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अनुभूति

1. 10. 2005

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पिछले सप्ताह

हास्य व्यंग्य में
रविशंकर श्रीवास्तव का व्यंग्य
कैसे कैसे शब्दजाल

°

संस्कृति में
डा रमेशकुमार भूत्या की रचना
पंचकर्म और उसका औचित्य

°

प्रौद्योगिकी में
आशीष गर्ग द्वारा जानकारी
कंप्यूटर की मेमोरी

°

पर्यटन में
गुरमीत बेदी की दृष्टि से देखें
भंगाहल का तिलिस्मी संसार

°

कहानियों में
यू एस ए से इला प्रसाद की कहानी
रोड टेस्ट

"तो मैम रोड टेस्ट पास कर लिया आपने?" कार्ला पूछ रही थी। अचानक सुनीता उसे पहचान नहीं पाई। उसे रोड टेस्ट पास किए हुए लगभग छह महीने बीत चुके थे। बहुत झिझक–झिझक कर, डरते हुए वह अकेले घर से कार लेकर निकलती। पहली बार तो डॉलर स्टोर तक जाकर ही लौट आई। डॉलर स्टोर उसके घर से बस इतनी ही दूरी पर था कि एक सिगनल पार करना पड़े। फिर धीरे–धीरे पोस्ट आफ़िस, वॉलमार्ट . . .दूरियां बढ़ती
गईं। अब तो वह फीडर रोड पर भी आराम से ड्राइव करती है। बस अकेले हाइवे पर जाने का साहस नहीं बटोर पाती। वहां पर राजीव का साथ चाहिए, भले ही स्टीयरिंग व्हील उसके हाथ में हो।

°

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इस सप्ताह

उपन्यास अंश में
यू एस ए से सुषम बेदी के धारावाहिक
उपन्यास अंश
लौटना का भाग–1

"तुम्हारा अभिनय तो बहुत श्रेष्ठ है, मीरा! और तुम शब्दों पर नहीं, उनके अर्थों और व्यंजना की सारी संभावनाओं को अपनी मुद्राओं में आकार देकर अभिनय करती हो, इसके लिए बहुत उर्वर मस्तिष्क चाहिए होता है जो विरली ही नर्तकियों के पास होता है। जिस्म की लयात्मकता और मस्तिष्क की
उर्वरता का ऐसा संगम कहां होता है, मीरा! तुम्हें तो सब छोड़छाड़ कर नृत्य में ही लगे रहना चाहिए।" फिर जब कृष्णन ने पूछा था कि उसकी अगली परफ़ॉरमेंस कहां हो रही है तो मीरा कोई झूठ का परदा दोनों के बीच रख नहीं पाई थी। जिस नर्तकी के ऊंचे आसन पर कृष्णन ने उसे बिठा दिया था, उससे नीचे
उतरकर बोली, "तुम्हें क्या लगता है बहुत व्यस्त नर्तकी हूं मैं?"

°

हास्य व्यंग्य में
डा नरेन्द्र कोहली का व्यंग्य
वह कहां है

°

गांधी जयंती के अवसर पर
राजेश कुमार सिंह का विशेष लेख
डाक टिकटों में गांधी
साथ में
अनूप शुक्ला के कुछ प्रश्न 'पहला गिरमिटिया' के लेखक गिरिराज किशोर से
और उनकी डायरी के चुने हुए अंश
गांधी की तलाश
के अंतर्गत

°

फुलवारी में
ललित कुमार के सहयोग से
भारत, श्री लंका और ईरान
विषयक जानकारी देश–देशांतर के अंतर्गत

सप्ताह का विचार
त्याग्रह बलप्रयोग के विपरीत होता है। हिंसा के संपूर्ण त्याग में ही सत्याग्रह की कल्पना की गई है।
— महात्मा गांधी

 

अनुभूति में

गांधी जयंती के अवसर पर संकलन
तुम्हें नमन,
और
नयी प्रेम कविताएं

–° पिछले अंकों से °–

कहानियों में
अठतल्ले से गिर गए रेवत बाबू–जयनंदन
लालटेन, ट्यूबलाइट–मोतीलाल जोतवाणी
अपराधबोध का प्रेत–तेजेन्द्र शर्मा 
चिठ्ठी आई है–कमलेश भट्ट कमल

शौर्यगाथा–राम गुप्ता
प्रश्न–नीलम जैन
°

हास्य व्यंग्य में
आज्ञा न मानने वाले–नरेन्द्र कोहली 
जिसे मुर्दा पीटे  . . .–महेशचंद्र द्विवेदी
देश का विकास जारी है–गोपाल चतुर्वेदी
कुता–अरूण राजर्षि
°

हिंदी दिवस के अवसर पर
तीन विशेष रचनाएं
महेशचंद्र द्विवेदी का चुटीला व्यंग्य
न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी
°
इंद्र अवस्थी का
करारा हिंगलिश चिट्ठा
आइए नेशनल लैंगुएज को रिच बनाएं
°

और
जितेन्द्र चौधरी की संवेदनात्मक स्वीकृति
मेरा हिंदी प्रेम
°

फ़ोन बजता रहा
कृष्णा सोबती के धारावाहिक संस्मरण का
तीसरा और अंतिम भाग

°

मंच मचान में
अशोक चक्रधर के शब्दों में 
बच्चन जी ने क्या खूब रचा
°

बड़ी सड़क की तेज़ गली में
अतुल अरोरा के साथ
ज़ीरो मतलब शून्य

°

रसोईघर में
तैयार करते हैं माइक्रोवेव पर
आलू मेथी का सूप

 

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों  अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना  परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन 
 सहयोग : दीपिका जोशी
फ़ौंट सहयोग :प्रबुद्ध कालिया

   

 

 
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