शुषा लिपि सहायता  °  लेखकों से
कृपया केवल नए पते पर पत्रव्यवहार करें

अनुभूति

9. 11. 2005

आज सिरहानेउपन्यासउपहारकहानियांकला दीर्घाकविताएंगौरवगाथापुराने अंकनगरनामारचना प्रसंग
घर–परिवारदो पलनाटकपरिक्रमापर्व–परिचयप्रकृतिपर्यटनप्रेरक प्रसंगप्रौद्योगिकीफुलवारीरसोईलेखक
विज्ञान वार्ताविशेषांकशिक्षा–सूत्रसाहित्य संगमसंस्मरणसाहित्य समाचारसाहित्यिक निबंधस्वास्थ्यसंपर्कहास्य व्यंग्य

 

पिछले सप्ताह

हास्य व्यंग्य में
अनूप कुमार शुक्ल का व्यंग्य
दीपक से साक्षात्कार

°

नाटक में
डा प्रेम जनमेजय का प्रहसन
सीता अपहरण केस

°

साहित्यिक निबंध में
डा रमानाथ त्रिपाठी का आलेख
रामगाथा और दंडकारण्य

°

उपन्यास अंश में
यू एस ए से सुषम बेदी के धारावाहिक
 उपन्यास अंश
लौटना का भाग–5

°

कहानियों में
यू ए ई से पूर्णिमा वर्मन की कहानी
उसकी दीवाली

इंदिरानगर की इस चौड़ी सड़क के दोनों फुटपाथ चुनरी और गोटे से सजी दूकानों से पट गए हैं। इन अस्थाई दूकानों की शोभा देखते ही बनती है। दूकानों पर लक्ष्मी–गणेश हैं। मिट्टी के खिलौने हैं, पटाके फुलझड़ियां हैं, बिजली की झालरें हैं, चमचमाते हुए पीतल और स्टील के बरतन हैं, लावा–लाई और मीठे खिलौने हैं, सजावटी सामान हैं और पूजा के सामान भी। लोगों की भीड़ है और ग्रामोफ़ोन रेकार्डों का शोर, जो धनतेरस से ही शुरू हो जाता है। मिठाई की दूकानों ने खूब आगे तक सीढ़ीनुमा आधार बना कर मिठाइयां सजा रखी हैं। जबतक नंदिता ने शोरूम नहीं खोला था नंदिता भी इनका हिस्सा थी। बिट्टू की
उंगली पकड़ कर हर रोज़ यहां घूमती थी
त्योहार में। 

नये अंकों की सूचना के लिये
अपना ई मेल यहां लिख भेजें

 

इस सप्ताह

कहानियों में
निर्मल वर्मा की प्रिय कहानियों में से एक
दूसरी दुनिया

दोपहर होते ही वह पार्क में आती, बेंच पर अपना बस्ता रख देती और फिर पेड़ों के पीछे भाग जाती। मैं कभी–कभी किताब से सर
उठा कर उसकी ओर देख लेता। पांच बजने पर सरकारी अस्पताल का गजर सुनाई देता। घंटे बजते ही, वह लड़ी जहां भी होती, दौड़ते हुए अपनी बेंच पर आ बैठती। वह बस्ते को गोद में रख कर चुपचाप बैठी रहती, जब तक दूसरी तरफ़ से एक महिला न दिखाई दे जाती। वह हमेशा नर्स की सफ़ेद पोशाक में आतीं और इसके पहले कि बेंच तक पहुंच पातीं – वह लड़की अपना धीरज खो कर भागने लगती और उन्हें बीच में ही रोक लेती। वे दोनों गेट की तरफ़ मुड़ जाते और मैं उन्हें देखता रहता।
°

°

श्रद्धांजलि में
राजेन्द्र तिवारी ने संकलित किए है
निर्मल वर्मा से संबंधित भावभीने संस्मरण
शिमला में घुला निर्मल

°

उपन्यास अंश में
यू एस ए से सुषम बेदी के धारावाहिक
 उपन्यास अंश
लौटना का भाग–6

°

बड़ी सड़क की तेज़ गली में
अतुल अरोरा के साथ
बच्चे ने मिलाया नंबर,
दादा दादी अंदर
°

सप्ताह का विचार
वाणी चांदी है, मौन सोना है,
वाणी पार्थिव है पर मौन दिव्य।
कहावत

 

अनुभूति में

काव्य संगम में
अमृता प्रीतम,
देशांतर में संतोष कुमार खरे,
नयी हवा में नरेश सोनी व आस्ट्रेलिया से नयी कविताएं

दीपावली विशेषांक समग्र

–° पिछले अंकों से °–

कहानियों में

समुद्र में रेगिस्तान–सुधा अरोड़ा 
विसर्जन–शैल अग्रवाल
विश्वास–नवनीत मिश्र

रोड टेस्ट–इला प्रसाद
अठतल्ले से गिर गए रेवत बाबू–जयनंदन
लालटेन, ट्यूबलाइट–मोतीलाल जोतवाणी

°

हास्य व्यंग्य में
शूर्पनखा की नाक–गोपाल प्रसाद व्यास
कैसे कैसे शब्दजाल–रविशंकर श्रीवास्तव
वह कहां है–नरेन्द्र कोहली 
जिसे मुर्दा पीटे  . . .–महेशचंद्र द्विवेदी

°

उपहार में
दीपावली के लिए शुभकामना संदेश
नभ पर तारे
°

फुलवारी में
दीपावली के लिए बनाएं बंदनवार
साथ ही देश देशांतर में जाने
इज़राइल, सऊदी अरब व इमारात
के बारे में
°

रसोईघर में
दीपावली के लिए अभी से तैयार करें
मिठाइयां और नमकीन
°

पर्व परिचय में
मानोशी चैटर्जी का सजीव विवरण
बंगाल की दुर्गा पूजा
°

संस्मरण में
डा अरूण अवस्थी से अनूप शुक्ला की बातचीत – मौरावां की रामलीला
जहां रावण कभी नहीं मरता

 

अपनी प्रतिक्रिया   लिखें / पढ़ें

Click here to send this site to a friend!

आज सिरहानेउपन्यासउपहारकहानियांकला दीर्घाकविताएंगौरवगाथापुराने अंकनगरनामारचना प्रसंग
घर–परिवारदो पलनाटकपरिक्रमापर्व–परिचयप्रकृतिपर्यटनप्रेरक प्रसंगप्रौद्योगिकीफुलवारीरसोईलेखक
विज्ञान वार्ताविशेषांकशिक्षा–सूत्रसाहित्य संगमसंस्मरणसाहित्य समाचारसाहित्यिक निबंधस्वास्थ्यसंपर्कहास्य व्यंग्य

© सर्वाधिकार सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों  अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना   परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन 
 सहयोग : दीपिका जोशी
फ़ौंट सहयोग :प्रबुद्ध कालिया

   

 

 
Google
Search WWW Search www.abhivyakti-hindi.org