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लेखकों से
१. ११. २०१९

इस माह-

अनुभूति में-
योगेन्द्र प्रताप मौर्य
, अनामिका सिंह अना, जगदीश पंकज, दिगंबर नासवा और भगीरथ बडोले की रचनाएँ

-- घर परिवार में

रसोईघर में- सर्दियों का आगमन होने ही वाला है। इस मौसम की अगवानी में हमारी रसोई संपादक शुचि प्रस्तुत कर रही हैं- मूँग का हलवा।

स्वास्थ्य में-
२० आसान सुझाव जो जल्दी वजन घटाने में सहायक हो सकते हैं-
१९- बाँस की चाय।

बागबानी- तीन आसान बातें जो बागबानी को सफल, स्वस्थ और रोचक बनाने की दिशा में उपयोगी हो सकते हैं-  कुछ उपयोगी सुझाव- ११

कलम गही नहिं हाथ में- अभिव्यक्ति के उन्नीसवें जन्मदिन का अवसर और नवांकुर पुरस्कारों की घोषणा

- रचना व मनोरंजन में

क्या आप जानते हैं- इस माह (नवंबर) की विभिन्न तिथियों में) कितने गौरवशाली भारतीय नागरिकों ने जन्म लिया? ...विस्तार से

संग्रह और संकलन- में प्रस्तुत है-  की कलम से  के नवगीत संग्रह-  का परिचय। 

वर्ग पहेली- ३१९
गोपालकृष्ण-भट्ट-आकुल और
रश्मि-आशीष के सहयोग से


हास परिहास
में पाठकों द्वारा भेजे गए चुटकुले

साहित्य-एवं-संस्कृति-के-अंतर्गत-

समकालीन कहानियों में प्रस्तुत है भारत से
 चित्रा मुद्गल की कहानी- गेंद

"अंकल...ओ अंकल ! ... प्लीज सुनिए न अंकल...!
सँकरी सड़क से लगभग सटे बँगले की फेंसिंग के उस ओर से किसी बच्चे ने उन्हें पुकारा।

सचदेवा जी ठिठके, आवाज कहाँ से आयी भाँपने लगे। कुछ समझ नहीं पाए। कानों और गंजे सिर को ढके कसकर लपेटे हुए मफलर को उन्होंने तनिक ढीला किया। मधुमेह का सीधा आक्रमण उनकी श्रवण-शक्ति पर हुआ है। अकसर मन चोट खा जाता है जब उनके न सुनने पर सामने वाला व्यक्ति अपनी खीज को संयत स्वर के बावजूद दबा नहीं पाता। सात-आठ महीने से ऊपर हो रहे होंगे। विनय को अपनी परेशानी लिख भेजी थी उन्होंने। जवाब में उसने फोन खटका दिया। श्रवण-यन्त्र के लिए वह उनके नाम रुपए भेज रहा है। आश्रम वालों की सहायता से अपना इलाज करवा लें। बड़े दिनों तक वे अपने नाम आने वाले रुपयों का इन्तजार करते रहे। गुस्से में आकर उन्होंने उसे एक और खत लिखा। जवाब में उसका एक और फोन आया। एक पेचीदे काम में... आगे-
*

अनूप कुमार शुक्ल का व्यंग्य
बच्चा हाई स्कूल में
*

विनोदचंद्र पांडेय का आलेख-
बाल साहित्य संरचना- ध्यान देने योग्य बाते

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अमिताभ शंकर राय चौधरी का दृष्टिकोण
भूत कथाएँ तथा बाल मनोविज्ञान
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अजय ब्रह्मात्मज से जानें-
बच्चों का फिल्म संसार  

पिछले अंकों-से---

के.पी.सक्सेना का व्यंग्य
दगे पटाखों की महक
*

मृदुला सिन्हा का साहित्यक निबंध-
कार्तिक हे सखि पुण्य महीना
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प्रमिला कटरपंच से
पर्व-परिचय- लोक-पर्व साँझी
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चंद्र शेखर का आलेख
सत्य का दीया तप का तेल

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समकालीन कहानियों में यूएसए से राम गुप्ता
की कहानी- चयन

नारायण दत्त एक जाने माने शिक्षाविद थे। विद्यालयों में उनका किसी न किसी रूप में जाना होता रहता था। जहाँ जाते लोग उनको हाथों-हाथ उठा कर रखते। इस बार वह एक छोटे से महाविद्यालय की अनुदान स्वीकृत के लिए गए। उनको यह जान कर थोड़ा रोष हुआ कि उनकी सुख सुविधा के लिए केवल एक विद्यार्थी को भार सौंपा गया था। वह प्रोफ़ेसरों और विद्यार्थियों को आगे पीछे देखने के आदी थे। दूसरे दिन उगते ही उषा की लाली की ही भाँति एक कृषकाया ने अपना परिचय दिया, ''सर मैं शची हूँ, आपको कॉलेज ले चलूँगी।'' इसके बाद उसने जिस सहजता और कुशलता से उनके खानपान ठहरने से ले कर कॉलेज के कार्यक्रम को सँभाला उससे उनका सारा रोष जाता रहा। तीन दिनों में ही जब तक नारायण दत्त वहाँ रहे, एक तरह से उस पर आधारित हो गए। दीनहीन परिवार की वह लड़की रूप, गुण, आचरण से संपन्न थी। दिन पर दिन प्रबल होती आशा के वशीभूत... आगे...

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है
यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।


प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

 
सहयोग : कल्पना रामानी
 

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