पुरालेख-तिथि-अनुसार-पुरालेख-विषयानुसार / लेखकों से

पता- teamabhi@abhivyakti-hindi.org

९ सितंबर २००२

कहानियाँ कविताएँ साहित्य संगम दो पल कला दीर्घा साहित्यिक निबंधउपहार परिक्रमा
फुलवारीहास्य व्यंग्य प्रकृति पर्यटन संस्मरण प्रेरक प्रसंग रसोई स्वास्थ्य घर–परिवार
पर्व–परिचयगौरवगाथाशिक्षा–सूत्रआभारसंदर्भलेखकसंपर्कलेखकों से
 

कथा महोत्सव
२००२
प्रवासी भारतीय लेखकों की कहानियों के संकलन वतन से दूर में प्रस्तुत है यू के उषा वर्मा की कहानी- रौनी

रौनी की माँ जेल में थी बाप का पता नहीं था। रौनी फ्रौस्टर पेरेन्ट्स के पास रहता था, असुरक्षा की भावना ने रौनी के मन में एक ऐसे विद्रोह को जन्म दिया था जिसे रौनी खुद ही नहीं सँभाल पा रहा था। रौनी सोशल वर्कर और फौस्टर पेरेन्ट के बीच एक घर से दूसरे घर भटकता, घर बदलने के साथ साथ रौनी का भाग्य भी बदलता।

°°°
नार्वे से डा सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक' की-कहानी- मंजिल-के-करीब

अपने देश की मिट्टी में जो सौंधापन है, जो खुशबू है, वह यहाँ नहीं है। यहाँ आसमान भी मानो हमें निगलना चाहता है। तभी मुझे उस बूढ़े नार्विजन की याद आई। 

महोत्सव की अन्य कहानियाँ
bullet

जड़ों से कटने पर
यू ए ई से कृष्ण बिहारी

bullet

वापसी
यू के से शैल अग्रवाल

bullet

उपलब्धियाँ
यू  एस ए से सुरेन्द्रनाथ तिवारी

bullet

अनजाना सफर

bullet

कनाडा से अश्विन गांधी

अगले अंक में
यू ए ई से पूर्णिमा वर्मन की कहानी 'यों ही चलते हुए'

 

इस सप्ताह

परिक्रमा में
दिल्ली दरबार के अंतर्गत भारत से 
कुछ खबरदार खबरें बृजेशकुमार शुक्ल की कलम से। शीर्षक है 

नया करिश्मा 

°

लघु कथाओं की नयी श्रृखला 
महानगर की कहानियाँ में
सूरज प्रकाश की लघुकथा
बीच का रास्ता

°

संस्मरण में
नार्वे से शरद आलोक की ब्रिटेन यात्रा के संस्मरण
जिसने लन्दन को नही जिया उसने जीवन को नहीं जिया

°

रसोईघर में
तैयार है मिठाइयों में सदाबहार 
खीर 
और नमकीन में लज्जतदार
 
उपमा

°

और पिछले सप्ताह से
गौरव गाथा में
डा सूर्यबाला की कहानी
आखिरवीं विदा

पिता हो गए पति ने मौन तोड़ा,
"मेरा खयाल है कि अब हमें एकदम निकल लेना चाहिए। अरे थोड़ा–बहुत उसके आने पर भी कर लोगी तो क्या कोई मेहमान है अपना बेटा ही तो है।"
"हाँ, उनका बहुत अच्छा बेटा।"
सोचकर ही भीगी किशमिशें जैसे और मीठी हो आईं। निकालकर छुहारे की चटनी में मिलाई और उठ लीं।

अनुभूति में 

दुश्यंत कुमार, आशीष भटनागर, रवींन्द्र मोहन दयाल और 
शरद आलोक की कविताएँ 

साहित्य समाचार
नावयू के से नये समाचार

पिछले अंक से-

परिक्रमा में
सुमन कुमार घेई का आलेख
कैनेडा पर छाया इंद्रधनुष
और
लंदन पाती में यू के से शैल अग्रवाल की कलम से- धूप छाँव में
°
कला दीर्घा में कला और कलाकार के अंतर्गत राजा रवि वर्मा अपने दो प्रसिद्ध चित्रों के साथ
°
फुलवारी में सितारों की दुनियाँ के अंतर्गत इला प्रवीन का आलेख 
सूरज और कविता इतना सब कुछ
°
रत्न रहस्य के अंतर्गत रत्नों द्वारा दमा की चिकित्सा श्री वी के जैन द्वारा
°
संस्मरण में अभिज्ञात की जिन्दग़ी के
भावभीने दस्तावेज
.
'तेरे बगैर '
°
पर्व परिचय में रक्षाबंधन के विषय में विशेष जानकारी बंधन धागों का
°
उपहार में बारिश के मौसम की हल्की हल्की  फुहारों का संदेश बूँदों में
°
सामयिकी में एक संक्षिप्त परिचय
भारतीय गणतंत्र
के दस राष्ट्रपति
और राजेश्वर प्रसाद नारायण का लेख
वंदेमातरम की कहानी
°
साक्षात्कार में पाकिस्तान दूरदर्शन के
साथ सुषमा स्वराज के बहुचर्चित
साक्षात्कार का सम्पूर्ण आलेख

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना   परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन, सहयोग : दीपिका जोशी
तकनीकी सहयोग :प्रबुद्ध कालिया   साहित्य संयोजन :बृजेश कुमार शुक्ला

1

1
मुखपृष्ठ पुरालेख तिथि अनुसार । पुरालेख विषयानुसार । अपनी प्रतिक्रिया  लिखें / पढ़े
1
1

© सर्वाधिका सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक
सोमवार को परिवर्धित होती है।