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अनुभूति

16. 12. 2005 

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पिछले सप्ताह

हास्य व्यंग्य में
विनय कुमार का आलेख
कुते की आत्मा

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मंच मचान में
अशोक चक्रधर के शब्दों में
सन बयासी की उड़ान
बया–सी

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महानगर की कहानियों में
रामेश्वर दयाल कांबोज हिमांशु की रचना
एजेंडा

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रसोईघर में
माइक्रोवेव अवन में तैयार करें
लहसुन पाव

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उपन्यास अंश में
सुषमा जगमोहन के उपन्यास
'ज़िंदग़ी ईमेल' से एक अंश

संदेसे आते हैं

तनु ने मेल में क्या लिखा था, उसे कुछ समझ ही नहीं आया। नौकरी वाले किस्से के सिवा। उसके लिए वही अंतिम सत्य हो गया था। पापा और बाबा से डिस्कस करने की कहती है। बाबा और करण तो कभी चाहते ही नहीं थे कि वे लोग विदेश जाएं। उनके जाने से वह ही क्यों, बाबा और करण भी तो अकेले हो गए हैं। तनु के मां–बाप भी इस बात के खिलाफ़ थे। चार बेटे–बेटियों में एक तनु ही तो दिल्ली में थी। इकलौते साले साहब चेन्नई में बिज़नेस कर रहे हैं। दिल्ली आते हैं तो हवाई दौरे पर, दो–चार दिन के लिए ही, वह भी ज़्यादातर बिज़नेस के सिलसिले में। वह कई बार कह चुके मां–बाप से कि चेन्नई साथ चलें लेकिन पहले ससुर जी की नौकरी का हीला–हवाला था, अब वहां मन नहीं लगता।

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इस सप्ताह

साहित्य संगम में
राजेन्द्रसिंह बेदी की उर्दू कहानी का रूपांतर
गर्म कोट

मैंने देखा है, मैराजुद्दीन टेलर मास्टर की दूकान पर बहुत–से उम्दा–उम्दा सूट लटके होते हैं। उन्हें देखकर अक्सर मेरे दिल में ख़याल पैदा होता है कि मेरा अपना गरम कोट बिल्कुल फट गया है और इस साल हाथ तंग होने के बावजूद मुझे एक नया गरम कोट ज़रूर सिलवा लेना चाहिए। टेलर मास्टर की दूकान के सामने से गुज़रने या अपने महकमे के तफ़रीह के क्लब में जाने से गुरेज़ करूं तो मुमकिन है मुझे गरम कोट का ख़याल भी न आए, क्योंकि क्लब में जब संता सिंह और यजदानी के कोटों के नफ़ीस वर्सटेड मेरे भावनाओं के घोड़े पर कोड़े लगाते हैं तो मैं अपने कोट की बोसीदगी को शदीद तौर पर महसूस करने लगता हूं। यानी वह पहले से कहीं ज्यादा फट गया है।

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हास्य व्यंग्य में
महेश चंद्र द्विवेदी का आलेख
किलर इंस्टिंक्ट

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नगरनामा में
पराग कुमार मांदले का उज्जैन
करोगे याद तो . . .

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संस्मरण में
नीरजा द्विवेदी की कलम से
वह कौन थी

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आज सिरहाने
डा सुरेश चंद्र शुक्ल द्वारा संपादित संकलन
प्रवासी कहानियां°

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सप्ताह का विचार
ज्ञानी जन विवेक से सीखते हैं,
साधारण मनुष्य अनुभव से, अज्ञानी पुरूष आवश्यकता से और पशु स्वभाव से।
कौटिल्य

 

अनुभूति में

अभिरंजन कुमार, वीना विज, रवींद्र बत्रा, सुदर्शन प्रियदर्शिनी और अंजना संधीर की कविताओं के साथ जारी है
हाइकु महोत्सव

–° पिछले अंकों से °–

कहानियों में
रिश्ते–उषा वर्मा
बहाने से–संजय विद्रोही
मणिया–अमृता प्रीतम
दूसरी दुनिया–निर्मल वर्मा
उसकी दीवाली–पूर्णिमा वर्मन
समुद्र में रेगिस्तान–सुधा अरोड़ा 
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हास्य व्यंग्य में
शोषण के विरूद्ध–डा नरेन्द्र कोहली
सावधान बंदर सीख रहे हैं . . .–गुरमीत बेदी
थैंक्यू सॉरी और हाई बाई–रेखा व्यास
दीपक से साक्षात्कार–अनूप कुमार शुक्ल
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साहित्यिक निबंध में
पद्मप्रिया का शोधपूर्ण आलेख
अनूदित साहित्य एवं पठनीयता

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फुलवारी में
शिल्पकोना में बनाएं लिफाफे से
हिरन हथपुतली
साथ ही देश देशांतर में जाने
आस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड
के बारे में

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पर्व परिचय में
राजेन्द्र तिवारी का आलेख
सिरमौर की बूढ़ी दिवाली

°

प्रौद्योगिकी में
रविशंकर श्रीवास्तव ने खोजा
माउस में छिपा कलाकार
°

विज्ञान वार्ता में
डा गुरूदयाल प्रदीप का नया लेख
हेलिकोबैक्टर पाइलोरी और नोबेल प्राइज़
°

आज सिरहाने
अभिव्यक्ति में प्रकाशित बारह कहानियों का नेपाली अनुवाद
'ज़िन्दग़ी एक फ़ोटोफ्रेम'

 

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना   परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन 
 सहयोग : दीपिका जोशी
फ़ौंट सहयोग :प्रबुद्ध कालिया

   

 

 
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