शुषा लिपि
सहायता

अनुभूति

24. 1. 2003 

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पिछले सप्ताह
नये युग कहानियों के क्रम में तीसरी कहानी भारत से सूर्यबाला की
टी वी त्रासदी
दादी और रिमोट

साफ–सुथरा चांटा–पोंछा धर।  एक
कोने में उनकी कोठरी।  पदें ढंकी
खिड़की, तिपाई,  जग में पानी और
तिपाई पर बिस्कुट का पाकिट भी। 
और तो और उनकी खाट के ऐन सामने
एक छोटा टी•वी• भी। इन सबके
बीच पूरी निगरानी के साथ दादी को
स्थापित कर दिया गया।  नल की
टोटियां खोल बंद करके बताई गई।
खिड़की के हुक और दरवाजों के
हैंडल।  कमोड में पानी चलाने की
तरकीबें।इस स्थापना–पर्व के बीच ही
बेटे के बेटे ने पुट्ट से रिमोट की बटन
दबा दी। 
°

आज सिरहाने
हिन्दी साहित्य की नयी पुरानी पुस्तकों
से परिचय के इस नये स्तंभ में
श्रीलाल शुक्ल के उपन्यास

 
राग विराग
से संक्षिप्त परिचय
°

कलादीर्घा में
कला और कलाकार के अंतर्गत जामिनी राय 
से परिचय उनकी कलाकृतियों के साथ
°

धारावाहिक में
अभिज्ञात की आत्मकथा तेरे बगैर
की अगली किस्त
जो शब्दों की कमी के लिए क्षमा मांगते हैं
°

निबंध में
नव वर्ष के अवसर
पर नरेश भारतीय का लेख

नव वर्ष नव संकल्प
°

निमंत्रण

अभिव्यक्ति की ओर से 'कथा महोत्सव 2003' के लिये भारत के नागरिक व निवासी  हिन्दी कथाकारों की कहानियां आमंत्रित की जाती हैं। कहानी का आकार 3000 शब्दों से 5000 शब्दों के बीच होना चाहिये। कहानी का विषय कुछ भी हो सकता है पर उसमें भारत के हवा–पानी की खुशबू होना ज़रूरी है।
   
विस्तृत सूचना

 

इस सप्ताह

नये युग कहानियों के क्रम में अंतिम
भारत में बदलते ज़माने की कहानी
कृष्ण बिहारी की ज़बानी
दुश्मन से दोस्ती

"धड़ाधड़ टी वी सेट भी मोहल्लों में
उतरने लगे, किश्तों पर, क्योंकि जिसके
यहां रोज़ जमकर देखते थे उसने बच्चों
को दुत्कार कर भगा दिया। अब भला
टी वी न खरीदें तो नाक कैसे बचेगी
नाक बचाने के लिए पड़ोसी को नीचा
दिखाना ही होगा और यह काम बिना
टी वी खरीदे नहीं हो सकता कर्ज़ लदता
हो तो लदे, पहले लोग कर्ज़ से बचते थे
पर अब . . .
ज़माना बदल रहा था न!
इन्स्टॉलमेण्ट्स देना फैशन होने लगा था . . .

°

संस्मरण में
अमिताभ बच्चन और मृणाल पांडे 
की कलम से 
हरिवंश राय बच्चन के साथ बीते 
वे दिन, वे पल छिन

°

परिक्रमा में
लंदन पाती के अंतर्गत विश्व में शांति और सौर्हाद्र के नये स्रोत तलाशती 
शैल अग्रवाल का आलेख
एच टू ओ

तथा

नार्वे निवेदन के अंतर्गत डा सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक' का आलेख
प्रथम प्रवासी दिवस पर

°

पर्यटन में
भारत के ऐतिहासिक नगर
भरतपुर और अजेय दुर्ग
लोहागढ़ 

के विषय में जानकारी एम सी कटरपंच की कलम से

°

फिल्म इल्म में
दीपिका जोशी प्रस्तुत कर रही हैं
दिल का रिश्ता, तुझे मेरी
कसम ओर जिस्म 

फिल्मों से एक परिचय
1

सप्ताह का विचार

हिष्णुता और समझदारी 
संसदीय लोकतंत्र के लिये उतने ही
आवश्यक है जितने संतुलन और
मर्यादित चेतना
— डा शंकर दयाल शर्मा

 

अनुभूति में


श्रद्धांजलि
मधुशाला के रचयिता हरिवंश राय बच्चन के नाम

–  साहित्य समाचार  –
प्रवासियों का हिंदी कवि सम्मेलन

° पिछले अंकों से °
°

प्रेरक प्रसंग में मानस त्रिपाठी की प्रेरणाप्रद रचना उपयोगिता

°

रसोईघर में नये वर्ष में प्रस्तुत है शाकाहारी मुगलई का मस्त ज़ायका
पनीर के सीक कवाब

°

हास्य व्यंग्य में महेश द्विवेदी का लेख
मेरी प्रेमिका को लाओ कार पाओ

°

फुलवारी में लोक कथाओं के क्रम में कन्नड़ लोककथा पुण्यकोटि गाय
और कविता खिड़की पर गमले

°

पर्व परिचय में क्रिसमस के विषय में
गीतांजलि सक्सेना का लेख
क्रिसमसःकुछ तथ्य
और 

मकर संक्रांन्ति के अवसर पर
डा गणेश कुमार पाठक की कलम से
मकर संक्रांति : एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण

°

पर्यटन में वियना के दार्शनिक स्थलों
की जानकारी पर्यटक की कलम से
विचरना वियना में

°

कहानियों में
 अग्रवाल की कहानी सूखे पत्ते
राजेश जैन की प्रोग्रामिंग
अन्विता अब्बी की रबरबैंड
बसंत आर्य की लघुकथा बारिश

°°

परिक्रमा में
दिल्ली दरवार के अंतर्गत भारत की
ताज़ातरीन घटनाओं का लेखा जोखा
बृजेश कुमार शुक्ला के शब्दों में

1भारत में मेट्रो और सस्ती 
दूरसंचार सेवा

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार 
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प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना   परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
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