अनुभूति

 1. 11. 2004

आज सिरहानेआभारउपन्यासउपहारकहानियांकला दीर्घाकविताएंगौरवगाथा पुराने अंक नगरनामा
घर–परिवारदो पलपरिक्रमापर्व–परिचयप्रकृतिपर्यटनप्रेरक प्रसंगफुलवारीरसोईलेखकलेखकों सेविज्ञान वार्ता
विशेषांकशिक्षा–सूत्रसाहित्य संगमसंस्मरणसाहित्य समाचारसाहित्यिक निबंधस्वास्थ्यसंदर्भसंपर्कहास्य व्यंग्य

 

पिछले सप्ताह

प्रकृति और पर्यावरण में
प्रभात कुमार की कलम से
जीवन रक्षक छतरी
और
गरमी का शीशमहल

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प्रौद्योगिकी में
रविशंकर श्रीवास्तव का आलेख
विश्वजाल पर विश्वकोश
विकिपीडिया

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लंदन पाती में
शैल अग्रवाल का चिरपरिचित अदाज़
यादों की गलियों से

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ब्रिटेन में हिन्दी
के अंतर्गत उषाराजे सक्सेना के व्याख्यान
का छठा और अंतिम भाग
पाठ्यक्रम में सुधार

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कहानियों में
भारत से जयनंदन की कहानी
कल्याण का अंत

पता नहीं किस अर्जुन ने या किस राम ने अग्निबाण चलाया कि सौ वर्षों से भी ज्यादा
उम्रवाला कल्याण तालाब सूख गया। कल्याण सूख गया, इससे शायद बहुतों का जीवन
अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुआ होगा लेकिन
प्रत्यक्ष रूप से इससे जो सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ, उसका नाम था कोचाई मंडल। कल्याण क्या सूखा जैसे उसके जीवन के सारे स्रोत ही सूख गए। कल्याण उसकी संजीवनी था, कर्म–स्थल था, ऊर्जा–स्रोत था और कुल जमा पूंजी था। अब जब वह नहीं रहा तो मानो उसके पास कुछ भी नहीं रहा . . .जैसे वह उखड़ गया अपनी जड़ से . . .हिल गया अपनी नींव से। उसकी दयनीयता तब और भी त्रासद बन गई जब उसके घरवाले तालाब का सूखना, अशुभ की जगह शुभ सूचक मानने लगे।
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इस सप्ताह
दीपावली विशेषांक

कहानियों में
सुप्रसिद्ध कथाकार शिवानी की कहानी
पिटी हुई गोट

दिवाली का दिन। चीना पीक की जानलेवा चढ़ाई को पार कर जुआरियों का दल दुर्गम–बीहड़ पर्वत के वक्ष पर दरी बिछाकर बिखर गया था। एक ओर एक बड़े–से हंडे से बेनीनाग की हरी पहाड़ी चाय के भभके उठ रहे थे, दूसरी ओर पेड़ के तने से सात बकरे लटकाकर आग की धूनी में भूने जा रहे थे। जलते पशम से निकलती भयानक दुर्गन्ध, सिगरेट व सिगार के धुएं से मिलकर अजब खुमारी उठ रही थी। नैनीताल से चार मील दूर, एक बीहड़ पहाड़ी पर जमा यह अड्डा अवारा रसिकजनों का नहीं था।

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सामयिकी में
उर्दू के मुसलमान शायरों की दिवाली पर
सरदार अहमद 'अलीग' का आलेख
दिया दिवाली का

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संस्मरण में
डा रति सक्सेना का भावभीना संसार
पी
पल के पात और भीत पर उगा चांद–आस की कथा– प्यास की व्यथा

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पर्व परिचय में
दीपिका जोशी बता रही हैं
गोवर्धन और अन्नकूट
के विषय में

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फुलवारी में
रंग भरने के लिए
दीपावली का सुंदर चित्र
और शिल्पकोना में बना कर देखें
काग़ज़ की कंदील

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1सप्ताह का विचार1
हां मूर्ख नहीं पूजे जाते, जहां अन्न
की सुरक्षा की जाती है और जहां
परिवार में कलह नहीं होती, वहां
लक्ष्मी निवास करती है।
1—अथर्ववेद1

 

अनुभूति में

दीपावली महोत्सव का त्रशुभारंभत्र
नये संकलन
दिये जलाओ में

हर रोज़ नई कविता नई सजधज के साथ

°°° र्पिछले अंकों से!°°°

कहानियां

लेख

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हास्य–व्यंग्य

संस्मरण

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फुलवारी में बच्चों के लिये

उपहार में

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कला दीर्घा

घर परिवार

 

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© सर्वाधिकार सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों  अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना   परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन     
       सहयोग : दीपिका जोशी
तकनीकी सहयोग :प्रबुद्ध कालिया   साहित्य संयोजन :बृजेश कुमार शुक्ला