अनुभूति

16. 8. 2005

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पिछले सप्ताह

मंच मचान में
अशोक चक्रधर के शब्दों में 
अंतिम विदाई हो तो ऐसी

बड़ी सड़क की तेज़ गली में
अतुल अरोरा के साथ
एन आर आई होने का अहसास

रचना प्रसंग में
आर पी शर्मा 'महर्षि' के धारावाहिक 'ग़ज़ल लिखते समय' का सोलहवां भाग
रूबाई

रसोईघर में
पुलावों की सूची में नया व्यंजन
ज़ाफ़रानी पुलाव

कहानियों में
यू एस ए से नीलम जैन की कहानी
प्रश्न

दोपहर के खाने के बाद से ही स्त्रियां घर आने लगीं थीं। मां ने सबको चेता दिया था कि गाना गाने को तैयार लड़कियों को ही झूले पर पींग की प्राथमिकता मिलने वाली है। तीज के इस झूले पर दो–दो व्यक्ति एक साथ आमने सामने अपने पैर सामने वाले की पटड़ी पर सटा कर बैठ सकते हैं। दोनों तरफ़ एक–एक लड़की खड़ी हो कर सावन के गीत गाते हुए झुला देतीं। बाकी सभी मेहमान घेरे में खड़ी हंसी ठिठोली करती गा रहीं थीं और बीच–बीच में चाट, भजिया, शरबत और चाय का दौर चलता। कुछेक स्त्रियां गानों पर नाच रहीं थी। मां को यह सब धूमधाम बहुत भाती है और वो खुद भी बढ़ चढ़ कर गीत गाने की इस रूमानी ऋतु का श्रीगणेश करती हैं।

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अभिव्यक्ति पांच साल की

अनहद खुशी है
अभिव्यक्ति छठे वर्ष में
प्रावेश कर रही है
आशा है
उम्मीद है
ये कारवां
हंसता हुआ
खुशी के गीत गाता हुआ
बढ़ता  रहे।

जन्मदिन मुबारक, 
          अभिव्यक्ति !

कहानियों में
यू एस ए से राम गुप्ता की कहानी
शौर्यगाथा

जब उमड़–घुमड़ कर कजरारे बादल छा जाते हैं, लोग चौपाल पर जमा हो कर नगाड़े की चोट पर आल्हा अलाप उठते हैं। जैसे–जैसे बादलों का गर्जन बढ़ता है वैसे–वैसे ही उनकी तान ऊंची उठती जाती है, यहां झम–झम कर बौछारें हो रही होती हैं वहां सुनने वाले पूरे जोश में भरे आल्हा के शौर्य में डूब उतरा रहे होते हैं।

हास्य व्यंग्य में
गोपाल चतुर्वेदी बता रहे हैं
देश का विकास जारी है

साहित्यिक निबंध में
मिथिलेश श्रीवास्तव का आलेख 
कला में आज़ादी के सपने

रचना प्रसंग में
आर पी शर्मा 'महर्षि' के धारावाहिक 'ग़ज़ल लिखते समय' का सत्रहवां भाग
मराठी ग़ज़लों में छंद–1

उपहार में
जन्मदिन की शुभकामनाएं
जन्मदिवस मंगलमय होवे

सप्ताह का विचार
संतोष का वृक्ष कड़वा है लेकिन इस पर लगने वाला फल मीठा होता है।
—स्वामी शिवानंद

 

अनुभूति में

वर्षा महोत्सव का शुभारंभ हर रोज नयी वर्षा कविताओं के साथ

–° पिछले अंकों से °–

कहानियों में
सुहागन–विजय शर्मा
चीजू का पाताल–प्रमोद कुमार तिवारी
गुनहगार–सुषम बेदी
फर्क–सूरज प्रकाश
मुक्ति–प्रत्यक्षा
शर्ली सिंपसन शुतुर्मुर्ग है–उषा राजे सक्सेना

हास्य व्यंग्य में
कुतुबमीनारडा नरेन्द्र कोहली
कुता–अरूण राजर्षि
प्रवासी से प्रेम–डा प्रेम जनमेजय
हे निंदनीय व्यक्तित्व–अशोक स्वतंत्र 

दृष्टिकोण में
महेशचंद्र द्विवेदी का मन्थन
आस्तिकता या नास्तिकता

फुलवारी में
आविष्कारों की नयी कहानियां
और शिल्पकोना में बनाएं
बाघ का नया मुखौटा

महानगर की कहानियों में
कमल चोपड़ा की लघुकथा
खेलने के दिन

प्रौद्योगिकी में
रविशंकर श्रीवास्तव ने परखा 'भारत संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय' के
हिन्दी सॉफ्टवेयर उपकरण

सामयिकी में
प्रेमचंद जयंती के अवसर पर
डा जगदीश व्योम की जांच–पड़ताल
प्रेमचंद 'मुंशी' कैसे बने

आज सिरहाने
कृष्णा सोबती का उपन्यास
समय सरगम

 

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© सर्वाधिकार सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों  अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना  परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन 
 सहयोग : दीपिका जोशी
फ़ौंट सहयोग :प्रबुद्ध कालिया

   

 

 
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