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116.  9.  2006 

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पिछले सप्ताह
1
हास्य व्यंग्य में
अंतरा करवड़े कर रही हैं
समाजसेवा

°

संस्कृति में
डा नवीन लोहानी से रोचक जानकारी
हमारा लोक साहित्यः लावनी

°

घर परिवार में
अर्बुदा ओहरी के कारगर सुझाव
बिन पानी सब सून

°

रसोईघर में
माइक्रोवेव की सहायता से पकाएंं
बेसन का सब्ज़ीदार चीला

°

कहानियों में
भारत से डा शिबन कृष्ण रैणा की कहानी
बाबू जी

बीच में थोड़ा रूककर उन्होंने सामने दीवार पर टंगी अपनी पत्नी की तस्वीर की ओर देखा और गहरी–लंबी सांस लेकर बोले, "आज हमारी शादी की सालगिरह है। बुढ़िया जीवित होती तो सुबह से ही इन मेडलों को चमकाने में लग गई होती। ये मेडल उसे अपनी जान से भी प्यारे थे। जाते–जाते डूबती आवाज़ में मुझे कह गई थी – निक्के के बाबू, यह मेडल तुम्हें नहीं, मुझे मिले हैं। हां – मुझे मिले हैं। इन्हें संभालकर रखना– हमारी शादी की सालगिरह पर हर साल इनको पालिश से चमकाना।" कहते–कहते बाबूजी कुछ भावुक हो गए। क्षणभर की चुप्पी के बाद उन्होंने फौजी अंदाज़ में ठहाका लगाया और बोले, "बुढ़िया की बात को मैंने सीने से लगा लिया।"
°

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इस सप्ताह
हिंदी दिवस विशेषांक
1
साहित्य संगम में
सी वी श्रीरमण की मलयालम कहानी का हिंदी रूपांतर लौटते हुए

उसने बच्चे से पूछा, 'कहां पढ़ते हो बेटा?'
'हिंदू वेदिक इंग्लिश मीडियम स्कूल . . .'
'किस क्लास में?'
'तीसरे क्लास . . .'
औरत ने हाथों से बच्चे का मुंह बंद किया।
'यू आर स्टडियिंग इन हिंदू वेदिक इंग्लिश मीडियम स्कूल अफिलिएटेड टू ऑक्सफोर्ड। टाल्क इन इंग्लिश मैड यू।'
औरत ने बच्चे के मुंह से हाथ हटाया।
बच्चे ने कहा, 'तीसरे क्लास में . . .'
औरत के हाथ कांप रहे थे। उसने बच्चे को मारा और धक्का भी दिया। बच्चे के होंठ और माथे से खून निकला और वह दौड़ा . . .तब भी वह चीख रही थी।
'यू इंडियन डेविल टॉक इन इंग्लिश।'

°

हास्य व्यंग्य में
अनूप कुमार शुक्ल का व्यंग्य
हिंदी की स्थिति

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हिंदी दिवस के अवसर पर
दो विशिष्ट रचनाएं

लक्ष्मीमल्ल सिंघवी का आलेख
संविधान में हिंदी
और
डा विवेकानंद शर्मा की कलम से
फ़ीजी में हिंदी

°

साहित्यिक निबंध में
रिंपी खिल्लन सिंह की रचना
लोकसंवेदना के कवि सर्वेश्वर

 सप्ताह का विचार
केवल अंग्रेज़ी सीखने में जितना श्रम करना पड़ता है उतने श्रम में भारत की सभी भाषाएं सीखी जा सकती हैं। —विनोबा

 

हिंदी को समर्पित  विशेष कविताएं साथ में काका हाथरसी के जन्म दिवस पर हास्यरस से पगी उनकी ढेर सी रचनाएं

–° पिछले अंकों से °–

कहानियों में
भटकन–संतोष गोयल
गुलाबी हाथी–दीपक शर्मा
फोकस–अलका पाठक
मुंबई टु सतपुड़ा–पुष्यमित्र

तुम सच कहती हो–अभिरंजन कुमार
चाह–डॉ शैलजा सक्सेना
°

हास्य व्यंग्य में
अथ गणेशाय नमः–शरद जोशी
बंदरों ने किताबें क्यों फाड़ीं–गुरमीत बेदी
जनतंत्र–डा नरेन्द्र कोहली 
राजनीति और मूंछ–राजेन्द्र त्यागी
°

प्रकृति में
डा डी एन तिवारी का
चिर सखा बांस
°

साहित्यिक निबंध में
विद्याभूषण मिश्र की लेखनी से
सावन उड़ै कजरिया मस्तानी
°

फुलवारी में
मौसम के विषय में जानकारी की बातें
मौसम क्या है?
°

साहित्य समाचार में
जापान से विशेष रपट
टोक्यो में अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन
°

चिठ्ठापत्री में
चिठ्ठापंडित की पैनी नज़र
जुलाई माह के चिठ्ठों पर
°

श्रद्धांजलि में
उस्ताद बिस्मिल्लाह खां से परिचय और
एक महत्वपूर्ण साक्षात्कार

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© सर्वाधिकार सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों  अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना  परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन 
 सहयोग : दीपिका जोशी
फ़ौंट सहयोग :प्रबुद्ध कालिया

   

 

 
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