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अनुभूति

1.  10.  2006 

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पिछले सप्ताह

हास्य व्यंग्य में
 कैनेडा से समीर लाल की पुकार
कहां रहती हो तुम, जाना!

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विज्ञान वार्ता में
गुरूदयाल प्रदीप के साथ मंगल ग्रह पर
रोवर बग्घियों के आगे

°

प्रौद्योगिकी में
रविशंकर श्रीवास्तव सिखा रहे हैं
दाहिने क्लिक का कमाल

°

फिल्म इल्म में
भावना कुंअर परख रही हैं
हृषिदा का फिल्म संसार

°

कहानियों में
भारत से शरद सिंह की कहानी
पुराने कपड़े

उसने बच्चे से पूछा, 'कहां पढ़ते हो बेटा?'
'हिंदू वेदिक इंग्लिश मीडियम स्कूल . . .'
'किस क्लास में?'
'तीसरे क्लास . . .'
औरत ने हाथों से बच्चे का मुंह बंद किया।
'यू आर स्टडियिंग इन हिंदू वेदिक इंग्लिश मीडियम स्कूल अफिलिएटेड टू ऑक्सफोर्ड। टाल्क इन इंग्लिश मैड यू।'
औरत ने बच्चे के मुंह से हाथ हटाया।
बच्चे ने कहा, 'तीसरे क्लास में . . .'
औरत के हाथ कांप रहे थे। उसने बच्चे को मारा और धक्का भी दिया। बच्चे के होंठ और माथे से खून निकला और वह दौड़ा . . .तब भी वह चीख रही थी।
'यू इंडियन डेविल टॉक इन इंग्लिश।'
°

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इस सप्ताह
1
दशहरा विशेषांक में
भारत से मधुसूदन आनंद की कहानी
तलवार

दशहरे का दिन था। सुबह से ही परिवार में
उत्साह था। मां पड़ोस से गोबर ले आई थी।
उससे रावण के दस सिर बनाए जाने थे। पिता पिछली शाम को ही गन्ना और लौकी ले आए थे। गन्ना दशहरे के दिन पूजा में रखा जाता है। लौकी रायते के लिए आई थी। मां ने रात में ही दही जमा दिया था। दही के बर्तन को
उन्होंने आटे के कनस्तर में रखा था ताकि थोड़ी गर्मी मिले और दही अच्छा जम जाए। हम भाई बहनों को उठते ही उन्होंने दही के दर्शन कराए और फिर कहा, "आया जो भैया पायता, राम खिलाए रायता।" हम सब भाई बहनों ने समवेत स्वर में यह दोहराया।
हल्की–सी खटास लिए मीठे दही का स्वाद हमारे मुंह में भर गया।

°

हास्य व्यंग्य में
 जवाहर चौधरी का खुलासा
रहस्य राम–वनवास का

°

पर्व परिचय में
रणवीर सेठी का आलेख
नेपाल का दशहरा

°

कला दीर्घा में
नवरात्र के अवसर पर विशेष दीर्घा
लोक कलाकृतियों में दुर्गा

°  

फुलवारी में
दशहरे की कहानियां
और शिल्पकोना में
दुर्गा का मुखौटा

 सप्ताह का विचार
विजय गर्व और प्रतिष्ठा के साथ आती है पर यदि उसकी रक्षा पौरूष के साथ न की जाय तो अपमान का ज़हर पिला कर चली जाती है।—मुक्ता

 

माहेश्वर तिवारी के गीत, सुरेश यादव की कविताएं तथा गांधी जयंती व दशहरे के अवसर पर विविध रचनाएं

–° पिछले अंकों से °–

कहानियों में
लौटते हुए–सी पी श्रीरामन
बाबू जी–डा शिबन कृष्ण रैणा
भटकन–संतोष गोयल
गुलाबी हाथी–दीपक शर्मा
फोकस–अलका पाठक
मुंबई टु सतपुड़ा–पुष्यमित्र
°

हास्य व्यंग्य में
 हिंदी की स्थिति–अनूप कुमार शुक्ल
समाजसेवा–अंतरा करवड़े
अथ गणेशाय नमः–शरद जोशी
बंदरों ने किताबें क्यों फाड़ीं–गुरमीत बेदी
°

हिंदी दिवस के अवसर पर
दो विशिष्ट रचनाएं

लक्ष्मीमल्ल सिंघवी का आलेख
संविधान में हिंदी
और
डा विवेकानंद शर्मा की कलम से
फ़ीजी में हिंदी

°

साहित्यिक निबंध में
रिंपी खिल्लन सिंह की रचना
लोक–संवेदना के कवि सर्वेश्वर
°

संस्कृति में
डा नवीन लोहानी से रोचक जानकारी
हमारा लोक साहित्यः लावनी
°

घर परिवार में
अर्बुदा ओहरी के कारगर सुझाव
बिन पानी सब सून
°

रसोईघर में
माइक्रोवेव की सहायता से पकाएं
बेसन का सब्ज़ीदार चीला

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© सर्वाधिकार सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना  परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन 
 सहयोग : दीपिका जोशी
फ़ौंट सहयोग :प्रबुद्ध कालिया

 

 
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