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२८. . २०१२

इस सप्ताह-

1
अनुभूति में-
गंगा नदी पर आधारित, छंदबद्ध एवं छंदमुक्त विविध विधाओं में ढेर-सी रचनाएँ।

- घर परिवार में

रसोईघर में- अंतर्जाल पर सबसे लोकप्रिय भारतीय पाक-विशेषज्ञ शेफ-शुचि के रसोईघर से राजस्थानी व्यंजनों की शृंखला में- गवारफली की सब्जी।

बचपन की आहट- संयुक्त अरब इमारात में शिशु-विकास के अध्ययन में संलग्न इला गौतम से जानें एक साल का शिशु- नींद के नियम में परिवर्तन

बागबानी में- बगीचे की देखभाल के लिये टीम अभिव्यक्ति के अनुभवजन्य अनमोल सुझाव- इस अंक में- घास के मैदान (लॉन) की देखभाल

वेब की सबसे लोकप्रिय भारत की जानीमानी ज्योतिषाचार्य संगीता पुरी के संगणक से- १६ मई से ३१ मई २०१२ तक का भविष्यफल।

- रचना और मनोरंजन में

नवगीत की पाठशाला में- ार्यशाला-२२ के लिये नवगीत का विषय है गर्मी के दिन। विस्तृत विवरण के लिये नवगीत की पाठशाला देखें। 

साहित्य समाचार में- देश-विदेश से साहित्यिक-सांस्कृतिक समाचारों, सूचनाओं, घोषणाओं, गोष्ठियों आदि के विषय में जानने के लिये यहाँ देखें

लोकप्रिय कहानियों के अंतर्गत- प्रस्तुत है- १ जुलाई २००४ को प्रकाशित, यू.के. से शैल अग्रवाल की कहानी— कनुप्रिया

वर्ग पहेली-०८३
गोपालकृष्ण-भट्ट
-आकुल और रश्मि आशीष के सहयोग से

सप्ताह का कार्टून-             
कीर्तीश की कूची से

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साहित्य एवं संस्कृति में-

गंगा दशहरा के अवसर पर विशेष
1
वरिष्ठ रचनाकारों की कहानियों के स्तंभ गौरवगाथा में
प्रेमचंद की कहानी- यह मेरी मातृभूमि है

आज पूरे साठ वर्ष के बाद मुझे प्यारी मातृभूमि के दर्शन प्राप्त हुए हैं। जिस समय मैं अपने प्यारे देश से विदा हुआ था और भाग्य मुझे पश्चिम की ओर ले चला था उस समय मैं पूर्ण युवा था। मेरी नसों में नवीन रक्त संचारित हो रहा था। हृदय उमंगों और बड़ी-बड़ी आशाओं से भरा हुआ था। मुझे अपने प्यारे भारतवर्ष से किसी अत्याचारी के अत्याचार या न्याय के बलवान हाथों ने नहीं जुदा किया था। अत्याचारी के अत्याचार और कानून की कठोरताएँ मुझसे जो चाहे सो करा सकती हैं मगर मेरी प्यारी मातृभूमि मुझसे नहीं छुड़ा सकतीं। वे मेरी उच्च अभिलाषाएँ और बड़े-बड़े ऊँचे विचार ही थे जिन्होंने मुझे देश-निकाला दिया था। मैंने अमेरिका जा कर वहाँ खूब व्यापार किया और व्यापार से धन भी खूब पैदा किया तथा धन से आनंद भी खूब मनमाने लूटे। सौभाग्य से पत्नी भी ऐसी मिली जो सौंदर्य में अपना सानी आप ही थी। उसकी लावण्यता और सुन्दरता की ख्याति तमाम अमेरिका में फैली। विस्तार से पढ़ें...
*

डॉ. संसारचंद्र का व्यंग्य
गंगा जब उल्टी बहे
*

भावना सक्सेना का आलेख
सूरीनाम में गंगा

*

नीरजा माधव का ललित निबंध
रुकोगी नहीं भागीरथी ?
*

पुनर्पाठ में डॉ. राजकुमार सिंह
का आलेख- हिंदी काव्य में गंगा नदी

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पिछले सप्ताह-


अंतरा करवड़े की लघुकथा
त्याग
*

गोविंद सिंह का आलेख
साहित्य और मीडिया

*

शशि पाधा की कलम से
दृश्य, पटकथा, पात्र- एक संस्मरण
*

पुनर्पाठ में कला और कलाकार के अंतर्गत
जामिनी राय से परिचय

*

समकालीन कहानियों में भारत से
स्नेलता की कहानी- अम्मा जी का मोबाइल

ट्रिन-ट्रिन, ट्रिन-ट्रिन टेलीफोन की घंटी बजी, अम्माजी ने टेलीफोन की तरफ देखा, रिंकू दौड़ कर आया, रिसीवर उठा लिया, शुरू हो गया हाँ-हाँ बोलो कैसा रहा कल का मैच, कौन-कौन जीता, ...अच्छा हाँ-हाँ ...मम्मी ने नहीं जाने दिया ...बातें करता रहा। अम्मा जी सुनती रहीं। कैसे मजे से बातें कर रहा है। जब पहले दिन फोन लगवाया था तभी रवि ने कहा, "अम्मा लो कर लो बात, अब तुम्हें परेशान होने की जरूरत नहीं ... जिस बिटिया से चाहो उससे बैठी-बैठी बातें कर लिया करो। फोन पर आवाज़ कैसी मीठी लगी थी जब रिसीवर में उन्हें छुटकी की आवाज़ सुनाई पड़ी थी। लगा जैसे सामने ही बैठी हो। कितनी साफ़ साफ़ आवाज़ सुनाई दे रही थी। बातें करके बिल्कुल ऐसा लगा जैसे आमने सामने बातें हो रही हो। बस बोलने वाला नहीं दिखाई देता, मगर कोई बात नहीं, सुनाई तो देता है। उसके बाद बस अम्मा जी को हर समय लगता कब छुटकी का फोन आए कब छुटकी अम्मा से बातें करें विस्तार से पढ़ें...

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यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।

प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
-|-
सहयोग : दीपिका जोशी

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