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अनुभूति

16. 11. 2005

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पिछले सप्ताह

श्रद्धांजलि में
राजेन्द्र तिवारी ने संकलित किए है
निर्मल वर्मा से संबंधित भावभीने संस्मरण
शिमला में घुला निर्मल

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उपन्यास अंश में
यू एस ए से सुषम बेदी के धारावाहिक
 उपन्यास अंश
लौटना का भाग–6

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बड़ी सड़क की तेज़ गली में
अतुल अरोरा के साथ
बच्चे ने मिलाया नंबर,
दादा दादी अंदर

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कहानियों में
निर्मल वर्मा की प्रिय कहानियों में से एक
दूसरी दुनिया

दोपहर होते ही वह पार्क में आती, बेंच पर अपना बस्ता रख देती और फिर पेड़ों के पीछे भाग जाती। मैं कभी–कभी किताब से सर
उठा कर उसकी ओर देख लेता। पांच बजने पर सरकारी अस्पताल का गजर सुनाई देता। घंटे बजते ही, वह लड़ी जहां भी होती, दौड़ते हुए अपनी बेंच पर आ बैठती। वह बस्ते को गोद में रख कर चुपचाप बैठी रहती, जब तक दूसरी तरफ़ से एक महिला न दिखाई दे जाती। वह हमेशा नर्स की सफ़ेद पोशाक में आतीं और इसके पहले कि बेंच तक पहुंच पातीं – वह लड़की अपना धीरज खो कर भागने लगती और उन्हें बीच में ही रोक लेती। वे दोनों गेट की तरफ़ मुड़ जाते और मैं उन्हें देखता रहता।

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इस सप्ताह

साहित्य संगम में
अमृता प्रीतम की कहानी का हिंदी रूपांतर

मणिया

"बोलो मणिया! क्या बात हुई थी? तू तो कहता था, वह प्रेस नहीं करती, और देखो वह खुद लेने आई है।" मणिया ने न इधर को देखा, और न कोई जवाब दिया। बिंदिया हंसती रही और फिर कहने लगी, "बात कुछ नहीं थी, यह जब भी आपके कपड़े लेकर आता था, मैं इसे मज़ाक़ से कहती थी – देखो! इतने कपड़े पड़े हैं, पहले यह प्रेस करूंगी और फिर तुम्हारे कपड़े–अगर अभी करवाने हैं तो नाच कर दिखाओ! और यह हंसता भी था, नाचता भी था, और मैं सारा काम छोड़कर, आपके कपड़े प्रेस करने लगती थी . . .आज पता नहीं क्या हुआ, मैंने इसे नाचने को कहा, तो यह वहां से भाग आया। मैंने मज़ाक में कहा था – अब मैं कमीज़ प्रेस नहीं करूंगी।"
°

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हास्य व्यंग्य में
रेखा व्यास का आलेख
थैंक्यू सॉरी और हाई बाई 

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टिकट संग्रह में
राजेश कुमार सिंह का आलेख
डाक टिकटों में बाल दिवस

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पर्व परिचय में
राजेन्द्र तिवारी का आलेख
हिमांचल का रेणुका जी मेला
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सप्ताह का विचार
मुहब्बत त्याग की मां है। वह जहां जाती है अपने बेटे को साथ ले जाती है।
 —सुदर्शन

 

अनुभूति में

विनय कुमार और पुष्पेन्द्र का प्रवेश
साथ ही
प्रेम कविताओं और आस्ट्रेलिया कवि संमेलन में नयी रचनाएं

दीपावली विशेषांक समग्र

–° पिछले अंकों से °–

कहानियों में

उसकी दीवाली–पूर्णिमा वर्मन
समुद्र में रेगिस्तान–सुधा अरोड़ा 
विसर्जन–शैल अग्रवाल
विश्वास–नवनीत मिश्र

रोड टेस्ट–इला प्रसाद
अठतल्ले से गिर गए रेवत बाबू–जयनंदन

°

हास्य व्यंग्य में
दीपक से साक्षात्कार–अनूप कुमार शुक्ल
शूर्पनखा की नाक–गोपाल प्रसाद व्यास
कैसे कैसे शब्दजाल–रविशंकर श्रीवास्तव
वह कहां है–नरेन्द्र कोहली
°

नाटक में
डा प्रेम जनमेजय का प्रहसन
सीता अपहरण केस
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साहित्यिक निबंध में
डा रमानाथ त्रिपाठी का आलेख
रामगाथा और दंडकारण्य
°

उपन्यास अंश में
यू एस ए से सुषम बेदी के धारावाहिक
 उपन्यास अंश लौटना का भाग–5
°

उपहार में
दीपावली के लिए शुभकामना संदेश
नभ पर तारे
°

फुलवारी में
दीपावली के लिए बनाएं बंदनवार
साथ ही देश देशांतर में जाने
इज़राइल, सऊदी अरब व इमारात
के बारे में
°

रसोईघर में
दीपावली के लिए अभी से तैयार करें
मिठाइयां और नमकीन

 

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों  अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना   परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन 
 सहयोग : दीपिका जोशी
फ़ौंट सहयोग :प्रबुद्ध कालिया

   

 

 
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