अनुभूति

 9. 7. 2004

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पिछले सप्ताह

नगरनामा में
ट्रांधाईम से रंजना सोनी का नगर वृतांत 
आनंद का समंदर

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रचना प्रसंग में
विज्ञान साहित्य से साक्षात्कार
संदीप निगम की
शोधपरक बयानगी में
संकल्पना है विज्ञान कथा

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मंच मचान में
अशोक चक्रधर प्रस्तुत कर रहे हैं
तीन तरह की बत्तीसी

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फुलवारी में
जंगल के पशु श्रृखला में
वनमानुष
 
के बारे में जानकारी, वनमानुष का चित्र रंगने के लिए और कविता–वनमानुष

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कहानियों में
यूके से शैल अग्रवाल की कहानी
कनुप्रिया

कनुप्रिया लड़की नहीं एक पहाड़ी नदी थी जब अपनी रौ में बहती तो सबको अपने साथ बहा ले जाती। सब कुछ अपने में समेटे हुए फिर भी सबसे दूर। एक ऐसा पुराना बरगद का पेड़, जो जितना बाहर दिखता था उससे कहीं ज्यादा जमीन के भीतर था। जिसकी छांव में थके लोग सहारा ले सकते थे और भूले भटके शांति और ठहराव। इसकी नित उठती शाखें पूरे तारों भरे आसमान को अपनी बाहों में भरने की सामर्थ्य रखती थी। कनुप्रिया नाम कब और कैसे रखा गया उसे याद नहीं पर जब भी बच्चे चिढ़ाते कि उसका नाम कन्नु–प्रिया इसलिए हैं क्योंकि उसकी दोनों कंचे जैसी आंखें खेलते समय हरे, पीले, भूरे अलग–अलग रंगों में चमकती हैं, तो दादी अपना डंडा लेकर उस वानर सेना के पीछे पड़ जातीं।

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!इस सप्ताह

कहानियों में
भारत से विनीता अग्रवाल की कहानी
सलाखों वाली खिड़की

मजमा जमानेवाले जनाज़ा ले कर जा चुके थे और वह सोचती रही थी कि असलियत का अन्दाज़ा किसी को न होगा। पर रिश्तेदारों की पैनी नज़र उसके बदहवासी में कांपते बदन को छेद कर गई थी। उस रात खुद ज़ाहिरा ने ही अपने हाथों से मक्की मछली का शोरबा पका कर भाईजान को परोसा था और पड़ोसिन नूर के घर छिप कर बैठ गई थी इस ग़लतख्याली से कि लोग भाईजान की मौत को खुदकुशी मान लेंगे। वह कैसे किसी से कहती कि महमूद मियां बेवजह उसे पीटते और इलज़ाम धरते थे कि वह उनपर बोझ है और अपनी तीन बरस की दुधमुंही बच्ची के साथ उनकी ज़िन्दग़ी को ख़स्ताहाल बना रही है। वे ऐसे तंगदस्त भी न थे कि मजबूर मुफलिस बहिन को पनाह देने में कोई तकलीफ होती।

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ललित निबंध में
केदारनाथ राय का आलेख
कुब्जा सुंदरी

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वैदिक कहानियों में
डा रति सक्सेना प्रस्तुत कर रही हैं
सोम और सूर्या के विवाह
की कथा

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साहित्य समाचार में
अंतर्राष्ट्रीय इंदु शर्मा कथा सम्मान
तथा पद्मानंद साहित्य सम्मान समारोहों
पर रपट
लंदन में सम्मान समारोह

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रसोईघर में
पुलावों के स्वादिष्ट संग्रह में तैयार है
दक्षिण भारत के रसोईघर से
नीबू पुलाव
1

!सप्ताह का विचार!
जिस प्रकार मैले दर्पण में सूरज का
प्रतिबिम्ब नहीं पड़ता उसी प्रकार मलिन
अंतःकरण में ईश्वर के प्रकाश का
पतिबिम्ब नहीं पड़ सकता।

रामकृष्ण परमहंस

 

अनुभूति में

चार नए कवियों
से परिचय
और
सोलह
नई रचनाएं

साहित्य समाचार त्रिनिदाद से

° पिछले अंकों से°

कहानियों में
दफ्तर(उपन्यास अंश)
विभूति नारायण राय
राजा निरबंसियाकमलेश्वर
ग़लतफ़हमीसुरेश कुमार गोयल
चरमराहट तेजेन्द्र शर्मा
चोरी–प्रत्यक्षा
कोठेवाली(लघु उपन्यास)स्वदेश राणा
°

परिक्रमा में
शैल अग्रवाल की लंदन पाती
कब तक
°

साहित्यिक निबंध में
अचला शर्मा द्वारा रेडियो नाटकों के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी रोचक अंदाज़ में
रेडियो नाटक का पुनर्जन्म
°

पर्व परिचय में
दीपिका जोशी के शब्दों में आषाढ की एकादशी का संक्षिप्त परिचय 
शयनी एकादशी
°

उपहार में
शिशुजन्म के अवसर पर शुभकामनाएं भेजने के लिए एक नयी कविता
नये जावा आलेख के साथ
एक सितारा
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प्रकृति और पर्यावरण में
प्रभात कुमार का जानकारीपूर्ण आलेख
अभावों का ऋणजल
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आज सिरहाने में नईम के नवीनतम
कविता संग्रह
लिख सकूं तो से परिचित
करवा रहे हैं प्रदीप मिश्र
°

हास्य व्यंग्य में
महेशचंद्र द्विवेदी सुना रहे हैं
हकीम नुसर की खुसर पुसर
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साहित्य समाचार में
घोषित हुए उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के
पुरस्कार

 

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों  अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना   परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन     
      सहयोग : दीपिका जोशी
तकनीकी सहयोग :प्रबुद्ध कालिया
 साहित्य संयोजन :बृजेश कुमार शुक्ला