अनुभूति

 1. 8. 2004

आज सिरहानेआभारउपन्यासउपहारकहानियांकला दीर्घाकविताएंगौरवगाथा पुराने अंक नगरनामा
घर–परिवारदो पलपरिक्रमापर्व–परिचयप्रकृतिपर्यटनप्रेरक प्रसंगफुलवारीरसोईलेखकलेखकों सेविज्ञान वार्ता
विशेषांकशिक्षा–सूत्रसाहित्य संगमसंस्मरणसाहित्य समाचारसाहित्यिक निबंधस्वास्थ्यसंदर्भसंपर्कहास्य व्यंग्य

 

पिछले सप्ताह

विज्ञान वार्ता में
मोबाइल और माइक्रोेवेव अॅवन के बारे में
डा गुरूदयाल प्रदीप की चेतावनी 
सावधान! खतरों की भी है संभावना

°

प्रौद्योगिकी में
विश्वजाल पर हिंदी चिठ्ठों के विषय में रविशंकर श्रीवास्तव का आलेख
अभिव्यक्ति का नया माध्यम : ब्लॉग

°

महानगर की कहानियों में
डा सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक' की लघुकथा
दोहरा दान

°

परिक्रमा में
लंदन पाती के अंतर्गत यूके की साहित्यिक गतिविधियों पर शैल अग्रवाल
सुर सावन

°

कहानियों में
सऊदी अरब से विद्याभूषण धर की कहानी अनोखी रात

कोई कमी नही थी उसके संसार मे, न प्यार की न सौहार्द्र की, न संसाधनो की। गांव मे सब समान थे, एक सूत्र मे बंधे गांव मे कश्मीर के बाकी इलाको की तरह मुसलमान बहुसंख्या मे थे पर सदियो से हिन्दू मुसलमान शीर शक्कर की तरह प्यार व सुकून से रह रहे थे। सुबह जहां गांव के छोटे से मंदिर से शंख व घंटियों की आवाज आती, वही पास की मस्जिद से अज़ान का स्वर उसमे समाहित होकर एक अलौकिक ध्वनि का एहसास कराता था। सब अपने थे, रमज़ान चाचा, हमीदा मामी, शादीलाल, हलींमा आपा, कृषण जू, राहत मौसी . . .और जैसे भूषण गहरी नींद से जागा हो। यह सब याद आते ही भूषण की आंखे भर आई और जो चहरा उसकी आंखो के सामने आया उसकी याद आते ही जैसे किसी ने उसका दिल अपनी मुठ्ठी ंमे भींच लिया।

°

नये अंकों की सूचना के लिये
अपना ई मेल यहां लिख भेजें।


 

!इस सप्ताह

गौरव गाथा में
शेखर जोशी की बहुचर्चित कहानी
कोसी का घटवार

सर पर क्रास खुखरी के क्रेस्ट वाली, काली, किश्तीनुमा टोपी को तिरछा रखकर, फौजी वर्दी वह पहली बार एनुअल–लीव पर घर आया, तो चीड़ वन की आग की तरह खबर इधर–उधर फैल गई थी। बच्चे–बूढ़े, सभी उससे मिलने आए थे। चाचा का गोठ एकदम भर गया था, ठसाठस्स। बिस्तर की नई, एकदम साफ, जगमग, लाल–नीली धारियोंवाली दरी आंगन में बिछानी पड़ी थी लोगों को बिठाने के लिए। खूब याद है, आंगन का गोबर दरी में लग गया था। बच्चे–बूढ़े, सभी आए थे। सिर्फ चना–गुड़ या हल्द्वानी के तंबाकू का लोभ ही नहीं था, कल के शर्मीले गुसांईं को इस नए रूप में देखने का कौतूहल भी था। पर गुसांईं की आंखें उस भीड़ में जिसे खोज रही थीं, वह वहां नहीं थी।

°

नगरनामा में
त्रिवेन्द्रम से रति सक्सेना का नगर वृतांत
डायरी अंदाज़ में आसमान की ओर
बाहें उठाए
सागरी झीलों का शहर

°

स्वास्थ्य संदर्भ में
स्वाद और स्वास्थ्य के अंतर्गत, देखने में सुंदर और स्वास्थ्य से भरपूर
सुगंधित पत्तियों का संसार
दीपिका जोशी की कलम से

°

मंच मचान में
अशोक चक्रधर
के मंच संस्मरण
धूमिल ने पूछा भूख क्या होती है

°

फुलवारी में
जंगल के पशु श्रृखला के अंतर्गत
भेड़िये के विषय में जानकारी
कविता भेड़िया और
रंगने लिए चित्र

° 

1

!सप्ताह का विचार!
सांप के दांत में विष रहता है, मक्खी
के सिर में और बिच्छू की पूंछ में किन्तु
दुर्जन के पूरे शरीर में विष रहता है।

कबीर

 

अनुभूति में

दिविक रमेश, 
शरण, 
निर्मला सिंह और
पीयूष पाचक की
11 नई रचनाएं

° पिछले अंकों से°

कहानियों में
एक और कुआनोसंतोष गोयल
सलाखों वाली खिड़कीविनीता अग्रवाल
कनुप्रिया–शैल अग्रवाल
दफ्तर(उपन्यास अंश)–विभूति नारायण राय
राजा निरबंसियाकमलेश्वर
ग़लतफ़हमीसुरेश कुमार गोयल

°

साक्षात्कार में
वरिष्ठ पत्रकार व लेखक पुष्पा भारती से
मधुलता अरोरा की बातचीत
मुझे मुंबई में सारे रिश्ते मिल गए

°

प्रकृति और पर्यावरण में
डॉ• कृपाशंकर तिवारी का आलेख
मुसीबत बनता प्लास्टिक कचरा

°

आज सिरहाने में
मनोज भावुक के भोजपुरी ग़ज़ल संग्रह
तस्वीर जिन्दगी के पर माहेश्वर तिवारी

°

हास्य व्यंग्य में
महेशचंद्र द्विवेदी का चुवावी व्यंग्य
वोटर लिस्ट में नाम न होने का सुख

°

ललित निबंध में
केदारनाथ राय का आलेख
कुब्जा सुंदरी

°

वैदिक कहानियों में
डा रति सक्सेना प्रस्तुत कर रही हैं
सोम और सूर्या के विवाह की कथा

°

साहित्य समाचार में
अंतर्राष्ट्रीय इंदु शर्मा कथा सम्मान
तथा पद्मानंद साहित्य सम्मान समारोहों
पर रपट
लंदन में सम्मान समारोह

°

रसोईघर में
पुलावों के स्वादिष्ट संग्रह में तैयार है
दक्षिण भारत के रसोईघर से
नीबू पुलाव

 

आपकी प्रतिक्रिया    लिखें / पढ़ें 

Click here to send this site to a friend!

आज सिरहानेआभारउपन्यासउपहारकहानियांकला दीर्घाकविताएंगौरवगाथा पुराने अंक नगरनामा
घर–परिवारदो पलपरिक्रमापर्व–परिचयप्रकृतिपर्यटनप्रेरक प्रसंगफुलवारीरसोईलेखकलेखकों सेविज्ञान वार्ता
विशेषांकशिक्षा–सूत्रसाहित्य संगमसंस्मरणसाहित्य समाचारसाहित्यिक निबंधस्वास्थ्यसंदर्भसंपर्कहास्य व्यंग्य

© सर्वाधिकार सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना   परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन     
     सहयोग : दीपिका जोशी
तकनीकी सहयोग :प्रबुद्ध कालिय  साहित्य संयोजन :बृजेश कुमार शुक्ला