात ऽ/ऽ। इसी प्रकार ।ऽ/।ऽ।एक दूसरे के विकल्प हैं।  
एक अन्य महत्वपूर्ण बात जो ध्यान में रखने की है वह यह कि उपयुक्त समूह २ में कही जाने वाली ग़ज़ल के लिए एक वर्ण वृत (४) वाला प्रतिबंध केवल उनके मतलों तक ही सीमित है अन्य शेरों में वर्णवृत (४)उनके दोनों मिसरों में प्रयुक्त हो सकता है।
समूह दो की परिधि में डा एस पी शर्मा 'तफ्ता' कुरूक्षेत्र (हरियाणा) द्वारा कही गई ग़ज़ल के (मतले सहित) कुछ शे'र उदाहरणार्थ

यूं भी जश्न मया कर

वर्ण वृत–५

ऽऽ

ऽ।

।ऽऽ

ग़म के साज़ पे गाया कर

वर्ण वृत–५

ऽऽ

ऽ।

।ऽऽ

दिल में उल्फत हो कि न हो

वर्ण वृत–८

ऽऽ

ऽऽ

ऽ।

।ऽ

सब से हाथ मिलाया कर

वर्ण वृत–५

ऽऽ

ऽ।

।ऽऽ

अपने दम पर जीना सीख

वर्ण वृत–४

ऽऽ

ऽऽ

ऽऽ

ऽ।

वरना तू मुंह की खाया कर

वर्ण वृत–२

ऽ।

।ऽऽ

ऽऽ

गाहे गाहे ऐ तफ्ता

वर्ण वृत–४

ऽऽ

ऽऽ

ऽऽ

खुद से भी मिल आया कर

वर्ण वृत–४

ऽऽ

ऽऽ

ऽऽ

पंक्ति ६ वरना तू मुंह की खाया कर की तख्ती देखें—

वर

तु

मुंह

की

खा

या

कर

समूह – ३ :(मुतक़ारिब अभिसार छंद)

ऽ।

।ऽ।

।ऽ।

।ऽऽ

मुख्य वर्ण वृत  

ऽऽ

ऽ।

।ऽ।

।ऽऽ

सहायक वर्ण वृत

ऽ।

।ऽऽ

ऽ।

।ऽऽ

"

ऽऽ

ऽऽ

ऽ।

।ऽऽ

"

ऽ।

।ऽऽ

ऽऽ

ऽऽ

"

ऽऽ

ऽऽ

ऽऽ

ऽऽ

"

ऽऽ

ऽ।

।ऽऽ

ऽऽ

"

ऽ।

।ऽ।

।ऽऽ

ऽऽ

"

टिप्पणीः
इस समूह में यदि कोई ग़ज़ल कही जाती है तो उसके मतले के केवल एक ही मिसरे में सहायक वर्ण क्रमांक (६) लाया जा सकता है। दोनों मिसरों में नहीं। शेष टिप्पणी पहले जैसी अर्थात वही जो समूह दो से संबंधित है केवल समूह ३ क्रमांक (६) का ध्यान रखना होगा।  

पाकर चंदन तन की खुशबू

ऽऽ

ऽऽ

ऽऽ

ऽऽ

महकी है घर आंगन की खुशबू

ऽऽ

ऽऽ

ऽऽ

ऽऽ

वस्तुतः इस मतले वाली उनकी गज़ल मुतका़रिब (अभिसार)में न होकर एक अन्य बहर बहरे मुतदारिक (मिलन यामिनी) में है।अतः इस बहर में यह मतला बिलकुल सही है। यदि इस मतले में थोड़ा सा संशोधन कर दिया जाए जैसा कि नीचे किया गया है तो यही मतला समूह ३ (मुतक़ारिब/ अभिसार)वाली ग़ज़ल का सही मतला बन जाता है।

पाकर चंदन तन की खुशबू

वर्ण वृत–६

ऽऽ

ऽऽ

ऽऽ

ऽऽ

महकी है घर आंगन की खुशबू

वर्ण वृत–५

ऽ।

।ऽऽ

ऽऽ

ऽऽ–

इस प्रकार मतले के एक मिसरे में वर्णवृत (६) लाया गया है और दुसरे में वर्णवृत (५)।
टिप्पणी
आवश्यकतानुसार समूह १ समूह २ तथा समुद३ के मुख्य वर्णवृतों के बीच में आने वाले ।ऽ। की संख्या बढाई भी जा सकती है। तथा उन पर सामायोजन विधि (तख़नीक) का अमल कर के उनसे वांछित सहायक वर्णवृत प्राप्त किए जा सकते हैं। जिनको एक ही ग़ज़ल में संयुक्त रूप से प्रयुक्त किया जा सकता है तथा इस प्रकार की पंक्तियाँ रची जा सकती हैं।

सुख तो अब एक ख़ामख़याली लगता है

ऽऽ

ऽऽ

ऽ।

।ऽऽ

ऽऽ

ज़िन्दा रहना मीठी गाली लगता है

ऽऽ

ऽऽ

ऽऽ

ऽऽ

ऽऽ

मुख्य वर्ण वृत ऽ।  ।ऽ।  ।ऽ।  ।ऽ।  ।ऽ। ।ऽ/।ऽ।

तक्षक गम के और मैं तन्हा फिर भी है विश्वास ये मुझको

मेरा दर्द किसी को होगा कोई तो मेरा अपना होगा

पंक्ति १

ऽऽ

ऽऽ

ऽ।

।ऽऽ

ऽऽ

ऽऽ

ऽ।

।ऽऽ

पंक्ति २

ऽऽ

ऽ।

।ऽऽ

ऽऽ

ऽ।

।ऽऽ

ऽऽ

ऽऽ

मुख्य वर्ण वृत – ऽ।  ।ऽ।  ।ऽ।  ।ऽ।  ।ऽ।  ।ऽ।  ।ऽ।  ।ऽऽ
(उदाहरणों में दी गई ये पंक्तियाँ डा एस पी शर्मा तफ्ता की ग़ज़लों से ली गई हैं)

जिस प्रकार समायोजन विधि (तखनीक) दो अरकान (उर्दू वर्णो) के बीच में अपनाए जाते हैं वैसे ही तस्कीन एक ही रूप में (गण) पर अपनाई जाती है। इस विधि का विस्तृत वर्णन ग़ज़ल लेख के अगले अंक मे देखें।

अगले अंक में समायोजन विधि 'तस्कीन' के विषय में देखें।


पृष्ठ : .........१०.११.१२.१३.१४.१५.१६.१७.१८

२४ जुलाई २००५

आगे—

1

1
मुखपृष्ठ पुरालेख तिथि अनुसार । पुरालेख विषयानुसार । अपनी प्रतिक्रिया  लिखें / पढ़े
1
1

© सर्वाधिका सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक
सोमवार को परिवर्धित होती है।