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पिछले सप्ताह

सामयिकी में
डा जगदीश व्योम का संस्मरण
स्मृतिशेष डा उर्मिलेश

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रचना प्रसंग में
आर पी शर्मा 'महर्षि' के धारावाहिक 'ग़ज़ल लिखते समय' का छठा भाग
छंद विचार–3

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हास्य व्यंग्य में
अगस्त्य कोहली का आलेख
सांस्कृतिक विरासत

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प्रौद्योगिकी में
रविशंकर श्रीवास्तव का स्नेहपूर्ण निमंत्रण
चलो चिट्टा लिखें

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कहानियों में
ऑस्ट्रिया से राकेश त्यागी की कहानी
लॉटरी

अगले दिन अख़बार में छपा– महिलाओं ने लॉटरी के ख़िलाफ़ जलूस निकाला, जिलाधिकारी का घेराव किया और जबतक जिलाधिकारी ने ज़िले से लॉटरी ख़त्म करने का आश्वासन नहीं दे दिया, घेराव समाप्त नहीं किया गया। विशाल को पढ़कर शांति मिली। उसने सोचा– जनता ऐसे ही जागरूक होकर सामाजिक कुरीतियों के ख़िलाफ़ खड़ी हो जाए तो काफ़ी सुधार हो जाएं। एक बात और उसके दिमाग़ में आई– चाहे लॉटरी हो या शराबबंदी पहाड़ में हमेशा महिलाओं को ही मोर्चा संभालना पड़ता है, वनों को बचाने के लिए चिपको–आंदोलन भी महिलाओं ने ही शुरू किया था। ऐसा क्यों?

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इस सप्ताह

कहानियों में
भारत से संजय विद्रोही की कहानी
बस कब चलेगी

अस्सी बरस के खिल्लन मियां को जब से ये पता चला है कि श्रीनगर­मुज्जफ़राबाद के बीच सरहद के आर­पार बसें चलने वाली हैं‚ तब से मानो उनके पांव ज़मीन पर पड़ ही नहीं रहे थे। आंखें ऐसे चमकने लगीं थीं‚ मानो बुझते चराग़ों में किसी ने तेल डाल दिया हो। दिल में अपने खानदान के लोगों से मिलने की हूक फिर से उठने लगी थी। मुर्दा हो चली ख्वाहिशें फिर से सांस लेने लगी थी। चेहरे की झुर्रियों में उम्मीदों की लकीरें साफ़ पढी जा सकती थी, चाल की नज़ाकत और बेंत ज़मीन पर टिकाते वक्त गहरा आत्मविश्वास देखते ही बनता था। आठों पहर बस यही खयाल दिल में चलता रहता था कि 'बस कब चलेगी?'

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हास्य व्यंग्य में
डा नरेन्द्र कोहली का व्यंग्य
मानवाधिकार

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रचना प्रसंग में
आर पी शर्मा 'महर्षि' के धारावाहिक 'ग़ज़ल लिखते समय' का सातवां भाग
छंद विचार–4

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विज्ञान वार्ता में
आशीष गर्ग का लेखः कैसे काम करता है
स्मोक डिटेक्टर

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फुलवारी में
आविष्कारों की नयी कहानियां
और शिल्पकोना में पानी पीने के लिए
काग़ज़ का गिलास

सप्ताह का विचार
जै
से उल्लू को सूर्य नहीं दिखाई देता वैसे ही दुष्ट को सौजन्य दिखाई नहीं देता।
— स्वामी भजनानंद

 

अनुभूति में

सरिता शर्मा,
लालजी वर्मा, अशोक चक्रधर, बाबूलाल कदम व अन्य परिचित कवियों की नयी रचनाएं

–° पिछले अंकों से °–

कहानियों में
संदर्भहीन–सुदर्शन प्रियदर्शिनी
रोशनी का टुकड़ा–अभिनव शुक्ल
ओ रे चिरूंगन मेरे–मीना काकोडकर 
खाल–विनीता अग्रवाल
बहुरि अकेला –मालती जोशी
वापसी–सुरेशचंद्र शुक्ल
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हास्य व्यंग्य में
मुक्त मुक्त का दौर–डा नवीन चंद्र लोहनी
फंदा–डा नरेन्द्र कोहली
कौन किसका बाप–महेशचंद्र द्विवेदी
ट्यूशन पुराण–रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
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रचना प्रसंग में
आर पी शर्मा 'महर्षि' के धारावाहिक 'ग़ज़ल लिखते समय' का पांचवां भाग
छंद विचार–2
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साहित्यिक निबंध में
भारतेन्दु मिश्र का आलेख
दोहे की वापसी
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आज सिरहाने
कुसुम अंसल का उपन्यास
तापसी
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मंच मचान में
अशोक चक्रधर के शब्दों में 
सौ सवा सौ साल पहले
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बड़ी सड़क की तेज़ गली में
अतुल अरोरा के साथ
अटलांटा के अलबेले रंग
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रसोईघर में
पुलावों की सूची में एक नया व्यंजन
कश्मीरी पुलाव
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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों  अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
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प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना  परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
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