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लेखकों से
१. १०. २०२०

इस माह-

अनुभूति में-
विजयदशमी के पर्व और श्रीराम पर केंद्रित विभिन्न विधाओं में विविध रचनाकारों की अनेक रचनाएँ।

-- घर परिवार में

रसोईघर में- नवरात्रि के अवसर हमारी रसोई संपादक शुचि लिये विशेष रूप से व्रत के लिये प्रस्तुत कर रही हैं- फलाहारी व्यंजन

स्वास्थ्य के अंतर्गत- दिल की आवाज सुनो- बारह उपाय जो रखें आपके दिल की सेहत को दुरुस्त- १०- डाक्टर की सलाह मानें।

बागबानी- आयुर्वेद की दृष्टि से उपयोगी बारह पौधे जो हर घर में उगाए जा सकते हैं। इस अंक में प्रस्तुत है- १०- मेथी का पौधा।

बचपन की आहट- शिशु-विकास के अध्ययन में संलग्न इला गौतम की डायरी के पन्नों से- नवजात शिशु- उन्तालीस से बयालीस सप्ताह तक

- रचना व मनोरंजन में

क्या आप जानते हैं- इस माह (अक्तूबर) की विभिन्न तिथियों में) कितने गौरवशाली भारतीय नागरिकों ने जन्म लिया? ...विस्तार से

संग्रह और संकलन- में प्रस्तुत है- डॉ.राजेन्द्र गौतम की  कलम  से  बाबूराम शुक्ल  के  नवगीत संग्रह- संवेदन के मृगशावक का परिचय। 
वर्ग पहेली- ३३०
गोपालकृष्ण-भट्ट-आकुल और
रश्मि-आशीष के सहयोग से


हास परिहास
में पाठकों द्वारा भेजे गए चुटकुले

साहित्य एवं संस्कृति के अंतर्गत- 

समकालीन कहानियों में यू.के. से
शैल अग्रवाल की कहानी विसर्जन

"जय दुर्गे महाकाली नमस्तुते माँ चंडी नम:। या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता।" श्लोक के शब्द मनचाहे क्रम से ही, विस्मृत अवस्था में भी स्वत: ही होठों तक आ और जा रहे थे।
"जय जयति ब्रह्मचारिणी जय जयंती भद्रकाली माँ सरस्वती नम:।" मानो बिस्तर पर नहीं, माँ के मंदिर में आसित थे वे -- आश्चर्य था प्रणव भास्कर बैनर्जी को खुदपर?
"जय जय शैलपुत्री रक्त-नेत्रिणी विघ्न-विनाशिनी विंध्य-वासिनी कष्ट हरिणी नम:।"
"या कात्यायनी पार्वती कमला गौरी नंदिनी रक्षामि अहं माँ अंबे नमोस्तुते।"
मंत्र और संस्कृत सब भूल चुके थे वे परंतु रात के नीरव सन्नाटे में भी, अनियंत्रित और उत्कंठ पाठ खुद उनके ही कानों से टकराकर चतुर्दिक गूँजने लगा। बुद्धि और मन की सीमाएँ तोड़ते, माथे पर बहते ठंडे पसीने से, देवी के प्रति समर्पित वे बोल, निरंकुश आँखों और होठों से बह रहे थे। माँ के हर रूप का साक्षात्कार कर लिया था आज उन्होंने आगे...
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जवाहर चौधरी का व्यंग्य
रहस्य राम-वनवास का
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डॉ. सुधा पांडेय की कलम से पर्व परिचय
विजयदशमी और नवरात्र
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डॉ गणेशकुमार पाठक का आलेख
विजयदशमी पर शस्त्रपूजा  
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पुनर्पाठ में मानोशी चैटर्जी से जानें
बंगाल की दुर्गापूजा के विषय में

पिछले अंक में-

सुभाष बुड़ावनवाला का
प्रेरक प्रसंग- ग्राहक की संतुष्टि
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प्रकृति के अंतर्गत
संकलित आलेख कहानी मक्के की
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राकेश ढौंडियाल का ललित निबंध
 सॉफ्टी भुट्टे गुब्बारे
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पुनर्पाठ में
स्वाद और स्वास्थ्य के अंतर्गत- मधुर मक्का

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समकालीन कहानियों में भारत से
सुदर्शन खन्ना की कहानी भुट्टेवाला

‘भइया, क्या तुम्हारे पास नरम नरम और कच्चे भुट्टे हैं, छोटे बच्चों के लिए ले जाने हैं?’ सुरेखा ने बाज़ार में रेहड़ी पर भुट्टे वाले से पूछा जो गर्मी के बावजूद कच्चे कोयले की अग्नि में भुट्टे सेक सेक कर रखता जा रहा था। ‘हाँ, बहन जी, बहुत हैं, कितने चाहिएँ?’ भुट्टे वाले ने पंखा चलाते-चलाते पूछा। ‘मुझे पाँच भुट्टे ले जाने हैं, ज़रा निकाल दो और यह भी बता दो कि कितने का है एक भुट्टा’ सुरेखा ने कहा। ‘बहन जी, एक भुट्टा दस रुपये का है और पाँच भुट्टे पचास रुपये के होंगे’ भुट्टे वाले ने तुरंत जवाब दिया। ‘पाँच भुट्टे लेने पर भी कोई छूट नहीं!’ सुरेखा ने कहा। ‘अरे बहन जी, सुबह से शाम तक खड़े रहकर तपती गर्मी में कोयले की आग पर सेक कर भुट्टे बेचते हैं, कोयला भी दिन-ब-दिन महँगा होता जा रहा है। क्या करें, इतनी कमाई नहीं होती जितना कि आपको लग रहा है। हाँ, अगर आपको कच्चे ही ले जाने हैं और घर पर सेकने हैं तो मैं आपको आठ रुपये के हिसाब से दे दूँगा’ भुट्टे वाले ने समझाया। आगे...

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है
यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।


प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

 
सहयोग : कल्पना रामानी