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१. १२. २०२

 

 

 

 

 

 

 

 

 

पिछले सप्ताह

 

इस सप्ताह

  अनुभूति में

 

हास्य व्यंग्य में
राजर्षि अरूण की अभिलाषा
काश दिल घुटने में होता

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प्रौद्योगिकी में
रविशंकर श्रीवास्तव का आलेख
डिजिटल पेन

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विज्ञान वार्ता में
डा गुरूदयाल प्रदीप की सम्यक चेतावनी
गरमाती धरती और लापरवाह हम

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प्रकृति और पर्यावरण में
गुरमीत बेदी बता रहे हैं कि एकदिन
हवा हो जाएंगी चिड़ियां

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कहानियों में
भारत से अलका प्रमोद की कहानी
पापा तुम कहाँ हो

बाहर जोरों की आंधी आई थी मानो टीन और छतों को सामना करने के लिए ललकार रही हो। खिड़की की झिर्री से प्रवेश करती वायु विचित्र सी सीटी के समान ध्वनि उत्पन्न कर रही थी, कि तभी आंधी के कारण बिजली चले जाने से वातावरण और भी रहस्यमय हो उठा। इतने बड़े घर में एकाकी बैठे रामेश्वर जी का हृदय अज्ञात आशंका से कांप उठा वह सोचने लगे कि यदि इस भयावह रात में उन्हें कुछ हो जाय तो वह किसे पुकारेंगे? उनकी हृदय गति रूक जाय तो पता नहीं वह कब तक यूं ही पड़े रहेंगे‚ संभवतः लोगों को पता भी तब चलेगा जब उनकी देह से दुर्गंध आने लगेगी। अपनी इस वीभत्स कल्पना मात्र से ही वह सिहर उठे और अपने विचारों को झटक कर मोमबत्ती ढूँढने का प्रयास करने लगे।

 

कहानियों में
यू के से तेजेन्द्र शर्मा की कहानी
पासपोर्ट के रंग

मजबूरी तो इंग्लैंड आना भी थी। लेकिन यह मजबूरी बिछड़ने की नहीं, मिलने की थी, साथ रहने की थी। पत्नी की मृत्यु के बाद का अकेलापन, किसी अपने के साथ रहने की चाह और इकलौता पुत्र। यही सब गोपालदास जी को लंदन ले आया था। बेटी विवाह के बाद अमरीका में है और बेटा इंग्लैंड – बेचारे गोपालदास जी अकेले फरीदाबाद में अपनी बड़ी सी कोठी में कमरे गिनते रहते। अधिकतर रिश्तेदार दिल्ली में। अब तो फरीदाबाद से दिल्ली जाने में भी शरीर नाराज़गी ज़ाहिर करने लगता था। ऐसे में ज़ाहिर सी बात है कि इंद्रेश ने अपने पिता की एक नहीं सुनी और उन्हें लंदन ले आया था।
                   °

हास्य व्यंग्य में
डा नरेन्द्र कोहली की रचना
नया साल मुबारक हो
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दृष्टिकोण में
रामेश्वर दयाल कांबोज हिमांशु का आलेख
नये साल में संकल्प लें
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पर्व परिचय में
दीपिका जोशी का आलेख
देश देश में नववर्ष
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फुलवारी में
देश देशांतर के अंतर्गत यू के फ्रांस जर्मनी
शिल्प कोना में
नए साल का कलेंडर

 

सप्ताह का विचार
जिस काम की तुम कल्पना करते हो उसमें जुट जाओ। साहस में प्रतिभा, शक्ति और जादू है। साहस से काम शुरू करो पूरा अवश्य होगा।
—अज्ञात

 


अनुभूति का जन्मदिन, नव वर्ष की कविताएं, हाइकु संकलन तथा विष्णु विराट और सुभाष काक की नयी रचनाएँ

– पिछले अंकों से –

कहानियों में
गर्म कोट– राजेन्द्रसिंह बेदी
संदेसे आते हैं सुषमा जगमोहन
रिश्ते उषा वर्मा
बहाने से– संजय विद्रोही
मणिया– अमृता प्रीतम
दूसरी दुनिया– निर्मल वर्मा
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हास्य व्यंग्य में
किलर इंस्टिंक्ट महेश चंद्र द्विवेदी
कुते की आत्मा– विनय कुमार
शोषण के विरूद्ध– डा नरेन्द्र कोहली
सावधान बंदर सीख रहे हैं गुरमीत बेदी
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नगरनामा में
पराग कुमार मांदले का उज्जैन
करोगे याद तो . . . 
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संस्मरण में
नीरजा द्विवेदी की कलम से
वह कौन थी
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आज सिरहाने
डा सुरेश चंद्र शुक्ल द्वारा संपादित संकलन
प्रवासी कहानियां
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मंच मचान में
अशोक चक्रधर के शब्दों में
सन बयासी की उड़ान बया–सी
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महानगर की कहानियों में
रामेश्वर दयाल कांबोज हिमांशु की रचना
एजेंडा
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रसोईघर में
माइक्रोवेव अवन में तैयार करें
लहसुन पाव
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आज सिरहानेउपन्यास उपहार कहानियाँ कला दीर्घा कविताएँ गौरवगाथा पुराने अंक नगरनामा रचना प्रसंग पर्व पंचांग घर–परिवार दो पल
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