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124.  10.  2006 

आज सिरहानेउपन्यासउपहारकहानियांकला दीर्घाकविताएंगौरवगाथापुराने अंकनगरनामारचना प्रसंगपर्व पंचांग
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पिछले सप्ताह
1
हास्य व्यंग्य में
अभिनव शुक्ल का राजनीति–विश्लेषण
विभीषण की सरकार

°

साहित्यिक निबंध में
मनोहर पुरी का विस्तृत विवरण
पर्व पुंज दीपावली

°

ललित निबंध में
रमेश तिवारी विराम का आलेख
ज्योतिपर्व की जय

°

दृष्टिकोण में
रमेश गौतम के विचार
तुलसी कथा रघुनाथ की

°

कहानियों में
डॉ हरिसुमन बिष्ट की कहानी
हवाघर

"दीपावली के अभी दो दिन बाकी हैं।"
"हां साब! दो दिन दो माह दो साल भी हो सकते हैं, बहुत बड़ा देश है नेपाल, मुझे तो अपना मुल्क डोटी तक ही जाना है।" उसका सदा मुस्कराने वाला चेहरा सफ़ेद फीका पड़ गया, वह कुछ कहना चाहता था पर कह नहीं सका, बचपन से वह हमारी कॉलोनी में आता-जाता था, यहां की हवा-पानी में उसकी पहचान शामिल हो गई थीं, कॉलोनी से उसका जीवन जुड़ गया था। माल, लोअर बाज़ार से घर- गृहस्थी का बोझ ही नहीं, जीवन-मरण के काम भी वह स्नोडन तक करता था, किंतु आज उसके सफ़ेद चेहरे को देखकर सारी
उम्मीदें बेमानी लग रही थी। "आओ, वहां बैंच पर बैठते हैं।" मैंने कहा, मन हुआ कि उसकी बांह थामकर हवाघर तक ले चलूं।

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इस सप्ताह
1
कहानियों में
यू के से तेजेन्द्र शर्मा की कहानी
ढिबरी टाइट

 दिनेश लगभग दस वर्षों से कुवैत में चार्टड अकाउंटेंट है। गांव के गुरमीत को परदेस में भी एक जानकार तो मिल ही गया था। गुरमीत ने अपने सरल स्वभाव और व्यवहार से शीघ्र ही अपने आपको वहां सुव्यवस्थित भी कर लिया था। उसे रहने के लिए हिल्टन होटल के पीछे ही एक जगह मिल गई थी। उसने स्वयं ही यह स्थान पसंद किया था। कुछ गांव के घरों जैसा घर था। आंगन के मुख्य द्वार से घर तक पहुंचने तक ही तीन मिनट तो चलना ही पड़ता था। चारों ओर ऊंची दीवार और बीच मध्य में उसका तीन कमरे का वातानुकूलित घर! जी जान से मेहनत कर रहा था गुरमीत और वहां जगरांव में कुलवंत ने एक फूल सी बेटी को जन्म दिया।

°

हास्य व्यंग्य में
मुरली मनोहर श्रीवास्तव की कलम से
एक महान व्यक्ति की आत्मकथा

°

प्रौद्योगिकी में
रविशंकर श्रीवास्तव से कुछ अंदरूनी बातें
एमपी3 प्लेयर के संबंध में

°

फिल्म इल्म में
अजय ब्रह्मात्मज के फिल्मी संसार की
वे प्रसिद्ध महिलाएं

°

साहित्य समाचार में
कलकता और लखनऊ से

दो समाचार
°

 सप्ताह का विचार
लियुग में रहना है या सतयुग में यह तुम स्वयं चुनो, तुम्हारा युग तुम्हारे पास है।— विनोबा

 

अनेक कवियों की नयी दीपावली रचनाएं, कविताओं में
सुरेश यादव और
नयी हवा में
दीपांकर दीप

दीपावली विशेषांक समग्र

–° पिछले अंकों से °–

कहानियों में
श्रीभट्ट (नाटक) – शिबन कृष्ण रैणा
तलवार–मधुसूदन आनंद
पुराने कपड़े–शरद सिंह
लौटते हुए–सी पी श्रीरामन
बाबू जी–डा शिबन कृष्ण रैणा
भटकन–संतोष गोयल
°

हास्य व्यंग्य में
हार्दिक बधाई – रवि रतलामी
रहस्य राम–वनवास का–जवाहर चौधरी
कहां रहती हो तुम, जाना – समीर लाल
हिंदी की स्थिति–अनूप कुमार शुक्ल
°

पर्व परिचय में
दीपिका जोशी मना रही हैं
करवा–चौथ
°

रसोईघर में
अभी से तैयार हो रहे हैं
दीपावली के पकवान
°

घर परिवार में
अर्बुदा ओहरी कर रही हैं
सुबह के नाश्ते को सलाम
°

पर्व परिचय में
रणवीर सेठी का आलेख
नेपाल का दशहरा
°

कला दीर्घा में
नवरात्र के अवसर पर विशेष दीर्घा
लोक कलाकृतियों में दुर्गा
°

फुलवारी में
दशहरे के लिए बनाएं
दुर्गा का मुखौटा

 

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकाें अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेन परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
 सहयोग : दीपिका जोशी
फ़ौंट सहयोग :प्रबुद्ध कालिया

 

 
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